दीप सी झिलमिलाती नर्मदा और संकल्प से भरे हम

नर्मदा जयंती उत्सव
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प्रमोद शर्मा

होशंगाबाद/ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को यूं तो आसमान में अर्धचंद्र तारों की समूची फौज के साथ जगमगाता है, लेकिन होशंगाबाद में सप्तमी तिथि की रात्रि को दृश्‍य कुछ हटकर था। धरा पर कल-कल निनाद करती हुई पतित पावनी नर्मदा सदा की भांति अपने पथ पर प्रवाहमान थी। उसकी धारा में असंख्य दीप ऐसे झिलमिला रहे थे मानो आसमान ने मां का श्रृंगार करने के लिए अपने आंचल के समस्त तारों को भेज दिया हो। शायद इसीलिए सप्तमी की रात्रि में आसमान में एक भी तारा नहीं था। एक बारगी तो ऐसा लगा कि मां नर्मदा के जन्मोत्सव के अवसर पर उसका श्रृंगार करने के लिए पूरी प्रकृति ही एक प्राण हो गई हो। धरा, नभ और गगन एकाकार हो गए हों।

नर्मदा की पवित्र धारा की दूसरी ओर विंध्याचल पर्वत का विशाल धानी पर्दा सजा हो, नीचे नर्मदा विराजमान थी और आसमान भू पर उतर आया हो। ऐसे मनोरम और आलौकिक वातावरण में होशंगाबाद के प्रसिद्ध सेठानीघाट से सुबह से लेकर देर रात तक- नर्मदे हर, जय जगदानंदी और त्वदीय पाद पंकजं के स्वर गूंजते रहे। शाम को हुए मुख्य आयोजन में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाषण देने के बजाय मैया के भजन गाए और लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम करने की घोषणा की तो पूरा वातावरण ही नर्मदे हर से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि अब नगर का गंदा पानी नर्मदा में नहीं मिलने दिया जाएगा। इसके लिए एसटीपी का कार्य तेज गति से चलाएं। भूमि अधिग्रहण शीघ्र करें। मां नर्मदा के किनारे अब सीमेंट कांक्रीट के जंगल नहीं बनने देंगे। साथ ही नर्मदा जल की स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

घाटों-घाट हुए आयोजन, शहर में उत्‍सव
नर्मदा जयंती के अवसर पर शहर के अन्य सभी घाटों पर उत्सव मनाया गया। शहर के हर गली-सड़क पर भंडारे और कन्याभोज के आयोजन किए गए। दोपहर 12 बजे से मां का जन्मोत्सव शुरू हुआ। शहर में शोभायात्रा निकाली गई। सेठानी की छटा तो देखते ही बनती थी। पूरा घाट दुल्हन की तरह सजाया गया था।

स्वर्णिम नजारा
जयंती महोत्सव के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न घाटों से छोड़े गए मां नर्मदा की जलधारा में दीपों से एक स्वर्णिम नजारा बन गया। नर्मदा के सभी घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भरे थे। मां नर्मदा के घाट पर जमकर आतिशबाजी हुई, जिससे पूरा आसमान रंगीन हो गया।

नर्मदाष्टक ने मनमोहा
नर्मदा की जलधारा के मध्य बने जलमंच से जैसे ही मां नर्मदा की आरती प्रारंभ हुई, सामने घाटों पर खड़े असंख्य लोगों ने अपने हाथों में दीपक लेकर मां नर्मदा की सामूहिक आरती की। श्रद्धालुओं के हाथों में असंख्य दीप होने से झिलमिलाहट भरा अनोखा दृश्य साकार हुआ। जो देखते ही बन रहा था।

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