काम कोई करता नहीं, सब बयान उछालने में लगे हैं

बड़ा ही अजीब समय चल रहा है भाई। राजनीति जो न कराए वो थोड़ा है। जैसे-जैसे विधानसभा और उसके बाद लोकसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं एक बार फिर नेताओं के भाषणों में कड़वाहट और ऊलजलूल बातें घुलती जा रही हैं। कवि दुष्‍यंत की पंक्तियां है- ‘’कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं, गाते-गाते  लोग चिल्लाने लगे हैं…’’ इसी तर्ज पर वर्तमान हालात के बारे में कहा जा सकता है कि कैसे कैसे मंजर सामने आने लगे हैं, बोलते बोलते लोग बरगलाने लगे हैं…

बोलाचाली का ताजा मामला कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी के एक बयान से शुरू हुआ है। वैसे राहुल को इस बात की शिकायत लंबे समय से है कि भाजपा और नरेंद्र मोदी की टीम उन्‍हें बोलने नहीं दे रही। दिसंबर 2016 में संसद के शीतकालीन सत्र में हुए हंगामे के दौरान उन्‍होंने नोटबंदी को देश का सबसे बड़ा घोटाला साबित करने का दावा करते हुए कहा था कि जब लोकसभा में वे इस मुद्दे पर बोलेंगे तो भूचाल आ जाएगा।

राहुल का आरोप था कि सरकार को मेरे बोलने से डर है, इसलिए संसद की बहस से प्रधानमंत्री भाग रहे हैं। संयोग से उस बयान के कुछ दिन बाद ही उत्‍तराखंड में भूकंप आ गया। तब प्रधानमंत्री मोदी ने तंज करते हुए कहा था, वे कह रहे थे मुझे बोलने दो नहीं तो भूकंप आ जाएगा, आखिर भूकंप आ ही गया।

दरअसल जब से राहुल ने खुद के बोलने के बारे में बड़बोले दावे किए हैं भाजपा तभी से उनका मजाक बनाती आ रही है।

बोलने चालने का यह प्रसंग हाल ही में फिर आया जब राहुल ने 23 अप्रैल को नई दिल्‍ली में कांग्रेस द्वारा आयोजित संविधान बचाओ रैली में कहा कि नीरव मोदी, ललित मोदी और माल्या मामले में सरकार बचती नजर आ रही है। मेरी 15 मिनट मोदी जी के सामने स्पीच करा दो, मैं नीरव मोदी, माल्या, राफेल की बात करुंगा, मोदी जी वहां खड़े नहीं हो पाएंगे।

राहुल के इस बयान का जवाब मोदी ने कर्नाटक चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में हुई अपनी रैली में दिया। उन्‍होंने कहा ‘’वो मुझे चुनौती देते हैं कि अगर वो 15 मिनट संसद में बोले, तो मैं उनके सामने टिक नहीं पाऊंगा। वो सही कहते हैं, वो ‘नामदार’ हैं और हम ‘कामदार’ हैं, हम उनके सामने कहां टिक पाएंगे।‘’

मोदी बोले- ‘’आज मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वो हाथ में बिना कोई पेपर लिए 15 मिनट तक कर्नाटक सरकार के कामों पर बोलकर दिखाएं। वो चाहे हिंदी में, चाहे अंग्रेजी में या अपनी माता जी की मातृभाषा में ही 15 मिनट कर्नाटक की वर्तमान सरकार पर बोलकर दिखाएं। ये तो छोड़िए, वो 15 मिनट में पांच बार विश्वेश्वरैया ही बोलकर दिखा दें।‘’

प्रधानमंत्री के इस बयान पर कांग्रेस की प्रवक्‍ता सुष्मिता देव ने उसी दिन तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा- ‘’अब बात नामदार और कामदार की नहीं बल्कि ईमानदार की होगी। राहुल गांधी पर बोलने के बजाय प्रधानमंत्री राफेल, जय शाह, नीरव मोदी और पीयूष गोयल पर सच बोलने की हिम्‍मत दिखाएं।‘’

