अजय बोकिल
इसे ‘अंग्रेजी बनाम हिंदी’ के फ्रेम में न देखें तो भी इतना तो मान ही सकते हैं कि जो कहा गया कि वह हिंदी के सचबयानी के आग्रह को ही पुष्ट करता है। वरना देसी ‘उल्लू’ और अमेरिकी राष्ट्रपति के चरित्र के बीच क्या कोई समानता है? इसे बूझा अमेरिका में राष्ट्रपति के दोबारा उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की समर्थक एक एंकर ने। मंगलवार को उसका हैशटैग उल्लू सोशल मीडिया पर खासा ट्रेंड हुआ। अमेरिकी इस नई व्याख्या से हैरान थे तो (हिंदी जानने वाले) भारतीय अमेरिकी इस ‘उलूक वाक्य’ के खासे मजे लेते रहे।
हुआ यूं कि अमेरिकी चैनल फॉक्स न्यूज की प्रेंजेटर टॉमी लेहरन का एक वीडियो ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा, जिसमें वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कैंपेन पर बात करते हुए भारत में अपने फैंस को संबोधित कर रही हैं। वायरल वीडियो में टोमी ने कहा- ‘’भारत के मेरे सभी फैंस को हैलो, मैं आपका शुक्रिया अदा करती हूं क्योंकि आपने Make America Great Again एजेंडे का समर्थन किया है। क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप का कैंपेन अमेरिका को महान रखने पर है। क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप Owl की तरह बुद्धिमान हैं, जिसे आप लोग हिन्दी में ‘उल्लू’ कहते हैं।‘’
अमेरिकी इसे कितना समझे पता नहीं, लेकिन भारतवंशी अमेरिकियों के ट्वीट चलने लगे। एक ने कहा- ‘अगर आप बुद्धिमान हैं तो आखिर तक इंतजार करें।‘ दूसरे का ट्वीट था- ‘मेक अमेरिका उल्लू अगेन।‘ तीसरे ने लिखा- ‘हिंदी में इसका का अर्थ अपमान होता है..!’ टोमी का यह वीडियो उस वक्त वायरल हुआ, जब इसके कुछ समय पूर्व ही अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के कन्वेंशन में डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया।
इस राष्ट्रपति चुनाव में भारतवंशी अमेरिकी वोटरों पर दोनों पार्टियों की खासी नजर है। भारतवंशी वोटरों की संख्या करीब 10 लाख 20 हजार बताई जाती है। अपने विवादास्पद बयानों, अजीब हरकतों, अमेरिका में कोरोना से दो लाख मौतों, चीन से पंगे के बाद अमेरिका की डगमगाती माली हालत तथा नस्ली दंगे आदि कई ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से चुनाव में ट्रंप की हालत पतली बताई जाती है। ऐसे में भारतवंशी वोटरों का समर्थन उनके लिए संजीवनी हो सकता है। इसीलिए ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम की दुहाई देना भी शुरू कर दिया है।
मोदी जी तो पिछले साल ही अमेरिका में ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’ का नारा दे आए थे। फिर भी ट्रंप को खुटका इस बात का है कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव में 80 फीसदी भारतवंशी वोटरों ने ट्रंप के बजाए डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन को वोट किया था। लेकिन बदले हालात में उन्हें उम्मीद है कि भारतवंशी मतदाता भी ‘उलूक’ दृष्टि से काम लेंगे और इधर-उधर घूरने की बजाए ट्रंप बाबा को जिता देंगे। वैसे ट्रंप के पक्ष में भारतीयों को एक बात अपील कर सकती है कि कुछ मुद्दों पर ट्रंप सरकार की नीतियां भारत के समर्थन में रही हैं और इसके पीछे असली कारण भारत प्रेम से ज्यादा भारत को चीन से दूर रखना है। वैश्विक दादागिरी के मामले में चीन अब अमेरिका को तगड़ी चुनौती दे रहा है। ऐसे में भारत जैसे बड़े देश का साथ अमेरिका को भी चाहिए।
