2019 में 17वीं लोकसभा के लिए होने जा रहा चुनाव कई सारी अनहोनी और रोचक बातों के लिए भी जाना जाएगा। ये बातें क्या-क्या होंगी इसका अंदाज लगाना भी मुश्किल है क्योंकि अभी तो शुरुआत हुई है। इसमें चोर और चौकीदार से लेकर गरीब और पाकेटमार तक जाने क्या-क्या शामिल हो चुका है। इसमें सपने भी हैं तो सपनों के चूर-चूर हो जाने की कराह भी।
सपनों की बात चली है तो एक ताजा प्रसंग याद आ गया। राजनीति के बड़े-बड़े धुरंधरों के बीच, मुद्दों और गैर मुद्दों के बीच, एजेंडा और नॉन एजेंडा के बीच हरियाणा की एक स्टेज डांसर अचानक सुर्खियों में आ गई। किसी ने सच ही कहा है, चुनाव में किसकी किस्मत पलट जाए और किसकी उलट जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। और जब धूल में माइक घुमाने वाला (अब कहावत के मुताबिक धूल में लट्ठ नहीं घूमते) मीडिया मौजूद हो तो यह कुछ न कही जा सकने वाली मजबूरी और ज्यादा बढ़ जाती है।
हरियाणा की डांसर सपना चौधरी ने देश के बड़े-बड़े राजनीतिक धुरंधरों को जाने क्या-क्या सपने दिखाए कि वे अपने सारे सपने उसी में पूरा होते हुए देखने लगे। लोग सपनों के लिए आंख मूंद कर पड़े रहते हैं लेकिन हमारी राजनीतिक पार्टिंयां हाथ धोकर इस सपने के पीछे पड़ गईं। लेकिन अपनी अदाओं से लाखों लोगों को नचाने वाली सपना ने नेताओं को सपने के बजाय ऐसे तारे दिखाए कि सभी चारों खाने चित नजर आए।
सपना चौधरी की यह कहानी शनिवार को उस समय शुरू हुई जब खबर आई कि उसने कांग्रेस की सदस्यता ले ली है। इसके साथ ही एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर घूमी जिसमें सपना, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ दिखाई दे रही थीं। मामला उस समय पुख्ता नजर आया जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने एक ट्वीट कर सपना के कांग्रेस में ’शामिल होने’ का स्वागत कर डाला।
मीडिया को मसाला मिला और हर बात का विश्लेषण अपनी जेब में खोंस कर चलने वाले राजनीतिक विश्लेषकों ने इन कयासों पर ख्याली पुलाव पकाना शुरू कर दिए कि कांग्रेस सपना की लोकप्रियता को भुनाकर उनका राजनीतिक फायदा लेने के लिए उन्हें चर्चित अभिनेत्री और भाजपा की वर्तमान सांसद हेमामालिनी के खिलाफ मथुरा से चुनाव मैदान में उतार सकती है।
इन खबरों से भाजपा के खेमे में खलबली मचना लाजमी था। तुरंत सारे एजेंट सक्रिय हुए और 24 घंटे बीतते न बीतते जाने क्या हुआ कि सपना के कांग्रेस में शामिल होने की खबर खुद कांग्रेस के लिए ही एक हादसा बन गई। सपना ने बाकायदा प्रेस कान्फ्रेंस करके इस बात को सिरे से नकार दिया कि उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली है।
सपना ने कहा कि उन्होंने न तो कांग्रेस का हाथ थामा है न ही कांग्रेस से हाथ मिलाया है। वे बोलीं- मेरे लिए सारी पार्टियां एक समान है। मैं कलाकार हूं। चुनाव लड़ने की मेरी कोई मंशा नहीं। हां मैं प्रियंका से मिली थी। लेकिन प्रियंका के साथ जो तसवीर, मेरे कांग्रेस में शामिल होने के सबूत के तौर पर दिखाई जा रही है, वह पुरानी है। और उत्तरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर से तो मेरी कोई मुलाकात ही नहीं हुई।
