अरुण पटेल
गुना जिले के जगनपुर चक में अतिक्रमण हटाने गए पुलिस कर्मियों द्वारा एक दलित परिवार की पिटाई का मामला राजनीतिक तूल पकड़ने लगा है और कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी दोनों एक दूसरे पर निशाना साधते हुए तगड़ी घेराबंदी करने में भिड़ गयी हैं। कांग्रेस ने जहां इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग के साथ ही शिवराज सरकार और स्थानीय प्रशासन की घेराबंदी का पूरा-पूरा प्रयास किया है वहीं भाजपा ने कांग्रेस पर राजनीति करने और सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया है।
जहां तक सरकारी कार्रवाई का सवाल है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आधी रात को ही आईजी ग्वालियर रेंज तथा जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक गुना का तबादला कर उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दे दिए ताकि यह मामला आगे तूल न पकड़े। लेकिन लगता है अब इस पर सियासत लम्बे समय तक गरमायी रहेगी, क्योंकि अब विधानसभा के 26 उपचुनाव होना हैं और हो सकता है कुछ और क्षेत्रों में भी उपचुनाव की नौबत आ जाये।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह की भूमिका की जांच कराने की मांग कर कांग्रेस को उलझाने की कोशिश की है लेकिन दिग्विजय सिंह ने तुरन्त पलटवार करते हुए गेंद उनके ही पाले में यह कहते हुए डाल दी कि वे इस मांग का स्वागत करते हैं और शिवराज इसकी जांच स्वयं शर्मा से करा लें। लेकिन इसके साथ ही इस बात की भी जांच होना चाहिए कि 15 साल से भाजपा सरकारों के कार्यकाल में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
घटना को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी तीखे तेवर दिखाये और भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी एकदम से एक्शन मोड में नजर आये। ऐसे में शिवराज को भी तुरन्त कड़े कदम उठाने पड़े। कमलनाथ ने कांग्रेस का सात सदस्यीय जांच दल घटनास्थल पर रवाना किया और उसने 17 जुलाई को पीड़ितों व अन्य लोगों से मुलाकात करने के बाद नौ सूत्रीय मांग करते हुए किसी वर्तमान न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने, दोषी पुलिस कर्मियों पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई करने, पीड़ित परिवार पर दर्ज प्रकरण वापस लेने, प्रशासनिक अमले द्वारा नष्ट की गयी फसल का मुआवजा देने, संपत्ति पर जो कर्ज है उसे चुकाने, शासन द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान करने की मांग की।
इसके साथ ही दो हेक्टर जमीन का पट्टा कृषि हेतु प्रदान करने तथा इलाज के दौरान पीडि़तों को सुरक्षा देने, बच्चों की शिक्षा का प्रबंध करने, गरीबी रेखा का राशनकार्ड और आवासीय भूखंड पर आवास बनाकर देने तथा समुचित इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर करने की मांगें भी शामिल हैं। कांग्रेस नेताओं ने इसके साथ चेतावनी दी कि इन मांगों के आधार पर यदि सरकार पीड़ित परिवार को मदद नहीं देगी तो उनका दल गरीब परिवार को न्याय दिलाने आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगा।
जांच दल का कहना था कि संबंधित परिवार प्रशासन से कुछ समय की मोहलत मांग रहा था लेकिन उसे इसके बदले लाठियां मिलीं। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह का कहना था कि परिवार के साथ जिस ढंग से बर्बरता की गयी उसकी पीड़ा जांच दल के सामने आई। जिस जमीन को लेकर यह विवाद हुआ उसी जमीन पर आठ माह पूर्व कांग्रेस शासनकाल में शांतिपूर्ण तरीके से कब्जा हटा दिया गया था, लेकिन भाजपा का शासन आते ही भाजपा जो बर्बरता सामने आई है उसकी निंदा पूरा देश कर रहा है।
पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन ने भाजपा से सवाल किया कि क्या शिवराज की पुलिस ने जैसा मंदसौर में किया वैसा ही करते रहना चाहती है। भोपाल की पूर्व महापौर विभा पटेल ने यह कहते हुए कि गरीब महिला के कपड़े फाड़ते हुए तनिक भी शर्म नहीं आई, आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति वर्ग के खिलाफ अत्याचार के आंकड़े भाजपा शासन में बढ़ रहे हैं और भाजपा समाज में विघटन पैदा कर रही है। दलित नेता फूलसिंह बरैया ने आरोप लगाया कि भाजपा हिंदू-मुस्लिम विद्वेष पैदा कर रही है, यह उसका अंतिम पायदान है उसके बाद वह कहीं नजर नहीं आयेगी।
इसके जवाब में भाजपा नेताओं ने संयुक्त पत्रकार वार्ता कर कांग्रेस पर दलितों को आगे कर राजनीतिक रोटियां सेंकने और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए भरोसा दिलाया कि इस दुखद घटना में जो भी दोषी होंगे वे बख्शे नहीं जायेंगे। नेताओं का कहना था कि यह सुनियोजित षडयंत्र है। शिवराज सरकार दलितों के प्रति संवेदनशील है और उन्होंने जिले के कलेक्टर, एसपी और रेंज के आईजी को हटाने में तनिक भी देर नहीं की। पूरे मामले की मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दे दिए गए हैं तथा जांच में जो भी दोषी पाया जायेगा उसे बख्शा नहीं जायेगा।
घटना का एक और पहलू बताते हुए इन नेताओं ने कहा कि शहर से पांच किमी दूर जगनपुर चक में 12 करोड़ रुपये की शासकीय 20 बीघा जमीन उत्कृष्ट महाविद्यालय के लिए कांग्रेस सरकार के समय आवंटित की गयी थी, समय रहते अगर महाविद्यालय का काम आरम्भ नहीं होता तो स्वीकृत राशि लेप्स हो जाएगी। 14 जुलाई को गब्बू पारदी को जैसे ही भनक लगी कि प्रशासन उसकी अतिक्रमण वाली जमीन का कब्जा हटाने आ रहा है तो उसने षडयंत्रपूर्वक एक दलित महिला को जहर पीने के लिए उकसाया ताकि प्रशासन डर कर पीछे हटे और जमीन पर उसका कब्जा बना रहे।
घटना के वीडियो देखने से स्पषट होता है कि राजस्व एवं पुलिस अमला जैसे ही मौके पर पहुंचा तो पूर्व नियोजित योजना के अनुसार गब्बू पारदी के इशारे पर किसान और उसकी पत्नी को जहर पीने के लिए उकसाया गया। घटनास्थल पर जहर उपलब्ध होना और सुनियोजित तरीके से हंगामा करना यह दर्शाता है कि यह घटना पूर्वनियोजित थी और कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है इसलिए वह इस घटना की आड़ में राजनीति करने का प्रयास कर रही है।
और यह भी
शिवराज ने गुना के दलित पिटाई मामले में आक्रामक होने पर कांग्रेस को आइना दिखाते हुए कहा कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में दलितों पर हुए अत्याचार में कभी कोई कार्रवाई नहीं की गयी और न ही कड़े निर्णय लिए गए। 14 जनवरी को सागर में धनप्रसाद अहिरवार को सरेआम मिट्टी का तेल डालकर जला दिया गया, शिवपुरी में शौच के लिए गए दो दलित बच्चों को दबंगों ने मार दिया और देवास में दलित परिवार के यहां विवाह में बारात के दौरान हमला हुआ तथा आलीराजपुर में आदिवासी भाई को पेशाब पिलाई गई परन्तु तब कांग्रेस सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।
एक पहलू यह भी है कि दलित पिटाई मामले की मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश कलेक्टर ने दिए तो हैं, यह जांच किसी एसडीएम या अपर कलेक्टर स्तर के आफीसर से कराई जाना है। किन्तु राज्य सरकार ने अपनी कार्रवाई में आईजी, कलेक्टर और एसपी को हटा दिया है, इसके साथ ही यह सवाल उठता है कि जब उक्त अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है तो क्या उनके नीचे का अफसर इसकी निष्पक्ष जांच कर पायेगा।
(लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं)