जुबान फिसली है या दिल कि बात जुबां पर आई है?

राकेश अचल

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट की जुबान फिसलती है या उनके दिल की बात जुबान पर आती है, ये कहना बेहद कठिन है। अब उन्होंने कहा है कि आने वाले पंद्रह दिनों में राज्‍यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे और मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस्तीफा दे देंगे। तुलसी सपत्नीक कोरोना के शिकार हैं।

सांवेर में तुलसी सिलावट ने सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाये जाने की बात कहकर सभी को चौंकाया है। मुमकिन है कि उनके बयान में कुछ हकीकत भी छिपी हो और मुमकिन है कि उनकी जुबान एक बार फिर फिसल गयी हो। वे पहले प्रधानमंत्री को देश के लिए कलंक बता चुके हैं। तुलसी सिलावट आज से नहीं बल्कि एक लम्बे अरसे से सिंधिया के अलम्बरदार रहे हैं। सिंधिया की वजह से ही वे बिना चुनाव लड़े मंत्री भी बने हैं और उन्हें भारीभरकम विभाग भी दिया गया है इसलिए उनकी बात को हवा में नहीं उड़ाया जा सकता।

आपको याद है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों कोरोना के शिकार हैं और भोपाल के चिरायु अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उन्हें न किसी से मिलना चाहिए और न कोई काम करना चाहिए। लेकिन वे न केवल अस्पताल में अधिकारियों, विधायकों से मिल रहे हैं, अपितु वर्चुअल कैबिनेट की बैठक भी ले रहे हैं।  उनमें यदि असुरक्षा का भाव न होता तो मुमकिन है कि वे कोरोना प्रोटोकॉल न तोड़ते और बीमारी के दौरान अपना कामकाज किसी वरिष्ठ मंत्री को सौंपकर अपना इलाज कराते।  उनकी सक्रियता तुलसी के बयान को बल देती है।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया चूंकि हाल ही में राज्य सभा के लिए भाजपा के टिकिट पर निर्वाचित हुए हैं इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की जल्दबाजी नहीं की जा सकती, लेकिन मजबूरी का नाम गांधी के अलावा और कुछ भी हो सकता है। मुमकिन है कि प्रदेश में होने वाले दो दर्जन से अधिक विधानसभा उपचुनावों को देखते हुए सिंधिया को मुख्यमंत्री बना दिया जाये। चौहान वैसे भी थके-मांदे दिखाई दे रहे हैं और उनके चौथी बार मुख्यमंत्री बनने से भाजपा के ही अनेक नेताओं के पेट में दर्द हो रहा है।  चौहान से असंतुष्ट नेताओं का समर्थन भी सिंधिया को मिल सकता है।

सूत्रों का कहना है कि सिंधिया ने भाजपा में आने के बाद भाजपा के अलावा आरएसएस में भी अपनी पैठ बढ़ाने का प्रयास शुरू कर दिया है। सिंधिया हाल ही में संघ की निर्णायक महाराष्ट्र लॉबी के अनेक नेताओं से भी मिल चुके हैं।  कहने का आशय ये है कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है। तुलसी सिलावट ने यदि कोई बात कही है तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। क्योंकि किसी नेता की जुबान एक बार गलती से फिसल सकती है, बार-बार नहीं।

वैसे एक हकीकत ये है कि यदि सिंधिया को भाजपा प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दे तो वो प्रदेश में पांचवीं बार भी सरकार बनाने की गारंटी हासिल कर सकती है।  क्योंकि आज भी सिंधिया का प्रभामंडल चौहान के मुकाबले कहीं ज्यादा है और यदि उसमें सत्ता और जुड़ जाये तो ये प्रभामंडल दो गुना बढ़ सकता है।

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