श्रीलंका से आने वाली हवाएं भारत के लिए ठीक नहीं हैं

भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान में किसी ने भी हालांकि इस बात को मुद्दा नहीं बनाया है लेकिन मामला बहुत गंभीर है। श्रीलंका में ईस्‍टर संडे के दिन करीब 300 लोगों की जान लेने वाले सीरियल बम ब्‍लॉस्‍ट को लेकर वहां के सेना प्रमुख के हवाले से जो खबरें छपी हैं वे इस बात की आशंका के संकेत दे रही हैं कि पड़ोसी देश में हुई इस जघन्‍य आतंकी घटना में शामिल कुछ लोगों को कथित तौर पर भारत में ट्रेनिंग मिली थी।

श्रीलंका के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल महेश सेनानायके ने बीबीसी को एक इंटरव्‍यू दिया है। उसी इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा कि जो लोग इस आत्‍मघाती विस्‍फोट श्रृंखला में शामिल थे वे भारत के कुछ राज्‍यों में भी गए थे। उन्‍होंने कश्‍मीर, केरल और बेंगलुरू की यात्रा की थी। इसे देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आतंकी घटना के तार विदेश से भी जुड़े हैं।

जब सेनानायके से पूछा गया कि आत्‍मघाती दस्‍ते के लोगों की कश्‍मीर, केरल और बेंगलुरू यात्रा के पीछे वे क्‍या मकसद देखते हैं तो श्रीलंका सेना प्रमुख का जवाब था कि पक्‍के तौर पर तो नहीं कहा जा सकता लेकिन निश्चित तौर पर ऐसा या तो किसी ट्रेनिंग के लिए किया गया होगा या फिर श्रीलंका से बाहर किसी विदेशी संगठन से संपर्क के लिए।

अगर कोई साधारण समय होता तो सेनानायके का यह बयान बहुत बड़े विवाद का कारण बन सकता था, क्‍योंकि भारत के एक महत्‍वपूर्ण पड़ोसी देश का सेना प्रमुख परोक्ष रूप से यह कह रहा है कि उसके यहां हुई इतिहास की सबसे बड़ी आतंकी घटनाओं में से एक घटना के तार भारत से जुड़े हैं। और न सिर्फ तार जुड़े हैं, बल्कि हो सकता है कि आत्‍मघाती हमलावरों को भारत में ही ट्रेनिंग दी गई हो।

जरा ध्‍यान दीजिए। सेनानायके ने तीन जगहों का जिक्र किया है। कश्‍मीर, केरल और बेंगलुरू। इनमें से कश्‍मीर के बारे में तो किसी को कोई संशय नहीं कि वहां आतंकी गतिविधियां आज भी बदस्‍तूर जारी हैं और वहां पाकिस्‍तानपरस्‍त आतंकी संगठनों का अच्‍छा खासा नेटवर्क भी काम कर रहा है। जाहिर है यह नेटवर्क आत्‍मघाती हमलावरों को तैयार करने और उन्‍हें ट्रेनिंग देने जैसे कामों में भी शामिल होगा।

लेकिन जब सेननायके कश्‍मीर के साथ-साथ केरल और बेंगलुरू का भी नाम लेते हैं तो मामला गंभीर हो जाता है। मतलब केरल और बेंगलुरू जैसी जगहों पर भी ऐसा नेटवर्क अपनी गतिविधियां चला रहा है जो आत्‍मघाती हमला करने की ट्रेनिंग भी देता है। यानी यह जाल भारत के धुर उत्‍तर से धुर दक्षिण तक फैल चुका है।

हमें नहीं भूलना चाहिए कि अभी अभी भारत को एक बड़ी सफलता मिली है जब लंबे समय की कोशिशों के बाद पाकिस्‍तानी आतंकवादी मसूद अजहर को संयुक्‍त राष्‍ट्र ने अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकी घोषित किया है। इससे पहले मसूद अजहर को अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकी घोषित करवाने की भारत ने जब जब कोशिश की संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में चीन ने अड़ंगा लगा दिया था। लेकिन इस बार चीन ने कोई फच्‍चर नहीं फंसाया और अंतत: मसूद अजहर के खिलाफ फैसला हो गया।

