जयति जय, जय, जय मध्‍यप्रदेश

राकेश अचल

मध्यप्रदेश की स्थापना की 65 वीं वर्षगांठ पर आज बहुत खुश हूँ। आज जब प्रदेशों का दर्जा खतरे में है तब हमारा मध्यप्रदेश अपने जीवन के 64 साल पूरे कर चुका है। मध्यप्रदेश को मैं अपना बड़ा भाई मानता हूँ,  मुझसे कुछ ही साल तो बड़ा है मध्यप्रदेश। एक संयोग है कि मैं मध्यप्रदेश में नहीं जन्मा लेकिन मेरा पूरा मांस-मज्जा मध्य्प्रदेश के नमक से बना है। उत्तर प्रदेश से जन्म के छह माह बाद ही मुझे मेरे अभिभावक मध्यप्रदेश ले आये थे,  उस समय मध्य प्रदेश तीन साल का था और मैं अबोध,  दुधमुंहा। अब ये रिश्ता साठ पार कर चुका है,  इसलिए मध्‍यप्रदेश के पोर-पोर से मेरा जुड़ाव है।

मध्यप्रदेश को सजाने-सवांरने में पंडित रविशंकर शुक्ल से लेकर कमलनाथ/शिवराजसिंह समेत 32 मुख्यमंत्रियों की अपनी-अपनी भूमिका रही है,  किसी की भूमिका छोटी थी तो किसी की भूमिका। आज के दिन मैं उन सभी मुख्यमंत्रियों को नमन करना चाहता हूँ। मध्यप्रदेश के गठन के पहले दशक में 9 मुख्यमंत्री हुए इनमें रविशंकर शुक्ल,  भगवन्त राव मण्डलोई,  कैलाश नाथ काटजू,  भगवन्त राव मण्डलोई,  द्वारका प्रसाद मिश्रा,  गोविन्द नारायण सिंह और राजा नरेशचन्द्र सिंह को मैंने न देखा और न कभी मिला,  आखिर बच्चा था मैं और चंबल की गोद में सुदूर बीहड़ों के बीच रहता था। कैसे मिलता इन महापुरुषों से,  लेकिन इन सबको पढ़ा और जाना इनके योगदान के बारे में।

मध्यप्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री पंडित श्यामाचरण शुक्ल के बाद से जितने मुख्यमंत्री बने उनमें से शुक्ल के साथ प्रकाश चंद्र सेठी,  कैलाश जोशी,  वीरेंद्र सखलेचा,  सुन्दरलाल पटवा,  अर्जुन सिंह,  मोतीलाल वोरा,  दिग्विजय सिंह,  उमा भारती,  बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह और कमलनाथ से मेरा मेल-मिलाप होता रहा। मैंने सबका कार्यकाल देखा है। जो नहीं जानते उन्हें बता दूँ कि किसी ने कम किसी ने ज्यादा इस प्रदेश को बनाया है,  बिगाड़ा शायद किसी ने नहीं। जो कुछ कमी रही उसके लिए जिम्मेदार समय है,  किसी एक के सर ठीकरा फोड़ना गलत होगा। इस लम्बी यात्रा में मध्यप्रदेश विभाजित भी हुआ लेकिन कभी पराजित नहीं हुआ।

मध्‍यप्रदेश ने देश को राष्ट्रपति भी दिए और प्रधानमंत्री भी। भारतरत्न भी दिए और पद्म विभूषण भी। मध्यप्रदेश विकास की दौड़ में कभी जीता तो कभी हारा,  लेकिन थक कर बैठा नहीं। देश की मुख्यधारा में शामिल बने रहने के लिए मध्यप्रदेश ने सब जतन किये। मुख्यधारा से कभी कटा नहीं। मध्यप्रदेश के पास सब कुछ है लेकिन अभी भी उसे बहुत कुछ की जरूरत है। और ये जरूरत पूरी करने के लिए प्रयत्न सतत जारी हैं। मध्यप्रदेश कृषि,  पर्यटन,  शिक्षा,  स्वास्थ्य के क्षेत्र में संभावनाओं से भरा है। महिलाओं के संरक्षण समेत अनेक मामलों में उसकी निंदा भी होती है,  इसके बावजूद मध्यप्रदेश लगातार आगे बढ़ रहा है। मुझे उम्मीद है कि मध्यप्रदेश देश का हृदय-प्रदेश बनकर देश के मान-सम्मान में लगातार अपना योगदान देता रहेगा।

