छत्‍तीसगढ़ के आईएएस दिल्‍ली क्‍यों दौड़ रहे हैं?

रवि भोई

छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव आर.पी. मंडल इस साल नवंबर में  रिटायर होने वाले हैं। लेकिन राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने रिटायरमेंट के तीन महीने पहले ही उन्हें सेवावृद्धि देने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेज दिया है। वैसे सरकार ने सुनील कुजूर को भी मुख्य सचिव के पद पर सेवावृद्धि के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन केंद्र ने मंजूरी नहीं दी और आर.पी. मंडल को मुख्य सचिव की कुर्सी मिल गई। अब मुख्य सचिव के पात्र दो वरिष्ठ अधिकारी सी.के. खेतान और अमिताभ जैन के रहते सरकार ने आर.पी. मंडल को मुख्य सचिव पद पर छह महीने का एक्सटेंसन देने के लिए प्रस्ताव केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेजा है।
भारत सरकार ने अगस्त में ही गुजरात के मुख्य सचिव अनिल मुकीम को छह माह की सेवावृद्धि दी है और इसके पहले जून में आंध्रप्रदेश की मुख्य सचिव नीलम साहनी को तीन महीने की सेवावृद्धि दी थी। दोनों राज्यों की सरकारों ने कोरोना संकट के आधार पर अपने-अपने मुख्य सचिव को सेवा विस्तार देने का आग्रह केंद्र सरकार से किया था।  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कोरोना संकट के चलते आर.पी. मंडल को सेवा विस्तार का प्रस्ताव दिया है। गुजरात में भाजपा की सरकार है और आंध्रप्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस की सरकार है। वाईएसआर कांग्रेस भले एनडीए का घटक दल नहीं है, लेकिन कांग्रेस विरोधी होने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी के प्रति उदार रुख दिखता है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रधानमंत्री से नजदीकियां भी नहीं हैं। इसके बावजूद आर.पी. मंडल को सेवावृद्धि मिलने की संभावना है। माना जा रहा है कि आरपी मंडल को सेवावृद्धि देने से पहले केंद्र  सरकार छत्तीसगढ़ के एक-दो भाजपा नेताओं की राय लेगी।  कहा जा रहा है भूपेश बघेल सरकार खेतान और अमिताभ की जगह सुब्रत साहू को मुख्य सचिव बनाना चाह रही है। हालांकि सुब्रत साहू ने अभी 30 साल की सेवा पूरी नहीं की हैं।
सुब्रत साहू को लेकर भाजपा के बड़े नेताओं की धारणा अच्छी नहीं है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है दो राज्यों के उदहारण और भाजपा नेताओं के वजन से आर.पी. मंडल को सेवा विस्तार मिल सकता है। एक्सटेंशन का प्रस्ताव भले अभी से चला गया है, लेकिन सेवा विस्तार देने या न देने पर फैसला तो उनके रिटायरमेंट के कुछ दिनों पहले ही होगा।

‘आईजी साहब’ के बिना पत्‍ता नहीं हिलता
छत्तीसगढ़ के एक मंत्री के विभाग में ‘आईजी साहब’ की अनुमति के बिना पत्ता भी नहीं खड़कता है। केंद्र सरकार के भारी-भरकम मदद से चलने वाले इस विभाग में मंत्री जी की जगह हर निर्णय ‘आईजी साहब’ करते हैं। ‘आईजी साहब’ हैं तो रिटायर्ड, लेकिन विभाग के लोग उन्हें ‘आईजी साहब’ के रूप में ही संबोधित करते हैं और किसी काम के लिए कोई जाता है तो ‘आईजी साहब’ से मिलने को कह देते हैं।   ‘आईजी साहब’ से मिले बैगर कोई काम होता भी नहीं है।  कहते हैं इस विभाग को केंद्र सरकार से हर साल करीब एक हजार करोड़ रुपए की वित्तीय मदद मिलती है। चर्चा है कि इस विभाग का काम मंत्री से मिलने पर हो या न हो, पर ’आईजी साहब’ से मिलने पर पक्का हो जाता है। भूपेश बघेल की सरकार में ही इस विभाग के साथ ऐसा नहीं हो रहा है, डॉ. रमन सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी इस विभाग का मंत्री कोई और ‘पालक’ कोई और था।

आईएएस अफसरों का दिल्ली रुख
छत्तीसगढ़ में खनिज, वन और दूसरी संपदा भरपूर है और विकास की संभावनाएं काफी हैं, साथ ही आईएएस अफसरों को पदोन्नत करने में भी सरकार काफी उदार है, फिर भी राज्य  के सीनियर आईएएस अफसरों की दिल्ली की तरफ दौड़ को यहाँ के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारीक सिंह सितंबर से दो साल के अवकाश पर चली जाएँगी। आवास एवं पर्यावरण विभाग की सचिव संगीता पी. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रही हैं। संभवतः वे भी सितंबर में कार्यमुक्त हो जाएंगी। राज्यपाल के सचिव सोनमणि बोरा को भी केंद्र सरकार में जाने की अनुमति मिल गई है। वे भी एक-दो महीने में छत्तीसगढ़ छोड़ देंगे। छत्तीसगढ़ कैडर के बीवीआर सुब्रह्मण्यम, अमित अग्रवाल, विकास शील, निधि छिब्बर, ऋचा शर्मा, सुबोध सिंह, रोहित यादव, ऋतु सेन, अमित कटारिया, रजत कुमार और मुकेश बंसल पहले से ही केंद्र में डेपुटेशन पर हैं। बीवीआर सुब्रह्मण्यम जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव हैं। राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद   रजत कुमार, ऋतु सेन, ऋचा शर्मा, सुबोध सिंह और मुकेश बंसल ने छत्तीसगढ़ की सेवा छोड़कर दिल्ली का रुख किया।

सुंदरानी को विवाद से ताज
पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी को रायपुर शहर जिला भाजपा का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद एक नारा गूंजने लगा है ‘रायपुर नहीं बन सकता है इंदौर’। भाजपा हाईकमान ने सुमित्रा ताई महाजन का टिकट काटकर शंकर लालवानी को इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़वा दिया और वे रिकार्ड मतों से जीत गए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने श्रीचंद सुंदरानी को जिला अध्यक्ष बनाकर नया दांव तो चला है, लेकिन पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह रास नहीं आ रहा है। व्यापारियों की राजनीति करते-करते चर्चित हुए श्रीचंद सुंदरानी भाजपा के जमीनी और पुराने कार्यकर्त्ता हैं, लेकिन पिछले दिनों वे पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने और उनके परिवार को लेकर दिए एक बयान से विवादों में आ गए थे।
इस बयान के बाद सोशल मीडिया में दोनों के समर्थकों का वार चलता रहा। श्रीचंद सुंदरानी की नियुक्ति से स्वाभाविक तौर पर मीसाबंदी व आरएसएस के कट्टर कार्यकर्ता उपासने को झटका तो लगा ही होगा, साथ ही पार्टी के कुछ नेता और कार्यकर्ता कहने लगे हैं, जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य में छत्तीसगढ़िया वाद को हवा देने और भुनाने में लगे हैं, ऐसे में श्रीचंद सुंदरानी को तो कम से कम जिले के संगठन की कमान नहीं सौंपनी चाहिए थी। श्रीचंद सुंदरानी को लेकर कुछ लोग जो भी राय बनाते रहें उन्होंने तो विवाद के कीचड़ में कमल खिला दिया और पार्टी ने उन्‍हें ताज पहना दिया।

