डॉ. सुरेंद्र मीणा
घोषित लॉक डाउन के चलते घरों में रहने के दिन…
सब कुछ अकल्पनीय, असहनीय सा, अभूतपूर्व..
इन दिनों में कई तीज़-त्योहार भी हमारे करीब से निकल गए…पता ही नहीं चला।
पता चला भी तो हम अलग से (? ) कुछ कर ही नहीं पाए।
10 मई को विश्व मातृ दिवस (World Mother’s Day ) भी हर वर्ष की तरह आया। बहुत सारी माताओं के सोशल मीडिया के माध्यम से दर्शन हुए। माँ की कमी रही, हर बार की तरह मेरे लिए, लेकिन कई माताओं के साक्षात चित्र देख उन्हें कोटिशः वन्दन कर यह जरूर महसूस किया कि वे लोग बहुत भाग्यशाली हैं जिनके घरों में आज माँ हैं।
ख़ैर….
आज बात ‘ संकल्प-2020’ की..
आज भी हम घरों में हैं और अगले कुछ दिन और संभवत: घरों में रहना है। तो आइये भविष्य के लिए कुछ संकल्पों पर बात कर लें…
- कोरोना संक्रमण के चलते हमारी जीवन शैली में पिछले 50 दिनों में जो बदलाव हमनें ख़ुद में महसूस किया हैं, वह अब हमारे जीवन में अनवरत रहें, यह संकल्प जरूरी हैं।
- खर्च और फिजूलखर्च में एक बड़ा अंतर आज हमारी आँखों के सामने है। इस स्थिति को स्थाई बनाने के लिए अब हमारी आँखे सदा खुली रहें।
- हमने मातृत्व दिवस मनाया…क्या असल में इस दिवस के मायने समझ पाएँ हैं हम अब तक.. जाने अनजाने ही सही बात बात पर हमारे मुख से माँ-बहन-बेटी की गालियाँ निकलती हैं और वो भी घर से बाहर न होकर घर के अंदर ही अपने परिजनों की मौजूदगी में…। यक़ीनन ऐसे में हमें यह दिवस मनाने का अधिकार भी नहीं, क्योंकि आपकी पूजा-आराधना स्त्री स्वरूप में कोई भी दैवीय शक्ति कभी स्वीकार नहीं कर सकती। इसमें बदलाव का संकल्प जरूरी हे।
- संक्रमण काल में यह बात भी सामने आई है कि थूकने से संक्रमण का खतरा 80 प्रतिशत बढ़ जाता है। फिर क्यों कुछ भी उजूल-फ़जूल खा कर यहाँ वहाँ थूकना और अब तो क्यों खाना और क्यों थूकना। खुद में सुधार की इस जरूरत को हम महसूस करें।
5 . सदैव संकीर्ण और नकारात्मक सोच ने आज आपको क्या दिया? आत्ममंथन करके देखिए? बहुत सारे कीड़े आपकी आँखों के सामने रेंगते नज़र आएंगे। इन्हें आज ही मार दीजिए, क्योंकि आपने जीवन का बहुत सारा वक़्त इनके पीछे बरबाद किया है। बाहर आ जाइए.. क्योंकि ये ज़िन्दगी फिर कभी यूँ नहीं मिलने वाली…
- दुनिया में आए इस भयावह संक्रमणकाल ने साबित कर दिया कि दुनिया में भलाई की गेंद जितनी ताक़त से आसमान की तरफ उछाली जाए उतनी ही रफ्तार से वह नीचे आकर पता नहीं कितनी बार टप्पा खाती है। भलाई और इंसानियत ने इन दिनों में पता नहीं कितनी बार आँखें नम की हैं।
निःस्वार्थ भाव और ईमानदारी से इंसानियत और मानवता के लिए किए गए सभी प्रयासों को साधुवाद…
अगर आप इनमें भागीदार नहीं बने हैं तो आज ही बनने का संकल्प लीजिए। आपके हाथ से फेंकी गई गेंद भी बहुत दूर जाएगी.. इतना आत्मविश्वास जरूर होना चाहिए।
- आवश्यकता आविष्कार की जननी है,यह विदित है.. इन दिनों में हमारे नाखून-बाल बढ़ने के साथ हमारे विचारों का सकारात्मक दायरा कितना हम बढ़ा पाए? पता कीजिए ख़ुद ही… फिर देखिए, आपको पता चलेगा कि हमने क्या खोया और क्या पाया?
8 . दिखावे और आडंबर को व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में घर मत बनाने दीजिए। इनका सहारा लेकर आप किसे संतुष्ट करना चाहते हैं, खुद को? … तो बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में हैं आप…
आपके प्रत्येक कार्य की निगरानी के लिए एक स्थायी CC TV ईश्वर की तरफ से लगाया हुआ है। चित्रगुप्त के बहीखाते में रोज का डाटा फीड हो रहा है फिर… क्या छुपाया जा सकता है आपकी तरफ से…?
और भी बहुत कुछ है स्वविवेक, आत्मचिंतन, आत्ममंथन के साथ आभासी दुनिया से परे एक संकल्प के साथ जीने के लिए..
कोशिश कीजिए….
संकल्प से मिली सफलता लॉक डाउन के दिनों के हिसाब में जुड़ जाएगी आजीवन…
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टीम मध्यमत