सागर/ डॉ। हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के टीचिंग लर्निंग सेंटर एवं राज्य शिक्षा केंद्र, भोपाल ने मिलकर राज्य स्तरीय वेबिनार में “कोरोना संकट काल में अकादमिक गतिविधियाँ एवं चुनौतियाँ : एक चिन्तन” विषय पर विमर्श किया। वेबिनार में मध्यप्रदेश के सभी जिलों की डाइट, शिक्षा महाविद्यालय, प्रगत शिक्षा अध्ययन केंद्र, संभाग के शिक्षा अधिकारी, परियोजना अधिकारी एवं राज्य शिक्षा केंद्र के शैक्षिक प्रशासक सम्मिलित हुए।
उद्घाटन सत्र में सागर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. तिवारी ने कहा कि छात्रों की पढाई के नुकसार की भरपाई ऑनलाइन माध्यम से करने कि आवश्यकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा में तकनीक और शिक्षा का रिश्ता प्राचीन है ।
लोकेश कुमार जाटव, आयुक्त, राज्य शिक्षा केंद्र, ने कहा कि प्रगतिशील विचार ही शिक्षा में परिवर्तन कर सकता है, केवल चाक-डस्टर से अब शिक्षा संभव नहीं है । कोरोना संकट काल में हमें शिक्षा में तकनीक से जुड़ने की आवश्यकता है। कोरोना संकट को अवसर में बदलने कि जरूरत है।
प्रथम सत्र में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान, नई दिल्ली के प्रो. चंद्रभूषण शर्मा ने “ कोरोना काल में विद्यालय एवं शिक्षक की भूमिका” विषय पर बताया कि ज्ञान के निर्माण के बजाय ज्ञान सामग्री का वितरण आवश्यक है, शिक्षक ऑनलाइन सामग्री की पहचान कर उन्हें बच्चों को उपलब्ध कराए।
टाटा समाज विज्ञान संस्थान के प्रो. अजय कुमार सिंह ने बदलते हुए परिदृश्य में ज्ञान की अवधारणा, संरचना एवं प्रक्रिया में हो रहे बदलाव को रेखांकित किया। कहा कि ऑनलाइन शिक्षा सिर्फ तकनीक नहीं है बल्कि विषयवस्तु भी है। वर्तमान में लर्निंग आउटकम को दुबारा समझने की आवश्यकता है।
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. ज्ञानेश कुमार ने कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य विषय पर कहा कि मानवता के समक्ष अब नई चुनौतिया आ रही हैं, जिसके लिए विद्यालय एवं शिक्षकों को तैयार रहना होगा। शिक्षा नीतिकारों को अब व्यापक तरीके से सोचना होगा।
प्रथम सत्र के अंतिम व्याख्यान में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के श्री अजय कुमार चौबे ने बताया कि हमारा ध्यान सिर्क पाठ्यक्रम पूरा करने पर नहीं होना चाहिए। यह ऐसा समय है जब हम बच्चों को मानव सभ्यता एवं सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ा सकते है। मध्यम एवं उच्च वर्ग का सारा ध्यान इस कोरोना काल को खाली समय के रूप में व्यतीत करने में है जबकि गरीब, मजदूर एवं किसान के लिए यह उसके अस्तित्व के संकट के साथ जुड़ा है।
अगले सत्र में डॉ. रितु पाण्डेय शर्मा, संपादक, बीईंग माइंडफुल ने कोरोना काल में मनोवैज्ञानिक एवं भावात्मक देखभाल विषय पर कहा कि यह संकट मानवता के इतिहास में अनोखा है, सम्पूर्ण मानवता को इसे एक अवसर के रूप में लेने की आवश्यकता है। ऐसा करके हम बेहतर और संवेदनशील दुनिया का निर्माण कर सकते है। माता-पिता एवं शिक्षकों को इस समय बच्चों एवं किशोरों के साथ तालमेल बनाते हुए उन्हें सामाजिक मूल्य, नैतिकता, सद्भाव एवं सह-अस्तित्व के प्रति सजग-जागरूक बनाने कि दिशा में काम करना चाहिए।
गुरुगोविंद सिंह विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की प्रो. सरोज शर्मा ने कोरोना संकट का शिक्षा क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव एवं प्रशासनिक स्तर पर शिक्षक-प्रशिक्षण विषय पर विचार रखे। कहा कि कोरोना ने मानवीय सभ्यता को उसके द्वारा किये गये अब तक के कार्यों पर सोचने के लिए विवश किया है। आज प्रशिक्षण के साथ साथ विषय सामग्री की पहचान एवं उसको बच्चों तक कैसे सहज और सरल तरीके से पहुंचाए इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है । एनसीईआरटी के सचिव मेजर हर्ष कुमार ने कोरोना संकट में विद्यालयी शिक्षा के संदर्भ में उनके संस्थान द्वारा किये जा रहे कार्यों के विषय में बताया।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पूर्णिमा त्रिपाठी ने केंद्र सरकार के इस मिशन के तहत किये जा रहे कार्यों के बारे विस्तृत चर्चा की और मध्यप्रदेश की प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरुण शमी एवं शिक्षा आयुक्त लोकेश कुमार जाटव एवं अतुल दनायक द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सागर विश्वविद्यालय का यह प्रयास अनूठा है और इसको लगातार किये जाने कि आवश्यकता है।