गिरीश उपाध्याय
अभी अहमदाबाद में दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम के उद्घाटन के बाद वहां हुए भारत और इंग्लैंड के टेस्ट मैच के दौरान एक खेलप्रेमी का कमेंट सुनने को मिला- ‘’इस कोरोना ने बाउंड्री पार बैठी खूबसूरती से लेकर चीयर लीडर्स तक सब कुछ छीन लिया।‘’ यह कमेंट सुनने के बाद, यूं ही चलते-चलते एक छोटी सी कविता बन गई। आप भी मजा लीजिये-
मैं आड़ा तिरछा बल्ला हूं
तुम बाहर जाती गेंद प्रिये
मैं गली का कच्चा फील्डर हूं
तुम हेलीकॉप्टर शॉट प्रिये
मैं स्लिप में करता इंतजार
तुम बाउंड्री के पार प्रिये
मैं ठोक के गाड़ा डंडा हूं
तुम गिल्ली जैसी शान प्रिये
मैं मिड ऑन का उदासीन
तुम मिड ऑफ का मान प्रिये
मैं थर्ड मैन सा थर्ड ग्रेड
तुम खट्टी मीठी गुगली हो
मैं शॉर्ट लेग की उड़ी धूल
तुम हो कवर महान प्रिये
मैं सिली पाइंट का याचक हूं
तुम लांग ऑन की देवी हो
मैं जाली पार का तड़ीबाज
तुम चीयर का चार्म प्रिये
मैं दर्शक दीर्घा की सीढ़ी
तुम पवेलियन की सीट प्रिये
मैं आयोडेक्स की शीशी हूं
तुम बल्ले की चोट प्रिये
मैं आड़ा तिरछा बल्ला हूं
तुम बाहर जाती गेंद प्रिये…
(नोट- मैं क्रिेकेट बस देखता हूं, ज्यादा जानता नहीं हूं, कोई तकनीकी दोष हो तो क्षमा करें।)
मैं दर्शक दीर्घा की सीढ़ी तुम पवेलियन की सीट प्रिये
मैं आयोडेक्स की शीशी हूं तुम बल्ले की चोट प्रिये
मैं आड़ा तिरछा बल्ला हूं तुम बाहर जाती गेंद प्रिये…
बेहतरीन सिक्सर लगाया है आपने बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजी भी आपकी सीधे क्लीन बोर्ड पड़ जाती है आपकी जय हो
धन्यवाद राजीव
वाह भाई साब, बहुत ही शानदार रचना
धन्यवाद प्रमोद