विधानसभा का यादगार सत्र
25 से 28 अगस्त तक चला छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र कई मायनों में यादगार रहेगा। एक तो सत्र का आयोजन कोरोना काल में हुआ और तय समय और दिन तक चल गया। छोटे सत्र में कई बड़ी बातों का खुलासा भी हुआ।  पहले लोगों को लग रहा था कि कई मुद्दों को लेकर विपक्ष हंगामा करेगा और सरकार अनुपूरक बजट पारित कराने के साथ आनन-फानन में विधेयकों को सदन से मंजूर करा लेगी। कोविड-19 के कारण ही सही इस बार सदन का दृश्य ही अलग दिखा। सदस्य ग्लास पार्टीशन के बीच रहे, वहीँ विपक्ष के आक्रामक तेवर और सरकार के बचाव के तरीकों ने सदन को जीवंत रखा। भाजपा सदस्य अजय चंद्राकर को उनकी सक्रियता ने किसी क्रिकेट मैच की तरह ‘मैन आफ द मैच’ की उपाधि दिला दी, तो राज्य की वित्तीय स्थिति और किसानों के बारे में खरी-खरी बोलकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में 15 साल शासन करने वाली पार्टी भाजपा को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। यह सत्र किसी नेता को लंबी श्रद्धांजलि के लिए भी याद किया जायेगा।

बचाने वाला ही अब दुखी
चेहरा देखकर किसी व्यक्ति का गुण समझ में नहीं आता, फिर भी लोग गलती कर जाते हैं। ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के एक आईएएस अफसर के साथ हो गया। विशेष सचिव स्तर के अधिकारी को एक विभागाध्यक्ष कार्यालय के महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी की जाँच करनी थी। विभागाध्यक्ष ने ही जाँच का प्रस्ताव सचिव को भेजा था। सचिव ने विशेष सचिव को जाँच की जिम्मेदारी दी, लेकिन वे जाँच की जगह उस पर कुंडली मारकर बैठ गए। महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी को भाजपा शासन में ऊपर के लोगों का आशीर्वाद था और कांग्रेस राज में भी उसे एक मजबूत गॉडफादर मिल गया। कहते हैं जब गॉडफादर को पता चला कि विशेष सचिव साहब ने उनके चेले की जाँच नहीं की तो उन्होंने बड़े खुश होकर उन्हें ही विभागाध्यक्ष बनवा दिया।
विशेष सचिव साहब विभागाध्यक्ष बने तब महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी का रंग उन्हें पता चला। विभागाध्यक्ष के मनमुताबिक काम करने की जगह फाइलों पर कुंडली मारकर बैठ जाते हैं या फिर छुट्टी ले लेते हैं। चर्चा है कि आईएएस अधिकारी साहब झटका देने वाले अपने मातहत का रोना सचिव के पास रो आये हैं। अब देखते है, क्या होता है? पर एक बात तो साफ़ है चेहरा देखकर गुण को नहीं परखा जा सकता है।

कांग्रेस के युवा नेता का पोस्टर खेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन के अवसर पर राजधानी रायपुर में बधाई और शुभकामनायें वाले होर्डिंग और बैनर-पोस्टर लगाने को लेकर मारामारी हो गई। कहते हैं युवक कांग्रेस के विधानसभा स्तर के एक नेता मुख्यमंत्री के दरबार में नंबर बढ़वाने के लिए इतने उतावले थे कि बड़े नेताओं के बधाई पोस्टर के ऊपर अपना पोस्टर चिपकवा दिया। यहां तक कि मुख्यमंत्री के करीबी दो निगम-मंडल अध्यक्षों को भी नहीं बख्शा। जब बड़े नेताओं को पता चला तो उन्होंने खरी-खोटी सुनाई और कुछ लोगों ने हाथ भी साफ कर लिया। जमीन के धंधे से जुड़े युवक कांग्रेस के इस नेता पर पहले भी संगठन की छवि की परवाह किए बिना रौब-दाब दिखाने के आरोप लग चुके हैं। कहा जाता है वे जमीन के कारोबार में कुछ लोगों को चूना लगाने के मामले में भी चर्चित हैं। युवा नेता की हरकत से सत्ता के करीबी कुछ लोगों की त्योरियां अब भी चढ़ी हुई है। देखते हैं आगे क्या होता है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

 

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