हालांकि अमेरिका में एक उल्लू पार्टी ‘द आउल पार्टी ऑफ वाशिंगटन’ ने कभी स्थानीय चुनाव में हिस्सा लिया था। सत्तर के दशक में इसकी स्थापना एक जॉज क्लब में कलाकार रेड कैली ने की थी। मजे की बात यह थी कि पार्टी के इस नाम में अंग्रेजी का owl शब्द संक्षिप्तीकरण था- ‘आऊट विथ लॉजिक, ऑन विथ ल्यूनेसी’ का। अर्थात तर्क के साथ, पागलपन के साथ। पार्टी का ध्येय वाक्य था हम हूट नहीं करते। यह पार्टी स्थानीय चुनाव में उतरी भी, लेकिन लोगों ने उसे खास तवज्जो नहीं दी।
अब सवाल ये कि फाक्स न्यूज चैनल को ऐसी अपील करने की जरूरत क्यों आन पड़ी? हालांकि भारतीय न्यूज चैनलों के आस्थावान दर्शकों को इसमें गैर कुछ भी नहीं लगा होगा, लेकिन अमेरिका में यह जरा असामान्य बात थी। क्योंकि वहां ट्रंप का मीडिया से पहले ही पंगा चल रहा है। बावजूद इसके फॉक्स न्यूज को ट्रंप समर्थक माना जाता है। अमेरिकी समाज में उल्लू बुद्धिमान और सजग प्राणी के तौर पर लिया जाता है, लेकिन भारतीय संदर्भ में इसका अर्थ बिल्कुल उलटा निकलता है।
ट्रंप के संदर्भ में कौन-सा अर्थ सटीक है, यह आप खुद समझ सकते हैं। क्योंकि भारतीय समाज में ‘उल्लू जैसा दिमाग’ या ‘सोच’ भी एक नकारात्मक और उपहासयोग्य गुण है। धन की देवी लक्ष्मी का वाहन होने का दैवीय दर्जा भी भारतीय मानस में उल्लू को उतना स्टेटस नहीं दिलवा सका है, जितना साहब के ड्राइवर को नसीब हो जाता है। अलबत्ता तंत्र विद्या में उल्लू के अंगों का खूब उपयोग होता है। उल्लू को लेकर पूरब और पश्चिम की सोच में उल्लू कहलाने की हद तक फर्क क्यों हैं, समझना मुश्किल है।
उल्लू का शिकार की तलाश में सतर्क होकर अहोरात्र जागना, जहां अमेरिका में सजगता की निशानी है, वहीं भारत में उल्लू का निशाचर होना एक नकारात्मक गुण है। शायद हम उल्लू की प्रकृति के बजाए उसकी आकृति पर ज्यादा ध्यान देते हैं। उसकी रात के अंधेरे में भी देख सकने वाली गोलमटोल बड़ी बड़ी आंखें और रात्रि में उसका डरावनी आवाज निकालना भय की मानसिकता को और पुख्ता करता है। वास्तव में उल्लू ऐसा कुछ भी नहीं करता, जिससे उसकी बुद्धिमत्ता या कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाया जा सके। फिर भी भारतीय मानस में उल्लू ‘अपशकुन’ का प्रतीक बन कर पैठा हुआ है। हमें उल्लू के बारे में वो पुराण कथाएं भी संतुष्ट नहीं कर पातीं, जिनमें कहा गया है कि उल्लू अपने साथ धन और समृद्धि लाते हैं।
प्रश्न उठता है कि एंकर टोमी ने ट्रंप को उल्लू की तरह तेज और समझदार क्यों बताया? अगर वो अमेरिकी अर्थ में ‘आउल’ से ट्रंप की तुलना कर रही थीं तो इसका भावार्थ उन्होंने भारतीय क्यों लिया? जहां तक हिंदी भाषा का सवाल है तो उल्लू के मामले में वो बेरहम है। मसलन वो किसी पार्टी के नेता तो छोडि़ए उसके अनुयायियों को ‘उल्लू का पट्ठा’ कहने से नहीं चूकती। अगर कोई किसी नेता या किसी विचार का अंध समर्थक है तो उसे ‘काठ का उल्लू’ कहा जाता है।
अमूमन जिसे नेता या चतुर व्यक्ति सत्ता में बने रहने या काम निकालने की अपनी हिकमत अमली मानते हैं, लोक मानस उसे ‘अपना उल्लू सीधा करना’ कहता है। जिस अंध भाव से लोग यह सब करते हैं, उसे ‘उल्लू बनना’ और इस क्रिया को ‘उल्लू बनाना’ कहा जाता है। यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर उस एंकर ने राष्ट्रपति ट्रंप की काबिलियत की तुलना ‘देसी उल्लू’ से क्यों की? वह चाहती तो ट्रंप को शेर, हाथी या चतुर लोमड़ी भी कह सकती थी।
अंग्रेजी में एक कहावत है- काम करो उल्लू की तरह और सोचो लोमड़ी की तरह। लेकिन भारतीय संदर्भ में ‘उल्लू की तरह काम करना’ असल में मूर्खता का डेमो देना है। तो क्या एंकर को राष्ट्रपति का दिमाग उल्लू की माफिक लगा? या फिर उसने यह सोचा कि भारतवंशी उल्लू पर रीझ कर उसे वोट दे देंगे? बिना यह सोचे कि ट्रंप के दोबारा आने का अर्थ अमेरिका, दुनिया और भारत के लिए क्या है?