रवि भोई
छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस बार सहायक प्राध्यापक परीक्षा को लेकर पीएससी पर निशाना साधा जा रहा है। राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जितनी फुर्ती से छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल का गठन किया था, उतनी दिलचस्पी पीएससी के गठन में नहीं दिखाई थी, पर राज्य में लोकसेवा आयोग के गठन की संवैधानिक बाध्यता के कारण यह अस्तित्व में आया। इसके पहले दो अध्यक्ष आईपीएस रहे, फिर आईएएस अध्यक्ष हुए। अब तक प्रमोटी आईएएस ही आयोग में आए हैं। भाजपा ने पीएससी की साख सुधारने के लिए एक प्रोफेसर को अध्यक्ष बनाया, पर वे भी दाग धो नहीं पाए। कहते हैं दो आईपीएस की लड़ाई में इस संस्था की नींव में दरार आ गई, वह अब तक ठीक ही नहीं हो पाई है।
यह संस्था भले जोगी राज में बनी, पर इसने भाजपा शासन में गति पकड़ी। इस संस्था का विवादों से ऐसा नाता जुड़ा कि टूटने का नाम ही नहीं ले रहा है। अंतर यह आया कि पहले कांग्रेस हमलावर होती थी, अब भाजपा ने धावा बोलना शुरू कर दिया है। हल्ला, हमला और अपनी चमड़ी बचाना छोड़ संस्था की नींव-दीवार और छत को ठीक करने की जरूरत है, जिससे संवैधानिक संस्था की साख बने और राज्य की प्रशासनिक मशीनरी चलाने के लिए अच्छे लोग आएं। यह जिम्मेदारी है संस्था के कर्णधारों की। संस्था पर दाग लगते रहेंगे तो संस्था से युवाओं का भरोसा टूटेगा, जो राज्य हित में अच्छा नहीं होगा।
रमेश बैस के नागरिक अभिनंदन के मायने
त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस का 16 फरवरी को छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में नागरिक अभिनंदन किए जाने की खबर है। जुलाई 2019 में त्रिपुरा के राज्यपाल बने रमेश बैस रायपुर संसदीय सीट से सात बार सांसद रहे। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया। कहा जा रहा है कि 16 फरवरी को बलौदाबाजार में रमेश बैस का नागरिक अभिनंदन व्यापारियों, सामजिक संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा किया जायेगा। राज्यपाल बनने के करीब डेढ़ साल बाद बैस जी के नागरिक अभिनंदन के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। बैस जी की गिनती राज्य के बड़े कुर्मी नेताओं में होती है, उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव में राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हराया था। रमेश बैस ने दो बार दो भाइयों को हराने का रिकार्ड बनाया। वैसे राज्यपाल सक्रिय राजनीति से दूर रहते हैं, लेकिन पद मुक्त होने के बाद राजनीति में आ सकते हैं। अर्जुन सिंह और मोतीलाल वोरा इसके उदाहरण हैं।
भूपेश बघेल का सटीक निशाना
चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज दुर्ग के अधिग्रहण का फैसला कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक तीर से दो निशाना साध लिया है। एक तो सरकार को 500 बिस्तरों का अस्पताल और आधारभूत ढांचा वाला मेडिकल कॉलेज मिल जायेगा, साथ में सरकारीकरण से कांग्रेस नेता और चंदूलाल चंद्राकर का नाम बना रहेगा। कहा जा रहा है कॉलेज के अधिग्रहण से कुर्मी समाज में भूपेश बघेल का कद बढ़ गया। 2013 में स्थापित यह कॉलेज मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया के मापदंडों को पूरा न कर पाने के कारण 2018 से जीरो ईयर में चल रहा है । कॉलेज के संचालन में कुछ निजी लोगों ने दिलचस्पी दिखाई थी और कुछ इन्वेस्टमेंट किया था, लेकिन परिणाम उत्साहवर्धक नहीं रहा। कहते हैं कुछ निजी संस्थाओं ने दोबारा कोशिश की, लेकिन बात बन नहीं पाई। ऐसे में सरकार के आगे आने से लोगों और छात्रों का भला होने की उम्मीद की जा रही है। यहां एमबीबीएस की 150 सीटें हैं। रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, रायगढ़ में अभी सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। 2021-22 में कोरबा, कांकेर और महासमुंद में नए कॉलेज शुरू करने की योजना है। सीसीएम के अधिग्रहण से दुर्ग में भी सरकारी मेडिकल कॉलेज हो जायेगा।
कांग्रेस नेत्री को मुख्यमंत्री की फटकार
कहते हैं भिलाई की एक कांग्रेस नेत्री को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जमकर आड़े हाथों लिया। बताया जाता है महिला नेत्री मुख्यमंत्री को उनकी शादी की 40वीं सालगिरह पर बधाई देने के लिए उनके भिलाई निवास पर गई थीं। चर्चा है कि बधाई स्वीकारने के बाद भूपेश बघेल ने महिला नेत्री की क्लास ले ली । कहा जाता है कि महिला नेत्री ने मुख्यमंत्री को विश्वास में लिए और उन्हें जानकारी दिए बिना कुछ निर्णय ले लिया था। महिला नेत्री को लेकर मुख्यमंत्री का सख्त रुख वहां मौजूद लोगों को पहले समझ नहीं आया, लेकिन जब मुख्यमंत्री ने महिला नेत्री से निर्णयों पर सवाल खड़े किए, तब लोगों को माजरा समझ आया।
