बेंगलूरु/ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा है कि संघ का कार्य समाज में आज अपरिचित नहीं है। देश-विदेश में संघ के बारे में जिज्ञासा है, प्रशंसा है व सहयोग भी है और संघ के कार्य का स्वागत भी सभी जगह है, यह हम सबका प्रत्यक्ष अनुभव है। संघ को समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों से लेकर सर्वसामान्य तक स्नेह, आत्मीयता से सहयोग का अनुभव भी है। सरकार्यवाह बेंगलूरु में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के अंतिम दिन प्रेस वार्ता में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण संघ का कार्य प्रभावित हुआ, नियमित शाखाएं नहीं लग सकीं। लेकिन कोरोना संकट के दौरान संघ कार्य का एक नया आयाम हमारे ध्यान में आया। घर में रहकर भी अपने कार्यकर्तत्व को, स्वयंसेवकत्व को जाग्रत, क्रियाशील रखने का कार्य स्वयंसेवकों ने किया। साथ ही सामाजिक दायित्व को भी स्वयंसेवकों ने निभाया। संकट के दौर में स्वयंसेवकों ने समाज के सहयोग से सबकी सेवा की। लाखों-करोड़ों की संख्या में लोगों तक दैनंदिन आवश्यकता और राहत सामग्री पहुंचाई।
सरकार्यवाह ने कहा कि इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया है। संकट के दौरान पूरा भारत एकजुट होकर खड़ा हुआ। महामारी का सामना करने के लिए समाज ने अपनी शक्ति का परिचय दिया। इस दौरान समस्त फ्रंटलाइन वर्कर्स ने अपना दायित्व निभाया, देश की भावी पीढ़ी उनके इस समर्पण से प्रेरणा लेगी। उन्होंने आशा जताई कि देश और विश्व जल्द ही इस समस्या से मुक्त होगी।
भारत ने वेंटिलेटर, पीपीई किट, कोरोना जाँच की तकनीक तथा जल्दी व सस्ती स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के विकास एवं निर्माण के औद्योगिक नवाचारों के द्वारा हम इस आपदा को भी अवसर में परिवर्तित करने में सफल हुए। इस कठिन समय में समाज की आंतरिक शक्ति और प्रतिभा को प्रकट होने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रतिनिधि सभा को पूर्ण विश्वास है कि भारतीय समाज सतत दृढ़ता एवं निश्चय के साथ इस महामारी के दुष्प्रभावों से मुक्त होकर शीघ्र ही सामान्य जीवन को प्राप्त करेगा।
राम मंदिर निर्माण
श्रीराम मंदिर पर पारित प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय, तत्पश्चात् श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’ का गठन, अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण कार्य को प्रारंभ करने हेतु किया गया अनुष्ठान एवं निधि समर्पण अभियान भारत के इतिहास का वह स्वर्णिम पृष्ठ बन गया है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देगा। जब तीर्थ क्षेत्र ने निधि संग्रह का अभियान लिया तो मंदिर आंदोलन में सहयोगी रहे संघ के स्वयंसेवकों ने सहयोग किया। इस अभियान के दौरान समाज का सहयोग व उत्साह ऐतिहासिक था। जहां स्वयंसेवक नहीं पहुंच पाए तो वहां के लोगों ने संपर्क करके स्वयं बुलाया। भारत में रहने वाले श्रीराम के साथ किस प्रकार जुड़े हैं, यह इस अभियान से सिद्ध हो गया।
ग्रामवासी-नगरवासी से लेकर वनवासी और गिरिवासी बंधुओं तक, सम्पन्न से सामान्य जनों तक सभी ने इस अभियान को सफल बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया। इस अद्वितीय उत्साह व सहयोग के लिए प्रतिनिधि सभा सभी रामभक्तों का अभिनंदन करती है। इस अभियान ने एक बार पुनः यह सिद्ध किया है कि संपूर्ण देश भावात्मक रूप से सदैव श्रीराम से जुड़ा हुआ है।
अगले तीन वर्षों में हर मंडल तक पहुंच
संघ कार्य के विस्तार पर उन्होंने कहा कि अगले तीन वर्षों में भारत में संघ कार्य को हर मंडल तक पहुंचाने की योजना है। 58 हजार मंडलों तक संघ कार्य पहुंचाने को लेकर योजना बनी है। कोरोना संकट के कारण दीवाली तक शाखा नहीं लग सकी थी, उसके पश्चात आवश्यक गाइडलाइन का पालन करते हुए धीरे-धीरे शाखाएं प्रारंभ हुईं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि परिस्थितियां सुधरती हैं तो संघ न केवल मार्च 2020 की स्थिति को हासिल करेगा, बल्कि उससे आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में परिवार प्रबोधन, गौ सेवा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इन्हें आगे बढ़ाया जाएगा। संघ का उद्देश्य भेदभाव रहित हिंदू समाज का निर्माण करना है। आने वाले समय में ग्राम विकास और कृषि क्षेत्र में विशेष दृष्टि रखते हुए कार्य का आरंभ करेगा। 13 अप्रैल से संघ भूमि सुपोषण अभियान शुरू करने वाला है। कृषि क्षेत्र के तज्ञ लोगों ने प्रयोग करके सिद्ध किया है कि इन प्रयोगों से किसानों की स्थिति बेहतर बनाई जा सकती है। इस क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं, संगठनों ने मिलकर कार्य करने का निर्णय लिया है। इसे सामाजिक अभियान के रूप में चलाने का निर्णय लिया है। भूमि-सुपोषण से अर्थ है कि मृदा में आवश्यक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए काम किया जाए।
भारत का नेरेटिव, वैचारिक पक्ष
भारत क्या है, भारत का अतीत, भारत का संदेश क्या है। पुरातन ज्ञान को नकारने से काम नहीं बनेगा, उसके आधार पर नए भारत का निर्माण करना होगा। नई पीढ़ी की आवश्यकता के अनुरूप उसे कैसे विकसित करना, इसके लिए भारत के नेरेटिव को सही दृष्टि में रखने के एक वैचारिक प्रबोधन, वैचारिक अभियान की भी आवश्यकता है। इसलिए समाज परिवर्तन का बड़ा काम और वैचारिक क्षेत्र में परिवर्तन का काम, ये दोनों करना है तो संगठन की शक्ति को बड़ा करना पड़ेगा। अभी हुए अभियान ने हमें अद्भुत प्रेरणा दी है। कार्य विस्तार, समाज परिवर्तन, वैचारिक प्रबोधन, तीनों पर काम करते हुए हम आगे बढ़ेंगे।