यह चिट्ठी आपको जरूर पढ़नी चाहिए

उत्‍तरप्रदेश के आंबेडकर नगर जिले के डीएम ने कोरोना युद्ध के दौरान अपने एक साथी डॉक्‍टर की मौत के बाद जो पोस्‍ट लिखी है उसे देश में कोरोना महामारी से लड़ रहे सभी लोगों को जरूर पढ़ना चाहिए।

आंबेडकर नगर के महात्मा ज्योतिबा फुले संयुक्त जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संत प्रकाश गौतम पिछले दिनों जिंदगी की जंग हार गए। उनके निधन पर जिले के डीएम राकेश मिश्र की यह भावुक पोस्‍ट हम यहां शेयर कर रहे हैं-

जाना एक बहादुर योद्धा का

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हाँ सर… हाँ सर…

मोबाइल कॉल को रिसीव करने की आवाज़ होती… कभी रात के 2 बजे और कभी भोर के 5 बजे भी… । देखिए लाइन बहुत लम्बी हो रही है… लोग घंटों से खड़े हैं,  अभी स्क्रीनिंग पटल बढ़वाता हूँ सर… जवाब होता

मेरे पहुँचने से पहले ही वह उपस्थित मिलते… नाम सन्त प्रसाद गौतम… मुख्य चिकित्सा अधीक्षक… काम विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के मुखिया… 30 लाख आबादी के ज़िले के हज़ारों मरीज़ों… सैकड़ों गर्भवती महिलाओं को 24×7 चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाना…। कभी भी कोई पहुँचे… वह उपस्थित मिले… एक आदर्श चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करायी… जिसके लिए उन्हें व जनपद को प्रशंसा मिलती।

फिर कोरोना का दौर आया… दिन रात प्रवासी मज़दूरों का आगमन, पैदल… साइकिल… बस… ट्रक… श्रमिक ट्रेनें, … चौबीसों घंटे कोरोना की जाँच चलती रहती… सबके भोजन…, विश्राम,  परिवहन की ज़िम्मेदारी में जिले का हर अधिकारी और कर्मचारी लगा हुआ था… डॉक्टर गौतम के ज़िम्मे Covid hospital की भी ज़िम्मेदारी थी… जहां संक्रमित मरीज़ भरती हैं…

उन्ही में से एक मरीज़ के कमरे में round के दौरान डॉक्टर गौतम संक्रमित होते हैं, पर सेवा के भाव में साथी डॉक्टर जान नहीं पाते हैं कि वह लगातार असहज हो रहे… बात जब मालूम हुई… संक्रमण फेफड़े में था… तुरंत विशेषज्ञों की टीम लगती है… परन्तु अंग एक के बाद एक साथ देना छोड़ रहे हैं… हम सभी रो रहे हैं… पर हर कोई काम में लगा है!

आज हर उम्मीद को तोड़ती ख़बर आयी… हम सब लखनऊ भागे… अंतिम विदाई, पूरा परिवार था… पर body bag में सील्ड देह थी… अंतिम दर्शन… मुख देखना नहीं हो सका… बिजली शवदाह गृह के कर्मचारी अपने विशेष वस्त्र पहनने लगे… हमें भी अपने पाँव, सर, हाथ, मुँह सब ढंकना था… वहाँ सबकी पहचान खो गयी सहसा… आपस में गुत्‍थमगुत्था होकर विलाप करता परिवार… सड़क के इस पार ही खड़ा रहा… बेटी ने रोते हुए मुझसे कहा… बहुत बिज़ी रखा आप लोगों ने… पिता की सेहत ख़राब होती रही… मैंने हाथ जोड़े… और क्या कहता?

समय का यह दौर… मैं सोचता था… निकल जाएगा एक दिन,  भूल जाऊँगा सब कुछ… डॉक्टर गौतम का यूँ जाना इसे अब भूलने भी नहीं देगा… मैं लखनऊ से वापस मुख्यालय लौट रहा हूँ…

कल हम सभी उस लड़ाई को आगे बढ़ाएँगे… जिसे डॉक्टर गौतम ने जी जान से लड़ा… अलविदा डॉक्टर सन्त प्रसाद गौतम,  आप को हम भूल नहीं पाएँगे…

राकेश मिश्र/ डीएम आम्बेडकर नगर

9 जून 2020

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