2010 में चर्चित फिल्मकार प्रकाश झा की एक फिल्म आई थी- ‘राजनीति।‘ इसकी ज्यादातर शूटिंग मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई थी। अजय देवगन, रणबीर कपूर, कैटरीना कैफ, नसीरुद्दीन शाह, नाना पाटेकर, मनोज वाजपेयी और अर्जुन रामपाल जैसे कलाकारों वाली यह फिल्म काफी चर्चित रही थी। उसी फिल्म में एक जनसभा में ‘राष्ट्रवादी पार्टी’ के नेता के तौर पर मनोज वाजपेयी अपने भाषण में कहते हैं-
‘’बौखला गए हैं वो, खलबली मच गई है, बदहवासी छाई है, सिंगल पाइंट एजेंडा है कि कैसे हमारी एकता तोड़ें, अरे भाइयो, राष्ट्रवादी की जड़ें इतनी कमजोर नहीं हैं कि इन हादसों से हिल जाएं। बेबुनियाद आरोप, मनगढंत स्कैंडल्स और खोद खोद के कीचड़ उछाल रहे हैं हम पर… मगर आसमान में थूकने वाले को शायद यह पता नहीं है कि पलट के थूक उन्हीं के चेहरे पर गिरेगा… करारा जवाब मिलेगा… करारा जवाब मिलेगा…’’
22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में, दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनकर मुझे मनोज वाजपेयी का वही भाषण याद आ गया। खासतौर से फिल्मी भाषण का वह वाक्य- करारा जवाब मिलेगा… करारा जवाब मिलेगा…
रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री की रैली कहने को दिल्ली के चुनाव अभियान का आगाज थी, लेकिन सभी को पता था कि इसमें निशाना कहीं और लगने वाला है। इसका संकेत उसी समय मिल भी गया था जब नरेंद्र मोदी ने भारत माता की जय के नारों से अपने भाषण की शुरुआत करने के बाद, वहां मौजूद विशाल जनसमूह से ‘विविधता में एकता, भारत की विशेषता’ का नारा लगवाया।
उसके बाद शुरुआत में दिल्ली की अवैध कॉलोनियों को वैध करने वाले बिल का जिक्र करते हुए मोदी ने करीब 20 मिनिट दिल्ली और उसके विकास पर बात की। फिर वे आज के सबसे खास मुद्दे यानी नागरिकता संशोधन कानून पर आए और करीब एक घंटे तक उन्होंने न सिर्फ इस कानून को लेकर जताई जा रही आपत्तियों पर सफाई दी बल्कि कानून का विरोध करने वालों को आड़े हाथों भी लिया।
मोदी ने इशारों ही इशारों में बहुत सारी बातें कह दीं। जैसे उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों को परोक्ष रूप से संसद के विरुद्ध खड़ा कर दिया। मोदी ने लोगों से खड़े होकर उस संसद का सम्मान करने को कहा जिसने यह बिल पास किया। आपको याद होगा ठीक ऐसा ही काम उन्होंने धारा 370 खत्म करने वाले बिल के पास होने के बाद अमेरिका में अपनी एक सभा में भी किया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में मोदी ने ह्यूस्टन के ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में उस फैसले के लिए लोगों से खड़े होकर भारतीय संसद का सम्मान करने को कहा था।
देश में इस समय नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस कानून को लेकर तरह तरह की बातें कही जा रही हैं। इसे एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजंस से जोड़कर देखते हुए उसके कथित दुष्परिणामों और उसके कारण होने वाले उत्पीड़न को लेकर बहुत कुछ कहा जा रहा है। मुस्लिम समुदाय में सबसे ज्यादा भ्रांति इसी बात पर है।
प्रधानमंत्री ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि- नागरिकता संशोधन कानून भारत के किसी नागरिक के लिए, चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान, है ही नहीं। इस कानून का इस देश के अंदर रह रहे 130 करोड़ लोगों से कोई वास्ता नहीं है।
उन्होंने कहा- ‘’अब भी जो भ्रम में हैं, मैं उन्हें कहूंगा कि कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई ‘डिटेन्शन सेंटर’ की अफवाह सरासर झूठ हैं। जो हिंदुस्तान की मिट्टी के मुसलमान हैं, उनसे नागरिकता कानून और एनआरसी दोनों का ही कोई लेना-देना नहीं है। नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद कुछ राजनीतिक दल तरह-तरह की अफवाहें फैलाने में लगे हैं, लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, भावनाओं को भड़का रहे हैं।‘’
इसी क्रम में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देश भर में हुए प्रदर्शनों और उनमें हुई हिंसा का जिक्र करते हुए मोदी बोले- ‘’स्कूल बसों पर हमले हुए, ट्रेनों पर हमले हुए, मोटर साइकिलों, गाड़ियों, छोटी-छोटी दुकानों को जलाया गया, भारत के ईमानदार टैक्सपेयर के पैसे से बनी सरकारी संपत्ति को खाक कर दिया गया। मैं इन लोगों को कहना चाहता हूं कि मोदी को देश की जनता ने बैठाया है, ये अगर आपको पसंद नहीं है, तो आप मोदी को गाली दो, विरोध करो, मोदी का पुतला जलाओ। लेकिन देश की संपत्ति मत जलाओं, गरीब का रिक्शा मत जलाओ, गरीब की झोपडी मत जलाओ।‘’
इतना ही नहीं मोदी ने प्रदर्शनकारियों से निपटने वाली पुलिस का भी खुलकर बचाव किया। उन्होंने कहा- ‘’पुलिस वालों को अपनी ड्यूटी करते समय हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है। जिन पुलिसवालों पर ये लोग पत्थर बरसा रहें हैं, उन्हें जख्मी करके आपको क्या मिलेगा? …लोग उपदेश दे रहे हैं, लेकिन शांति के लिए और हिंसा रोकने के लिए एक शब्द बोलने को तैयार नहीं। इसका मतलब है कि हिंसा को, पुलिस पर हो रहे हमलों को उनकी मौन सहमति है।‘’
ऐसा नहीं है कि संसद में नागरिकता कानून पास होने के बाद से सरकार इस बारे में कुछ नहीं बोली है। संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में जब इस बिल पर बहस हुई थी तो विपक्ष की तमाम शंकाओं और सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें निराधार ठहराया था। खुद प्रधानमंत्री उसके बाद अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों खासतौर से झारखंड की चुनावी रैलियों में इस कानून को लेकर सफाई दे चुके हैं। लेकिन विरोध और हिंसा का दौर उसके बाद भी जारी है।
ऐसा लगता है कि इस विरोध ने सरकार पर दबाव जरूर बनाया है। इसीलिए रामलीला मैदान से प्रधानमंत्री की सफाई बहुत विस्तार से आई है। उन्होंने कानून का विरोध करने वालों से लेकर पूरे देश को यह बताने की कोशिश की है कि सरकार की नीयत में कोई खोट नहीं है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री के स्तर से आई इस सफाई को इसका विरोध करने वाले लोग, खासतौर से मुस्लिम समाज क्या स्वीकार करेगा?
यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि यह देश की जनता और एक चुने हुए प्रधानमंत्री के बीच भरोसे से जुड़ा सवाल है। प्रधानमंत्री के भाषण से एक बात तो साफ है कि सरकार इस बिल को वापस लेने जैसा कोई कदम उठाने नहीं जा रही। ऐसे में विपक्ष और विरोध में खड़े लोगों के पास दो ही रास्ते हैं, या तो वे सरकार की बात पर भरोसा करें या फिर अपना विरोध जारी रखें… देखना होगा वे इनमें से कौनसा रास्ता चुनते हैं?