के. विक्रम राव
भारतीय पुलिस के दो वृत्तांतों पर यह व्याख्या है। एक को ‘कृति’ कहेंगे, तो दूसरे को ‘करतूत।‘ लेकिन दोनों के पात्रों के चरित्र और चलन उजागर हो गए हैं। पहला किस्सा है सुदूर समुद्र-तटीय केरल का। दूसरा है दुआबा (उत्तर प्रदेश) का। बीच में है विध्यांचल, भारत का प्राचीनतम पर्वत। यह पहाड़ भौगोलिक विषमता दर्शाता है। दोनों किस्सों के चरित्र और चलन को उजागर करता है। समाजशास्त्री तथा मनोवैज्ञानिक हेतु गंभीर विश्लेषण और निदान चाहता है प्रशिक्षुओं के लिए भी।
पहले चर्चा हो मलयालम-भाषी मार्क्सवादी-शासित केरल की महिला अधिकारी रम्या की, जिसकी केरल हाईकोर्ट जज ने प्रशंसा की। दूसरे हैं रामपुर के दरोगा रहे, पूर्व डीएसपी विद्याधर शर्मा जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अवनत (डिमोट) किए गए। कथित भ्रष्टाचार में दोषी पाए गए। अब दोनों की उपलब्धियों पर एक नजर।
केरल में 29 अक्तूबर को एक घटना हुई थी जब लापता शिशु की मां ने कोझिकोड़ के चेवायूर थाने में शिकायत दर्ज कराई, कि उसका शिशु गायब है और “मेरा पति उसे अपने साथ ले गया है।” पुलिस ने अंदाजा लगाया कि शिशु का पिता उसको लेकर बेंगलुरू जा सकता है, जहां वह नौकरी करता है। केरल-कर्नाटक सीमा पर वाहनों की जांच के दौरान सुल्तान बेकरी थाने की पुलिस को शिशु और उसका पिता मिल गये। मां का दूध नहीं मिलने के कारण बच्चा थका हुआ था। उसे अस्पताल ले जाया गया। वहां पता चला कि शिशु का शुगर लेवल कम है। तब पुलिस अधिकारी रम्या ने डॉक्टरों से कहा कि वह बच्चे को दूध पिलाना चाहती हैं। उन्होंने शिशु को दूध पिलाया तो उसकी जान बच गई।
शिक्षिका न बन सकने के कारण, पुलिस अफसर पद पर चयनित होकर श्रीमती एमआर रम्या ने ऐसी काम किया कि उसे यश मिला। केरल की इस महिला पुलिसकर्मी की हर ओर तारीफ हो रही है। नवजात को दूध पिलाकर उसकी जान बचाने वाली पुलिस अधिकारी रम्या को केरल पुलिस ने सम्मानित किया।
रम्या ने कहा: “मैंने कोई असाधारण काम नहीं किया है।” पुलिस के पेशे में उसके अप्रत्याशित प्रवेश की तरह ही, उसने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि वह राज्य पुलिस का मानवीय चेहरा बनेगी।
केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश देवान रामचंद्रन और राज्य के पुलिस महानिदेशक तथा कई प्रमुख हस्तियों ने इस बात की प्रशंसा की। न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने उसको भेजे संदेश में कहा- “आज आप पुलिस का सबसे अच्छा चेहरा बन गई हैं। एक शानदार अधिकारी और एक सच्ची मां, आप दोनों हैं। स्तनपान एक दिव्य उपहार है, जो केवल एक मां ही दे सकती है और आपने ड्यूटी निभाते हुए यह उपहार दिया। आपने हम सभी में भविष्य में मानवता के जिंदा रहने की उम्मीद कायम रखी है।”
ग्यारह माह की आयु के एक शिशु की माँ रम्या ने कहा कि वह एक पुलिस अधिकारी से ज्यादा एक महिला और मां थीं। “जब हम बच्चे की तलाश कर रहे थे, तब मां और उससे जुदा हुए शिशु के बारे में ही मैं सोच रही थी। मैं बस यही चाहती थी कि किसी तरह दोनों का मिलन हो जाए। इस बीच मैं अपने पति स्कूल टीचर वीआर अश्विनी विश्वन से बात कर रही थी। वह यह कहकर मुझे दिलासा दे रहे थे कि मुझे और मेरे साथियों को इस मिशन में पक्का कामयाबी मिलेगी।”
अब जानिए अपने ही उत्तर (उत्तम) प्रदेश की कीर्ति-गाथा। यह राज्य गृह विभाग तथा मुख्यमंत्री मुख्यालय से प्राप्त खबर है। रामपुर में नवंबर 2021 में एक अस्पताल संचालक पर महिला ने गैंगरेप का मामला दर्ज कराया था। अस्पताल संचालक ने अपनी बेगुनाही के तमाम सबूत पुलिस अधिकारियों को दिए लेकिन पुलिस अधिकारी सबूतों को दरकिनार कर, मदद करने के एवज में घूस की मांग करने लगे। इसी अस्पताल संचालक से इंस्पेक्टर विद्या किशोर शर्मा ने मामले को रफा-दफा करने के लिए पाँच लाख रुपये की मांग की।
वीडियो वायरल हुआ तो मामला लखनऊ पहुंचा। गृह विभाग ने डिप्टी एसपी शर्मा को तत्काल सस्पेंड कर दिया। यह घटना रोशनी में आई जब गत नवंबर में मुख्यमंत्री रामपुर के दौरे पर गए थे। वहाँ पीड़िता ने आत्मदाह का प्रयास किया। यह कदम पुलिसिया निष्क्रियता के खिलाफ था। योगीजी ने जांच के आदेश दिए। दोषी पुलिस अधिकारी रामवीर यादव और विद्या किशोर शर्मा निलंबित हो गए।
रामपुर सदर के तत्कालीन क्षेत्र अधिकारी (विद्या किशोर शर्मा) को पुलिस में सब इंस्पेक्टर एसआई के पद पर नियुक्त किया गया था। पदोन्नति मिलने के बाद उन्हें 30 अक्टूबर 2018 को डिप्टी एसपी के पद पर तैनात किया गया था। उनकी भर्ती पीएसी में प्लाटून कमांडर (सब इंस्पेक्टर) पद पर हुई थी। रामपुर में तैनाती के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। एक महिला ने आरोप लगाया था कि एक अस्पताल के संचालक विनोद यादव और तत्कालीन इंस्पेक्टर रामवीर यादव ने उसके साथ गैंग रेप किया, इसमें पुलिस ने कार्रवाई नहीं की।
इस मामले में पाँच लाख की घूस लेते हुए विद्या किशोर शर्मा का एक वीडियो अफसरों के संज्ञान में आया। आरोपी इंस्पेक्टर रामवीर यादव और अस्पताल संचालक विनोद यादव पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई और सीओ को सस्पेंड कर दिया गया। योगी आदित्यनाथ जी के आदेश पर शासन ने इसकी जांच एएसपी मुरादाबाद से करवाई। भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए। योगी जी ने डिप्टी एसपी को फिर से सब इंस्पेक्टर (एसआई) बनाने का निर्देश दिया है।
इस सिलसिले में यूपी और केरल पुलिसिया व्यवस्था पर एक पुरानी तुलनात्मक टिप्पणी याद आई। बात अगस्त 1980 की है। हमारा IFWJ का राष्ट्रीय सम्मेलन कोच्चि (एर्नाकुलम) में हो रहा था। दो रेल डिब्बों में बैठकर पूरे यूपी के साथी चले। रेल मंत्री पं. कमलापति त्रिपाठी ने यात्रा सुविधायें कराई थी। तब मैं IFWJ का राष्ट्रीय प्रधान सचिव था। दैनिक पेट्रीयट के संवाददाता स्वर्गीय सलाउद्दीन उस्मान, पायनियर के समाचार संपादक स्व. कृष्ण शंकर और जनमोर्चा संपादक शीतला सिंह साथ सभी केरल चले थे।
शाम ढले सभी साथी कोचीन बाजार में सैर को निकले। मेरे पूछने पर कि गंगा-गोमती तट से इस सागर तट में क्या फर्क है? सभी की राय थी कि महिलाएं निडर घूम रही हैं। पुलिस वाले कंधे पर सिर्फ छड़ी टांगे ड्यूटी बजा रहे हैं। शस्त्र है ही नहीं। पत्रकारों को तब यकीन आया कि समाज भी सभ्य है। केरल में साक्षरता शत-प्रतिशत है, नारी शिक्षा खासकर। हमारे सम्मेलन का उद्घाटन करने मार्क्सवादी मुख्यमंत्री ई.के. नायनार आए थे। सफेद लुंगी तथा सादी कमीज पहने, सुरक्षा गार्ड के बिना। मैंने किस्सा बताया।
जब हम सम्मेलन के लिए सीएम को आमंत्रित करने गए थे, तो उनके बंगले में एक युवक को वे बुरी तरह डांट रहे थे। मैंने कारण पूछा। मुख्यमंत्री का जवाब था- “रुपए मांग रहा था। मैंने कहा पहली तारीख को आना देखूंगा। अभी मांग रहा था। कहाँ से दूंगा? मेरे पास हैं ही नहीं। महीने के अंत मे वेतन मिलेगा। यह मेरा बेटा है। मासिक पाकेट मनी मांग रहा है।” अब आश्चर्य तो होगा ही।
उम्मीद है रम्या और विद्या किशोर शर्मा के बहाने केरल तथा यूपी के पुलिस वालों का अंतर आपको अच्छी तरह समझ में आ गया होगा।
(मध्यमत)
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