मामले ने तूल पकड़ा तो उत्तर प्रदेश कांग्रेस सचिव नरेंद्र राठी ने कांग्रेस पार्टी के लेटरहेड के साथ एक फोटो जारी किया जिसमें सपना चौधरी को कथित रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते और उन्हें सदस्यता फार्म भरते दिखाया गया। राठी ने कहा, ’शनिवार को सपना आईं थीं और उन्होंने पार्टी की सदस्यता का फॉर्म भी भरा, जिस पर उनके हस्ताक्षर भी हैं।‘
लेकिन तब तक सपना की कांग्रेस सदस्यता के दूध में नींबू निचुड़ चुका था। मामले ने उस समय यू टर्न ले लिया जब सपना ने एक टीवी चैनल से कह दिया कि वे भाजपा सांसद मनोज तिवारी के संपर्क में हैं। कयासबाजों ने दूसरी जेब से नई पुडि़या निकाली और इस बात पर विश्लेषण होने लगा कि सपना भाजपा में शामिल हो रही है। वे भाजपा से चुनाव लड़ेंगी।
रविवार रात को एबीपी न्यूज के क्राइम बेस्ड कार्यक्रम सनसनी पर यूं ही मेरी नजर पड़ी तो देखा कि उसमें सपना के किसी बहुत निकट के सहयोगी के हवाले से रहस्योद्घाटन किया जा रहा था कि सपना कांग्रेस जॉइन तो करना चाहती थी और उन्हें मथुरा से चुनाव लड़ाने की भी बात थी, लेकिन मामला इसलिए गुड़ गोबर हो गया क्योंकि वे अभी सांसद का चुनाव लड़ने लायक उम्र की यानी 25 साल की नहीं हुई हैं।
अब सवाल उठता है कि जब सपना चुनाव लड़ने की योग्यता ही नहीं रखती थी तो क्या राजनीतिक दलों के नेता भांग खाकर उसे सदस्यता दिलवाने और मथुरा से चुनाव लड़वाने के सपने देख रहे थे। मैंने थोड़ी और खोजबीन की तो सपना की उम्र को लेकर मीडिया का ही बड़ा लोचा सामने आया। जब मैं यह कॉलम लिख रहा हूं उस समय तक भी विकीपीडिया पर सपना का जन्म वर्ष 1990 लिखा है। इस हिसाब से उनकी उम्र 28 वर्ष होती है।
गूगल में उनके बारे में सर्च करने पर कई अखबारों और बॉलीवुड की वेबसाईट में भी उनका जन्म दिनांक 25 सितंबर 1990 बताया गया है। जबकि कुछ जगह यह तारीख 25 और 22 सितंबर 1995 है। किसी ने उनका जन्म रोहतक में बताया है तो किसी ने दिल्ली के महिपालपुर में। यानी कहानी में कई झोल हैं।
पर तथ्यों को जांचने परखने की आज फुरसत किसे है। जो खुलासा सपना के निकट सहयोगी ने एक टीवी चैनल पर किया क्या मीडिया की खुद जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि वह इस बात को तो देखता कि सपना चुनाव लड़ने लायक उम्र रखती भी हैं या नहीं। पर क्या कीजिए, अंधी दौड़ है और इसी में दौड़ना हमारी नियति…
और इधर भारतीय राजनीति की विडंबना देखिए कि एक तरफ चुनाव न लड़ सकने वाली कच्ची राजनीतिक उम्र की एक महिला की ओर सारे नेता लपक रहे हैं और राजनीति में 50 साल से अधिक की भागीदारी कर चुके आडवाणी और मुरलीमनोहर जोशी जैसे पके हुए लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। राजनीति के परफार्मर और डांसर में से तवज्जो डांसर को मिल रही है… सचमुच यह सपनों का पीछा करने और अपनों को लात मारने का दौर है…