विकास दुबे मामले से क्या मध्यप्रदेश पुलिस सबक लेगी?

सतीश जोशी

विकास दुबे को लेकर मध्यप्रदेश पुलिस हाईअलर्ट पर थी। चाक चौबंद थी और इसीलिए उज्जैन में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यह सुनकर हंसी आती है। उज्जैन में गिरफ्तारी पर पीठ थपथपाती सरकार क्‍या इस प्रश्न का जवाब देगी कि वह पूरा राज्य पार कर उज्जैन कैसे पहुंचा? हाईअलर्ट आदेश था या जुमला? यदि यह आदेश था तो पूरे सड़क मार्ग पर पुलिस ने रोका क्यों नहीं? पूछताछ क्यों नहीं की गई?
उत्तरप्रदेश के दुर्दांत अपराधी को लेकर सचेत मध्‍यप्रदेश की पुलिस ने, उत्तरप्रदेश पासिंग याने यूपी नंबर वाली गाड़ी को रोककर पूछताछ क्यों नहीं की? आलसी और नींद में सोई पुलिस ने कानपुर में मारे गये आठ पुलिसवालों की जघन्य हत्या पर भी सबक नहीं सीखा।

इसे अवसर बनाओ
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा जी इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को अवसर में बदल दो। आपकी पुलिस जो नकली गुंडा अभियान चला रही है, उसे सही दिशा दो। गांव की चौपाल से, शहर के मोहल्ले से लेकर महानगर के माफिया तक को पुलिस जानती है कि कौन कितना बडा और छोटा अपराधी है। पीठ थपथपाइये आपका हक है, पर जनता को अपराधियों के भय से मुक्त कीजिए।  उत्तरप्रदेश पुलिस पर कानपुर कांड के बाद आरोप लग रहे हैं पर उत्तरप्रदेश सरकार गुंडों के खिलाफ सत्ता संभालने के समय से ही सख्त है। ऐसी ही कुछ सख्ती आप भी दिखाइयेगा।

सियासत जाति की
उज्जैन में विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद सियासत भी गरमा गई है। आरोप है कि उसे कई प्रमुख पार्टियों के नेताओं का संरक्षण हासिल था। दुबे की जाति के कुछ लोग सोशल मीडिया पर उसे अपनी जाति का शिरोमिण बताने में जुटे हुए हैं। मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के लोकसभा चुनाव में कानपुर प्रभारी होने के आरोप कांग्रेस की ओर से चस्पा किए गये। उनके ब्राह्मण होने को आधार बनाकर कुत्सित आरोप लगाने वाली राजनीति पर शर्म आती है।
वहीं उत्तरप्रदेश सरकार ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रही है। ऐसा हर जाति के अपराधियों को लेकर है। आखिर कोई अपराधी किसी जाति के कुछ लोगों के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों हो जाता है।

कमजोर तंत्र जिम्मेदार
राजनीति में अपराधीकरण तब बढ़ता है जब राज्य का तंत्र कमजोर या फेल हो जाता है। कुछ अपराधी किस्म के लोग अपनी जाति में यह प्रचार करने में कामयाब हो जाते हैं कि अगर इस जाति का सीएम है तो दूसरी जाति की नहीं सुनी जा रही है। यह कहते-कहते वो उस जाति का कथित तौर पर संरक्षण करने लगता है। वो राज्य के सिस्टम के बीच अपना एक साम्राज्य खड़ा कर लेता है।

सियासत बढ़ावा देती है
ऐसे बदमाश कुछ लोगों के लिए रॉबिनहुड भी बन जाते हैं। उसमें आइकॉन दिखाया जाने लगता है। जबकि वे दूसरी जाति के लोगों के लिए खौफ बन जाते हैं। राजनीति संख्या बल का खेल है, इसलिए पार्टियां ऐसे प्रभावशाली लोगों को टिकट दे देती हैं और इस तरह वे सियासत में भी आगे बढ़ते चले जाते हैं।

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