विधानसभा सत्र से पहले ‘आपरेशन पुलिस’
छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 22 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। कहा जा रहा है बजट सत्र से पहले भूपेश सरकार पुलिस महकमे में बड़ी सर्जरी करने की तैयारी में है। इसमें करीब एक दर्जन जिले के एसपी प्रभावित हो सकते हैं। कुछ एसपी को ईनाम तो कुछ को बटालियन और पुलिस मुख्यालय में बैठाया जा सकता है। बटालियन और पुलिस मुख्यालय में सेवा देने वाले कुछ आईपीएस और राज्य पुलिस सेवा के वरिष्ठ अफसरों को जिलों में भेजा जा सकता है। चर्चा है कि आदिवासी इलाकों और मैदानी जिलों के एसपी हेरफेर में प्रभावित होंगे। राज्य में बढ़ते अपराध और अन्य मामलों को लेकर कांग्रेस के ही कुछ जनप्रतिनिधियों के बयान आ चुके हैं। भाजपा कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठा रही है। इस कारण राज्य सरकार जिलों की पुलिसिंग को नए सिरे से कसने के लिए नए कप्तान भेजने की कवायद में लगी है। बिलासपुर, सूरजपुर, धमतरी, जशपुर, जांजगीर, दुर्ग, बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बालोद, रायगढ़ और महासमुंद जिले के एसपी बदलने की चर्चा है। इनमें से कुछ जिलों के एसपी को दूसरे जिले की कमान सौंपी जा सकती है।
कलेक्टरी के लिए कई नामों की चर्चा
चर्चा है कि विधानसभा सत्र के पहले सरकार कुछ जिलों के कलेक्टर बदल सकती है। इसमें बीजापुर जैसे छोटे और नक्सली जिले से रायपुर और कोरबा जैसे बड़े और महत्वपूर्ण जिलों के नाम लिए जा रहे हैं। बीजापुर में रितेश कुमार अग्रवाल मई 2020 से कलेक्टर हैं। मई 2020 में ही नारायणपुर के कलेक्टर बने अभिजीत सिंह को पिछले महीने हटाकर वहां धर्मेश साहू को पदस्थ कर दिया गया। इसके पहले कार्तिकेय गोयल को भी महासमुंद में सात महीने ही कलेक्टरी का मौका मिला। इस कारण लोग कलेक्टरों के न्यूनतम कार्यकाल को लेकर कोई बात नहीं कर रहे हैं, पर कोरबा की कलेक्टर किरण कौशल का कार्यकाल दो साल हो गया है और रायपुर के कलेक्टर एस. भारतीदासन जून 2019 से यहां पदस्थ हैं। बेमेतरा कलेक्टर शिव अनंत तायल को भी एक साल पूरा हो गया है। कलेक्टरों के व्यापक बदलाव में ये प्रभावित नहीं हुए थे। 2009 बैच की किरण कौशल लगातार चौथे जिले की कलेक्टर हैं। ये भाजपा शासन में मुंगेली, सरगुजा और बालोद की कलेक्टर रह चुकी हैं। कहते हैं कि आईएएस समीर विश्नोई, राजेश राणा, तंबोली अय्याज फकीरभाई, अवनीश शरण और कुछ अफसरों के नाम नए कलेक्टर के लिए चर्चा में हैं।
समय बदला, दिन बदले
भाजपा शासन में छत्तीसगढ़ के 2005 बैच की सीधी भर्ती वाले आईएएस के बड़े जलवे हुआ करते थे। इस बैच के आईएएस कई महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ थे, लेकिन सत्ता परिवर्तन के साथ 2005 के डायरेक्ट आईएएस की चमक-धमक भी चली गई। 2005 के अफसरों को 16 साल की सेवा के बाद 2021 में सचिव बन जाना चाहिए, लेकिन फिलहाल इस बैच की सुध लेने वाला कोई दिखाई नहीं पड़ रहा है। इस बैच के अफसर मुकेश कुमार और रजत कुमार भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। दुर्ग कलेक्टर रहते भूपेश बघेल की जमीन की नाप कराने वाली आईएएस आर. शंगीता अध्ययन अवकाश पर चली गई हैं। राजेश टोप्पो को राजस्व मंडल का सचिव बना दिया गया है। एस. प्रकाश को भी कोई अच्छी पोस्टिंग नहीं मिली है। यह तो समय का खेल है। अब देखते हैं 2005 के डायरेक्ट आईएएस के अच्छे दिन कब आते हैं।
पाठ्यपुस्तक निगम चर्चा में
कांग्रेस के तेज-तर्रार मीडिया प्रभारी शैलेश नितिन त्रिवेदी छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष हैं। भाजपा राज में मीडिया में कांग्रेस की दमदार मौजूदगी कराने में सफल रहे शैलेश जी पाठ्यपुस्तक निगम में भी आक्रामकता के साथ नई शैली में काम कर रहे हैं। कहते हैं उनकी नई शैली सुर्खियां बटोर रही है और कइयों को पेट दर्द भी होने लगा है, यहां तक कि उनके संगी-साथी उनसे अपनी तुलना करने लगे हैं। कहा जाता है पाठ्यपुस्तक निगम बाहर से भले चमक-दमक और रुतबे वाला संस्था न दिखे, पर अंदर से काफी उपजाऊ है।
(लेखक छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)