मसूद अजहर पर आरोप है कि भारत में हुए कई बड़े आतंकी हमलों के पीछे उसी का दिमाग काम करता रहा है। इन घटनाओं में प्रमुख रूप से संसद पर हमला, पुलवामा हमला और पठानकोट हमले का जिक्र होता है। फरवरी में हुए पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी भी जैश-ए-मोहम्मद ने ही ली थी जिसका सरगना मसूद अजहर ही है।

भारत का पाकिस्‍तान पर और वहां के आतंकी सरगनाओं पर सबसे बड़ा आरोप ही यह रहा है कि वे लोग पाकिस्‍तान में आत्‍मघाती हमलावरों को तैयार करते हैं, उन्‍हें आतंक फैलाने के लिए तरह-तरह की ट्रेनिंग दी जाती है और फिर सीमावर्ती इलाकों में फैले अपने नेटवर्क के जरिये ये लोग भारत में प्रवेश कर घटनाओं को अंजाम देते हैं।

भारत ने मोदी सरकार के समय दो प्रमुख सर्जिकल स्‍ट्राइक की हैं। एक उरी में सैन्‍य कैम्‍प पर हुए हमले के बाद पाक अधिकृत कश्‍मीर में और दूसरी पुलवामा की घटना के बाद बालाकोट में। इन दोनों ही घटनाओं में भारत ने दावा किया कि हमारी सेना के जवानों ने पाकिस्‍तान में घुसकर वहां चल रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविरों और शरण स्‍थलों को तबाह किया। भारतीय सेना की कार्रवाई में कई आतंकी मारे गए।

यानी भारत स्‍वयं पड़ोसी देश में चल रहे आतंकी अड्डों और वहां के ट्रेनिंग कैंप्‍स में आतंकियों को दी जा रही ट्रेनिंग का शिकार रहा है। ऐसे में यदि खुद उस पर प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से यह आरोप लगाया जा रहा है कि उसके यहां भी आतंकी ट्रेनिंग पा रहे हैं या वहां रहकर अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकी संगठनों से मेलजोल बढ़ा रहे हैं तो यह बहुत चिंता की बात है।

श्रीलंका की घटना के बाद ये खबरें प्रमुखता से छपी थीं कि भारत ने पड़ोसी देश को पुख्‍ता सूचनाएं देते हुए पहले ही आगाह कर दिया था कि उसके यहां कोई बड़ी वारदात हो सकती है। यह बात श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से लेकर सेना प्रमुख महेश सेनानायके ने भी स्‍वीकार की है। उन्‍होंने इसे अपनी बड़ी चूक मानते हुए कहा भी है कि इन सूचनाओं को समझने और एहतियाती इंतजाम करने में उनसे भारी गफलत हुई।

लेकिन इंटेलीजेंस इनपुट को समझने में हुई चूक स्‍वीकार करने के बावजूद श्रीलंका यदि यह कह रहा है कि वह जिस भयानक आतंकी हमले का शिकार हुआ है उसके तार भारत से जुड़े हैं तो यह हमारी साख पर सवाल उठाने जैसा है। खासतौर से उस समय जब भारत अंतर्राष्‍ट्रीय जगत में खुद को आतंकवाद से पीडि़त बताता रहा हो और चुनाव के दौरान सत्‍तारूढ़ दल के नेता लगातार यह दावा कर रहे हों कि उन्‍होंने आतंकवाद के खिलाफ बहुत सख्‍त और मजबूत कार्रवाई की है।

आज चुनावी हो हल्‍ले में भले ही सेनानायके के बयान की गंभीरता पर किसी का ध्‍यान न जाए। भले ही उनका कथन हमारे यहां चुनाव का मुद्दा न बने,लेकिन भारत को श्रीलंका के इस कथन पर आज नहीं तो कल सोचना ही होगा। यदि वहां के सेना प्रमुख की बात में दम है तो यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है और यदि ऐसा नहीं है तो हमें इसका सख्‍ती से प्रतिकार करना चाहिए। क्‍योंकि यह भारत की छवि खराब करने वाला बयान है।

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