खैरागढ़ में भूपेश और रमन की परीक्षा

रवि भोई

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद तीन विधानसभा उपचुनाव हुए और तीनों ही सीटें कांग्रेस के खाते में आईं। कांग्रेस ने दंतेवाड़ा सीट भाजपा से और मरवाही सीट जोगी कांग्रेस से छीनकर परचम लहराया। चित्रकोट विधानसभा में कब्जा बरकरार रखा। दंतेवाड़ा में सहानुभूति और मरवाही में जोगी परिवार की भावनाएं काम नहीं आईं। सत्ता की आंधी में दोनों चीजें दब गईं। खैरागढ़ सीट भी जोगी कांग्रेस के पास थी जो विधायक देवव्रत सिंह के निधन से रिक्त हुई है। वैसे माना जाता है कि विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल की ही जीत होती है, लेकिन खैरागढ़ उपचुनाव बदली हुई परिस्थितियों में हो रहा है। चार राज्यों में भाजपा की सत्ता में वापसी और पांच राज्यों में कांग्रेस के सफाए से माहौल बदला-बदला नजर आ रहा है। खैरागढ़ उपचुनाव में भाजपा के प्रभारी भले खूबचंद पारख बनाए गए हैं, लेकिन लड़ाई का सारा दारोमदार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर निर्भर है। रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहते भाजपा यहां उपचुनाव जीत चुकी है।
भूपेश सरकार के पास भले बंपर बहुमत है, पर यह उपचुनाव उनकी नाक का सवाल है। माना जा रहा है कि भूपेश बघेल यह सीट जीतकर राज्य में कांग्रेस की मजबूती का संदेश देना चाहेंगे। इसके लिए वे अपने कई मंत्रियों को झोंकने से भी परहेज नहीं करेंगे। खैरागढ़ उपचुनाव में  कांग्रेस और भाजपा दोनों में सीधे मुकाबले की उम्मीद है और दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न भी है। दोनों ही दल उपचुनाव के परिणाम के जरिए 2023 के लिए अपना-अपना दांव खेलेंगे। इस कारण वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह दोनों ही परीक्षा में पास होने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाले हैं। खैरागढ़ सीट भले जोगी कांग्रेस के पास थी, पर वह उपचुनाव में कुछ कर पाएगी, इसकी गुंजाइश दिख नहीं रही है।

भाजपा नेताओं को बुखार
कहते हैं भाजपा सांसदों के रिश्तेदारों को टिकट न देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद छत्तीसगढ़ में पार्टी के कई नेताओं को बुखार आने लगा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने की संभावना को देखते हुए कई नेता अपने बेटे या दूसरे रिश्तेदारों को राजनीति का ककहरा सिखाकर अपना उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश में लगे थे। पर मोदी जी के दो टूक बयान से बेटे और रिश्तेदारों के लिए सपने देख रहे नेताओं को झटका लगा है। छत्तीसगढ़ में अब तक भाजपा में परिवारवाद का तना फैला ही है। लखीराम अग्रवाल के पुत्र अमर अग्रवाल, बलीराम कश्यप के पुत्र दिनेश कश्यप और केदार कश्यप, दिलीपसिंह जूदेव के बेटे और दूसरे रिश्तेदार, के अलावा डॉ. रमनसिंह के पुत्र अभिषेक सिंह राजनीति में आए और मंत्री-सांसद रहे। पार्टी के कुछ और नेताओं ने भी परिवारवाद की शाखाएं फैलाने की कोशिश की और कुछ करने की फिराक में हैं। मोदी जी ने तलवार चलाने का ऐलान किया है, अब देखते हैं आगे क्या होता है?

