दुनिया बहुत बड़ी है फन्ने – आज की कविता

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राकेश अचल

दुनिया बहुत बड़ी है फन्ने
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दुनिया बहुत बड़ी है फन्ने
बाहें खोल खड़ी है फन्ने

तैयारी कर लेना पक्की
प्रतियोगिता कड़ी है फन्ने

सत्ता झूठों के हाथों में
खतरे में पगड़ी है फन्ने

लोकतंत्र के लिए सदी की
सबसे कठिन घड़ी है फन्ने

गाली,गुप्ता,आनाकानी
जैसे एक लड़ी है फन्ने

जर्जर है क़ानून व्यवस्था
सांकल में जकड़ी है फन्ने

राजनीति बदबू देती है
बेहद गली-सड़ी है फन्ने

नाच रहे सब ता-था थैया
ऐसी लाल छड़ी है फन्ने

सूरत, सीरत कुछ मत पूछो
पहले से बिगड़ी है फन्ने

चौकीदारी राजधर्म है
चाट रहे रबड़ी हैं फन्ने

– फेसबुक वॉल से

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