राकेश अचल
इस देश के नेताओं और अभिनेताओं के पास लगता है कोरोना काल में सचमुच कोई काम नहीं है और वे लगातार फुर्सत में हैं। दोनों अपना-अपना काम न भूल जाएँ शायद इसीलिए बेवजह आपस में तलवारें भांजते रहते हैं। इस छद्म युद्ध से हमारे टीवी चैनलों को सुर्खियां और अख़बारों को मसाला मुफ्त में मिलता रहता है। सुशांत सिंह राजपूत काण्ड का उद्यापन होने से पूर्व ही कंगना रनौत बजने लगी हैं। कंगना रनौत के बिना वजह मुखर होते ही साथ-साथ सत्तारूढ़ शिवसेना, कांग्रेस और विपक्ष में बैठी भाजपा को भी काम मिल गया है।
बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत अपनी अदाकारी के अलावा अपनी लम्बी जुबान और बेबाक बयानों के लिए जानी जाती हैं। आजकल फुरसत में हैं, तो इन दिनों उनकी शिवसेना नेता संजय राउत से ठनी हुई है। दोनों के बीच जुबानी जंग लगातार तेज होती जा रही है। कंगना और राउत एक दूसरे के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। शिवसेना के शेर संजय राउत अपनी जुबान पर संयम खो बैठे और कंगना पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी।
एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान कंगना रनौत को लेकर पूछे गए सवाल पर संजय राउत नाराज हो गए। और इस दौरान उन्होंने कंगना पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। राउत ने अब मामले को छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराष्ट्र के अपमान से जोड़ दिया है, हालांकि इसकी शिकायत न महाराष्ट्र ने की है और न शिवाजी महाराज ने।
देश की जनता को उलझाए रखना नेताओं और अभिनेताओं का पहला काम है, इसीलिए संजय राउत के बयान पर अब कंगना रनौत ने भी पलटवार किया है। उन्होंने याद दिलाया कि, ‘साल 2008 में ‘मूवी माफिया’ ने मुझे ‘साइको’ घोषित कर दिया था। 2016 में उन्होंने मुझे ‘चुड़ैल’ कहा और 2020 में महाराष्ट्र के मंत्री ने मुझे अजीब सा खिताब दे दिया था।
कंगना कहती हैं कि इन सभी लोगों ने मेरे साथ ऐसा इसलिए किया क्योंकि मैंने कहा कि सुशांत की हत्या के बाद मैं मुंबई में असुरक्षित महसूस करती हूं। कंगना लगभग लकवाग्रस्त देश में इस छद्म युद्ध को असहिष्णुता की और मोड़ना चाहती हैं और सवाल करती हैं कि असहिष्णुता पर बहस करने वाले योद्धा कहां हैं?
दरअसल ट्विटर पर संजय राउत के साथ हुई जुबानी जंग में कंगना ने कहा था कि उन्हें मुंबई पुलिस से डर लगता है। कंगना के इसी बयान पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि अगर उन्हें मुंबई में डर लगता है तो वापस नहीं आना चाहिए। बात का बतंगड़ बनाने में माहिर कंगना ने आरोप लगा दिया कि, शिवसेना नेता संजय राउत ने मुझे खुली धमकी दी है और कहा है कि मैं मुंबई वापस ना आऊं। पहले मुंबई की सड़कों में आजादी के नारे लगे और अब खुली धमकी मिल रही है। ये मुंबई पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की तरह क्यों लग रहा है?’
इसके कुछ समय बाद कंगना ने कहा कि वह नौ सितंबर को मुंबई आएंगी किसी में हिम्मत हो तो रोक कर दिखाए। कंगना अचानक मणिकर्णिका बन गयी हैं। उन्होंने दावा किया है कि वे असल राष्ट्रवादी हैं और उन्होंने ही रानी लक्ष्मीबाई पर पहली फिल्म बनाई, शिवसेना ने क्या किया? अब कंगना को कौन बताये कि वे अज्ञानी हैं और नहीं जानतीं कि रानी लक्ष्मीबाई पर सोहराब मोदी तब फिल्म बना चुके थे जब शायद कंगना के पिता का भी जन्म नहीं हुआ होगा।
इस विवाद को ज़िंदा बनाये रखने के लिए अब कंगना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर दो अलग अलग शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। कंगना रनौत के खिलाफ एक शिकायत वकील अली काशिफ खान देशमुख ने मुंबई के अंधेरी पुलिस थाने में शुक्रवार को दर्ज कराई। वहीं दूसरी शिकायत कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने आजाद मैदान पुलिस थाने में दर्ज कराई। इन दोनों शिकायतकर्ताओं ने मुंबई पुलिस को बदनाम करने और दो समूहों के बीच दुश्मनी फैलाने के लिए कंगना के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। फिलहाल पुलिस ने कहा कि अभी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है और वे शिकायतों की जांच कर रहे हैं।
कांग्रेस और शिवसेना कह रही है कि कंगना जो कर रही हैं सो भाजपा के कहने पर कर रही हैं और भाजपा कह रही है कि कंगना के बयानों से उसका कोई लेना-देना नहीं है। कंगना के बयान से सचमुच किसी का कोई लेना-देना नहीं है, न खुद कंगना का, न शिवसेना का, न कांग्रेस और न भाजपा का। जनता का तो इससे कोई मतलब ही नहीं है लेकिन सबके सब देशहित में ऐसे विवाद पैदा करते हैं। जनता के मुख्य मुद्दों को धूमिल कर जनसंघर्ष को भोथरा करने वाले ये नकली राष्ट्रवादी निंदा और बहिष्कार के लायक हैं, लेकिन कोई ऐसा करेगा नहीं, क्योंकि सबको मसाला लगता है।
मुंबई से मेरा सीधा कोई रिश्ता नहीं है। मैं मुंबई से हजार किमी दूर रहता हूँ, लेकिन मुंबई मेरे दोहित्र की जन्मभूमि है। इसलिए मुझे भी अपनी सी लगती है। मुंबई सचमुच किसी की बपौती नहीं है, मुंबई सबकी है। महाराष्ट्रियों की भी और गैर महाराष्ट्रियों की भी। सबने मिलकर मुंबई को बनाया है। शिवसेना की लाख कोशिशों के बावजूद मुंबई ने किसी को बाहर नहीं निकाला। कंगना को भी बेफिक्र रहना चाहिए। मुझे हैरानी ये है कि इस तरह की नौटंकियों में राज्य और केंद्र की सरकारें भी मूक दर्शक बनी रहती हैं। उनका कोई हस्तक्षेप नहीं आता, क्योंकि ऐसे विवाद सरकारों के लिए मुफीद होते हैं। जनता उलझी रहती है और अपने दुख-दर्द भूल जाती है।
आपको याद होगा कि इस तरह के बेसिर-पैर के बयानों के कारण कुछ समय पहले अभिनेता आमिर खान, शाहरुख़ खान भी सुर्ख़ियों में रह चुके हैं। ऐसे लोगों की लम्बी फेहरिस्त है। दुर्भाग्य ये है कि इन बयान बहादुरों में से एक ने भी मुंबई को नहीं छोड़ा, वे भी अपनी जगह हैं और मुंबई भी। हाँ बीच-बीच में बेरोजगार संगठनों को ऐसे विवादों से काम जरूर मिल जाता है। टीवी चैनलों के पर्दे सुर्ख़ियों से भर जाते हैं। भगवान सभी को सद्बुद्धि दे।