विपक्ष को मना नहीं पाया सत्ता पक्ष
कहते हैं सत्ता पक्ष होली के दो दिन पहले कामकाज निपटा कर विधानसभा का बजट सत्र खत्म करने के मूड में था, लेकिन विपक्ष सहमत नहीं हुआ। इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र छोटा है।  29 -30 बैठकों की जगह 13 बैठकें ही होंगी। चर्चा है कि कि बजट पास करने और कुछ विधेयकों के अलावा सरकार के पास कोई बड़ा एजेंडा नहीं है, पर पहले से ही छोटे सत्र को कम दिनों के लिए करने के लिए विपक्ष सहमत नहीं हुआ। इस कारण अब संभवत: निर्धारित तिथि तक ही सत्र चलेगा। हालांकि कुछ लोग अभी भी मान रहे हैं कि तय तिथि से एक-दो दिन पहले ही सत्रावसान हो सकता है, क्योंकि अधिकांश विभागों की बजट मांगों पर चर्चा हो चुकी है।

अफसर की बीवी का दंश
कुछ लोग सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। ऐसे ही एक सेवाभावी एक आईएएस अफसर की पत्नी की सेवा-सत्कार के फेर में लंबे से उतर गए। कहते हैं कि सेवाभावी ने अफसर की पत्नी को शॉपिंग का ऑफर दिया। मेम साहब ने मौके का फायदा उठाकर जबर्दस्त खरीदी कर सेवाभावी की पेंट ढीली कर दी। सुना है मैडम ने तकरीबन 12 लाख की खरीदी कर डाली, जिसमें एक महंगी घड़ी भी शामिल है। अब सेवाभावी रोता-गाता फिर रहा है। अधिकारी महोदय जब एक जिले के कलेक्टर थे, तब भी उनकी मेमसाहब खरीदी को लेकर चर्चा में आई थीं।

कांग्रेस की सांसद विधायकी की दौड़ में
कांग्रेस की एक महिला सांसद अभी से विधायकी की तैयारी में लग गई हैं। महिला सांसद को यह पता है कि अगली बार उन्हें सांसदी का टिकट नहीं मिलने वाला है, इस कारण उन्होंने राजधानी से सटे एक विधानसभा क्षेत्र का दौरा शुरू कर दिया है। महिला सांसद 2023 में जिस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी में लगी हैं, वहां से दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। वैसे वे पहले भी विधानसभा में जाने की कोशिश कर चुकी हैं, विधायकी का नंबर नहीं लगा, लेकिन सांसदी की लाटरी लग गई। अब देखते हैं मेडम के लिए विधानसभा का रास्ता खुलता है या नहीं।

मंत्री जी ने रेत से निकाला तेल
एक कहावत है रेत से तेल निकालना। ऐसा ही कुछ राज्य के एक मंत्री जी ने कर दिखाया। कहते है मंत्री जी ने सरकारी योजना के फंड को डिपाजिट के तौर पर रखने देने के एवज में एक निजी बैंक से अच्छा ख़ासा सत्कार करवा लिया। बैंक ने भी नियम कायदों की अनदेखी कर मंत्री जी की शर्ते मान लीं। चर्चा है कि अब तक जो नहीं हुआ, वह हो गया। इस कारण दूसरे बैंक वाले सिर पीटते रह गए। सरकारी योजनाओं के फंड को डिपाजिट के तौर पर रखने के लिए बैंकों में होड़ लगी रहती है। इसके लिए निजी व सरकारी बैंक विभागों में दौड़ लगाते हैं।

एलेक्स को डेपुटेशन के लिए हरी झंडी
चर्चा है कि छत्तीसगढ़ कैडर के 2006 बैच के आईएएस एलेक्स पाल मेनन को उनके गृह राज्य तमिलनाडु में प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए भारत सरकार से हरी झंडी मिल गई है। छत्तीसगढ़ सरकार से रिलीविंग का इंतजार है। कहते हैं एलेक्स चेन्नई स्थित तमिलनाडु सरकार के उपक्रम में डेपुटेशन पर जा रहे हैं। प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए एलेक्स काफी दिनों से लगे हुए थे। एलेक्स फिलहाल ग्रामोद्योग विभाग के सचिव हैं, जिसके प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला हैं।
(- लेखक छत्‍तीसगढ़ के वरिष्‍ठ पत्रकार हैं।)
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डिस्‍क्‍लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता, सटीकता व तथ्यात्मकता के लिए लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए मध्यमत किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है।

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