मां, एक हृदयस्‍पर्शी कविता

सतीश उपाध्‍याय

माँ !

तुम्हारा साथ हमारे आश्वस्तिमूलक जीवन की गारंटी है।

माँ!

तुम्हारी गोद का सिरहाना जीवन भर की थकान को मिटाने वाला है।

माँ!

तुम्हारे ममतामयी आँचल की छाँह जीवन की तपिश से राहत देने वाली है।

माँ!

माथे पर तुम्हारा हाथ वह रक्षा कवच है जिसे कोई दिव्यास्त्र भी नहीं भेद सकता।

माँ!

तुम्हारा स्पर्श सारी वेदनाओं को समाप्त कर देने वाला है।

माँ!

तुम्ही वह गुरु हो जो पुत्र को गोविंद से मिलाती है।

माँ!

तुम बिना किसी जप, तप, साधना, प्रार्थना अथवा याचना के सर्वस्व प्रदान कर देती हो।

माँ!

तुम्हारा त्याग अनिर्वचनीय है क्योंकि तुम अपने लिए कभी कुछ नहीं चाहती।

माँ!

दुनिया का कोई ऐसा अपराध नहीं जिसे तुम क्षमा न कर सको।

माँ!

तुम्हारी तुलना किसी से नहीं की जा सकती।

माँ!

तुम जीवन भर आशीषों के मणि माणिक्य लुटाती रहती हो।

माँ!

तुम्हारा आशीष अमोघ है वह अवश्य ही फलीभूत होता है।

हे माँ!

तुम्हारा स्थान जगत में सर्वोच्च है जो दूसरा कोई नहीं ले सकता।

माँ!

तुम सर्व जगत में सदा सर्वदा वंदनीय हो।

————————————-

निवेदन

कृपया नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर मध्‍यमत यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।

https://www.youtube.com/channel/UCJn5x5knb2p3bffdYsjKrUw

टीम मध्‍यमत

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here