गुजरात से विधायक और दलित नेता जिग्‍नेश मेवाणी ने भी दो मई को ट्वीट करते हुए मोदी को चुनौती दी- ‘’पीएम मोदी को मेरा चैंलेंज,क्या वो लगातार चार मिनट तक इन मुद्दों पर बोल सकेंगे.. जो उन्होंने बीते चार साल में किए हैं, जैसे, पहला- दो करोड़ नौकरियों के बारें में.. दूसरा- किसानों की खुदकुशी के मुद्दे पर, तीसरा- दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर और चौथा- बढ़ती महंगाई पर”

उधर राहुल पर वार करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मीडिया से कह डाला-‘’अरे वो ऐसी ही बचकानी बातें करते हैं। वो 15 मिनट नहीं 15 घंटे भी बात करेंगे तो भी कुछ नहीं होने वाला। उनके 15 मिनट का भाषण उनकी पार्टी के लोग ही नहीं सुन सकते, पार्टी के लोग ही उन्हें सीरियसली नहीं लेते।‘’

कांग्रेस और भाजपा की इस जुबानी जंग में विपक्षी दल भी मजे लेने से नहीं चूके। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इस बयानबाजी में कूद पड़े। उमर ने कहा कि ‘’मुझे उम्‍मीद है राहुल गांधी, पीएम मोदी की चुनौती को मंजूर करते हुए बिना पर्ची की मदद के कर्नाटक की सिद्धरमैया सरकार के कामकाज पर 15 मिनिट बोलकर दिखाएंगे, उसके बाद हम पीएम से उम्‍मीद करेंगे कि वे भी दो मिनट देकर आठ साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में कुछ बोलें, जिसे उनकी ही पार्टी के नेता छोटा मामला बता रहे हैं।‘’

मिनिटों की यह लड़ाई दो दिन पहले अपने मध्‍यप्रदेश में भी आ पहुंची। मुख्‍यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने बिना राहुल का नाम लिए ट्वीट किया- ‘’कुछ लोग 15 मिनिट क्‍या, 15 साल भी लगातार बोलें तो भी उनके अलावा किसी को समझ नहीं आएगा।‘’

अपनी पार्टी के नेता पर हुए इस हमले का जवाब मध्‍यप्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्‍त अध्‍यक्ष कमलनाथ ने दिया। उन्‍होंने कहा- ‘’आज मध्‍यप्रदेश की यही स्थिति है। शिवराज लगातार 13 वर्ष से रटा रटाया ही बोल रहे हैं। समझ में किसी को कुछ नहीं आ रहा। धरातल पर कुछ नहीं है।‘’

और जब ऐसे ही कोई बात निकलती है तो वह दूर तलक जाती है। लिहाजा बड़े नेताओं से लेकर छुटभैया नेताओं तक और सोशल मीडिया पर हर चंगू मंगू ने अपनी बेशकीमती राय पटकी। इसी पटका-पटकी में मुझे एक बार फिर अपना प्रिय उपन्यास ‘राग दरबारी’ याद आ गया। उसमें एक अफसर का कथन है ‘’साला इतना काम है कि सारा काम ठप्प पड़ा है।‘’ इसी तर्ज पर चारों तरफ से इतने बयान आ रहे हैं कि बाकी सारे काम ठप्प पड़े हैं।

रागदरबारी में ही एक और संवाद है- ‘’दारोगाजी उनकी बड़ी इज्जत करते हैं। वे दारोगाजी की इज्जत करते है। दोनों की इज्जत प्रिंसिपल साहब करते है। कोई साला काम तो करता नहीं है, सब एक-दूसरे की इज्जत करते हैं।‘’

देश में भी यही हो रहा है, साला काम कोई करता नहीं, सब एक दूसरे पर बयान उछालने में लगे रहते हैं…

 

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