मध्यप्रदेश को यदि 31 मुख्यमांत्रियों ने सजाया-संवारा है तो 28 राज्‍यपालों ने भी इसे अपना मार्गदर्शन दिया है। बी. पट्टाभिसीतारामैया से लेकर लालजी टंडन और श्रीमती आनंदी बेन तक,  प्रदेश को एक से बढ़कर एक राज्‍यपाल मिले,  जिनमें से हरि विनायक पाटस्कर,  केसी रेड्डी,  जस्टिस पीवी दीक्षित,  सत्यनारायण सिन्हा,  एनएन वांचू,  सीएम पुनाचा,  भगवत दयाल शर्मा,  जस्टिस जीपी सिन्हा,  केएम चांडी,  जस्टिस एनडी ओझा,  श्रीमती सरला ग्रेवाल,  कुवंर मेहमूद अली,  मोहम्मद शफी कुरैशी,  भाई महावीर,  राम प्रकाश गुप्ता,  कृष्णमोहन सेठ,  बलराम जाखड़,  रामेश्वर ठाकुर,  रामनरेश यादव,  ओपी कोहली, लालजी टंडन और श्रीमती आनंदी बेन पटेल का नाम भी आज स्मरण के लायक है।

मध्‍यप्रदेश को जितना कुशल राजनीतिक नेतृत्व मिला उतना ही कुशल प्रशासनिक नेतृत्व भी उसके हिस्से में दर्ज है। पहले मुख्य सचिव एमएस कामथ से लेकर इकबालसिंह बैंस तक ने अपनी-अपनी क्षमता से इस प्रदेश को आगे बढ़ाया है। आरपी नरोन्हा,  एमपी श्रीवास्तव,  आरपी नायक,  एमएस चौधरी,  एमसी वर्मा,  केएल पसरीचा,  बीके दुबे,  जी. जगतपति,  बीरबल, ब्रम्हस्वरूप, केसीएस आचार्य, एम.एस. सिंहदेव, आर.एन. चौपड़ा, आर.एस. खन्ना,  आर.पी. कपूर, श्रीमती निर्मला बुच, एन.एस. सेठी, एस.सी. बेहार, के.एस. शर्मा, पीके मल्होत्रा, ए.वी. सिंह, बी.के. शाह, विजय सिंह, आर.के. साहनी,  अवनि वैश्य, आर. परशुराम,  एन्टोनी डिसा,  बसंत प्रताप सिंह, सुधि रंजन मोहंती, एस. गोपाल रेड्डी और इकबाल सिंह बैंस की सेवाएं इतिहास में दर्ज हैं,  इन सभी ने अपने-अपने तरीके से मध्यप्रदेश के प्रशासकीय ढांचे को गति दी।

आइये इस परिपक्व और लगातार आगे बढ़ रहे प्रदेश को देश के अग्रणी प्रदेशों में शुमार करने के लिए हम सब मिलकर प्रयास करें। मध्यप्रदेश की जय-जय बोलें। बधाई मध्यप्रदेश को, इस प्रदेश की जनता को। जहाँ भी रहें यदि मध्यप्रदेश के हैं, तो उस पर गर्व करें और सीना चौड़ा कर कहें कि आप भारत के उस प्रदेश के हैं जिसे मध्यप्रदेश कहा जाता है।

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