विपिन नीमा

इंदौर शहर के इतिहास को अपनी स्मृति में संजोये करीब दो सौ सालों से एक इतिहास पुरुष की तरह खड़ा इंदौर का राजवाड़ा विगत तीन साल से जिस्‍म पर झेल रहे लगभग 30 टन लोहे के बोझ से पूरी तरह मुक्त हो गया है। लोहे के जंजाल से आजाद होने के बाद इस इमारत की फ्रंट साइड पर रंगरोगन होने से राजवाड़े की पुरानी चमक फिर से लौट आई है। इस ऐतिहासिक इमारत की दीवार ओर खिड़कियों पर उसी कलर की रंगाई-पुताई की गई है जो दो सौ साल पहले की गई थी। अब आप इमारत पर नजर डालेंगे तो राजवाड़ा बिलकुल नया-नया दिखेगा।

लोहे का ढांचा हटाने ओर फिर कलर होने के बाद राजवाड़े की इमारत का पुराना स्वरूप साफ नजर आने लगा है। हालांकि राजवाड़ा की पहली मंजिल तक लोहे का स्ट्रक्चर बना हुआ है, क्योकि यहां की दीवार पत्थरों से बनी है। पत्थरों पर पॉलिश की जानी है। इसलिए अभी नीचे वाले हिस्से से स्ट्रक्चर नहीं हटाया गया है। दिवाली के बाद ये काम पूरा हो जाएगा।

राजवाड़ा से स्ट्रक्चर निकलने और रंगाई पुताई होने बाद लोगों ने इस ऐतिहासिक इमारत को काफी समय के बाद खुला-खुला देखा। स्ट्रक्चर हटने से दीपावली के छोटे-छोटे आइटम बेचने वालों को भी ज्यादा परेशानी नही हुई और न खरीदारी करने वालों को। दीपावली पर्व पर राजवाड़ा अपने नए रूप में दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहेगा।   

शहर के बीचोबीच स्थित ऐतिहासिक राजवाड़ा के फ्रंट साइड की चार मंजिलों पर   जीर्णोद्धार का कार्य बड़ी सावधानी के साथ ओर सुरक्षित तरीके से किया गया है। जीर्णोद्धार के लिए निर्माण कंपनी ने राजवाड़ा के मुख्य दरवाजे से लेकर ऊपर सातवीं मंजिल तक लोहे के पाइप का मजबूत स्ट्रक्चर (लोहे का मचान) तैयार किया था। स्ट्रक्चर को मजबूती प्रदान करने के लिए 30 टन लोहे के पाइप का उपयोग किया गया था। तीन साल तक कारीगरों ने स्ट्रक्चर पर खड़े होकर काम को अंजाम दिया।

इतने बड़े स्ट्रक्चर को खड़ा करने में काफी मशक्कत करना पड़ी थी। लकड़ी के मचान की तुलना में लोहे के मचान ज्यादा व्यवस्थित और सुरक्षित रहते है। 2017 से चल रहे जीर्णोद्धार के दौरान राजवाड़ा की फ्रंट साइड को कवर करके रखा गया था, ताकि कोई दुर्घटना न हो। स्ट्रक्चर को निकालने में भी सवा महीने का समय लगा।

शहर की शान राजवाड़े का विवरण आज भी इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। लोहे के जंजाल से मुक्त होने के बाद इमारत की दीवार, खिड़कियों पर रंग रोगन का काम शुरू हो चुका है। इमारत की दीवार पर हलके पीले रंग से पुताई की जा रही है जबकि खिड़कियों पर डॉर्क ब्राउन कलर किया जा रहा है। नए रंगरोगन से राजवाड़ा फिर अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगा है।

(सोशल मीडिया पोस्‍ट से साभार)

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