अजय बोकिल
स्टार अभिनेता सलमान खान को काला हिरण शिकार मामले में हुई सजा पर चर्चा से पहले जोधपुर ग्रामीण कोर्ट के उस सीजेएम को सलाम, जिसने तमाम दबावों और प्रलोभनों के बाद भी इस हाई प्रोफाइल प्रकरण में तगड़ी सजा सुना दी। एक मूक और मासूम प्राणी की मजे और (शायद स्वाद के लिए भी) की गई हत्या को कोर्ट ने गंभीर अपराध माना और असली कोर्ट को भी फिल्मी समझ रहे सलमान खान को 5 साल की सजा और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुना दी।
यह फैसला कई लोगों के लिए बड़ा झटका था। क्योंकि ज्यादातर मान रहे थे कि सलमान वीवीआईपी हैं, लाखों युवाओं के आइकॉन हैं। उन्हें कोर्ट शायद ही सजा दे। इसकी एक और वजह ‘हिट एंड रन’ केस में ऊंची अदालत द्वारा सलमान को पूरी तरह बरी किया जाना था। पूरे मामले मे सारी चीजें बड़ी सफाई से ‘मैनेज’ हुई थीं।
जब एक फुटपाथ पर सोते गरीब इंसान को शराब के नशे में गाड़ी से कुचलने के मामले में सजा न हो सकी तो बेचारे हिरण की क्या औकात? इस हिसाब से काला हिरण केस में संभावना सलमान के ‘छूटने’ की ही ज्यादा थी। वैसे भी पैसे और रसूख वालों का अपराध, अपराध नहीं होता। इसके बावजूद अदालत ने साबित किया कि लोग अभी भी न्याय के मंदिर पर भरोसा रख सकते हैं।
बेशक सलमान खान बॉलीवुड की ट्रेन के स्वयंभू इंजन हैं। पचास पार होने के बाद भी लोगों पर उनका जादू कम नहीं हुआ है। फिल्मी अखाड़े के वो सुलतान बने हुए हैं। उनके कई चेहरे है। वे ‘प्रेम रतन’ हैं तो ‘टाइगर’ भी हैं। वे ‘दबंग’ हैं तो ‘बॉडीगार्ड’ भी हैं। यही कारण है कि सलमान को सजा सुनाए जाने पर इंसाफ होने के संतोष से ज्यादा ‘बिन सलमान बॉलीवुड सून’ की लकीरें लोगों की पेशानी पर ज्यादा नजर आईं। कारण सलमान खान पर लगे करोड़ों के दांव हैं।
उनकी दो-तीन फिल्में पाइप लाइन में हैं। बिग बॉस के अगले सीजन का 11 करोड़ वो ले चुके हैं। करोड़ों के विज्ञापन हैं। और भी बहुत कुछ है। यानी सलमान से ज्यादा महत्व उन पर लगे करोड़ों रुपयों का है। हमें टीवी चैनलों ने बार-बार समझाया कि भाई जान सलमान के जेल चले जाने से कितनों के अरमान झुलस जाएंगे। इंडस्ट्री तबाह हो जाएगी। कहां से आया गया मुआ यह अदालती फैसला। वगैरह…
सलमान हकीकत में क्या हैं, कैसे हैं, इसे अलग रखें तो भी यह बात साफ है कि वे कानून की नजर में अपराधी हैं। सलमान ने 1998 में आई फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ की श़ूटिंग के दौरान राजस्थान के गांव भवाद में को काले हिरणों का शिकार किया था। उनके साथ अभिनेता सैफ अली खान और कई कलाकार थे। काले हिरण का शिकार कानूनन जुर्म है। सलमान को शायद यह पता नहीं था। पता भी होगा तो ‘सिक्स पैक’ वाले इसकी फिकर नहीं करते। एक हिरण की जान की कीमत ही क्या है? मार दिया तो मार दिया। फिल्मों में इंसानियत के रुला देने वाले डॉयलाग मारने वाले हकीकत में उन लफजों का मतलब भी ठीक से शायद ही समझते हों, जिन्हें वे पर्दे पर बोलकर तालियां लूटते हैं।
सलमान पर घोड़ा फार्म हाउस में दो हिरणों के शिकार का एक और मामला भी चल रहा है। जिस पर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है। राजस्थान का बिश्नोई समाज हिरणों को भगवान की तरह पूजता है। उन्होंने शिकारी सलमान को पहचान लिया और इसके लिए उन्हें सजा दिलवाने की ठान ली थी। सलमान को इस सजा से बचाने की भी खूब कोशिशें हुईं। इसके लिए हर हथकंडा अपनाया गया। केस को उलझाने का प्रयास हुआ। अभी भी हो सकता है कि सलमान ऊपरी अदालतों में बच जाएं।
सलमान की छवि जनता में अपराधी की न बने, इसके लिए उनकी हातिमताई इमेज को देश के सामने स्लाइड शो की तरह हर एंगल से पेश किया गया। बताया गया कि सलमान फिल्मों में काम करने की फीस भले करोड़ों में लेते हों, लेकिन पर्दे के पीछे वो सैकड़ों लोगों की मदद दिल खोल कर करते हैं। गर्जमंदों की मदद उनका दूसरा शगल है। वो एनजीओ भी चलाते हैं ताकि कमाया हुआ कुछ पैसा समाज सेवा पर भी खर्च हो। सलमान का पर्दे पर रोल कैसा भी हो, वो दिल से भले और भोले हैं। इसी चक्कर में कई बार वो ऐसी बातें कह जाते हैं और हकीकत में कर भी जाते हैं कि उनके पिता और जाने माने स्क्रीन प्ले राइटर सलीम खान को बेटे की ढाल बनना पड़ता है।
हमें यह भी समझाया गया कि सल्लू भाई ने कितनी हिरोइनों से इश्क लड़ाया हो, वास्तव में वो कुंवारे ही हैं। वो कभी-कभार ज्यादा पी जाते हैं, लेकिन शराबी नहीं हैं। कानून की निगाह में भले वो जुर्म कर जाएं लेकिन मुजरिम नहीं हैं। उन्हें कभी किसी से गुरेज नहीं रहा। इसलिए अहमदाबाद में साथ में पतंग उड़ाने के लिए नरेन्द्र मोदी ने भी सल्लू भाई को ही बुलाया। लुब्बो लुआब ये कि वे सलमान कहीं से अपराधी नहीं हैं, अपराध तो उनके मत्थे मढ़ दिया गया है। और ऐसा करने के लिए देश और समाज ही जिम्मेदार है।
ऐसे में उन्होंने दो-चार हिरण मार भी दिए तो कौन सी कयामत आ गई? हमें बुराई को भी भलाई के आईने में देखना चाहिए। हो सकता है कि सलमान का जितना गुणगान किया जा रहा है, उसमें काफी कुछ सच्चाई भी हो। लेकिन जिस व्यक्ति का दिल इतना रहमदिल हो वो किसी मासूम हिरण की जान लेकर खुश कैसे हो सकता है? बल्कि वह ऐसा करना ही क्यों चाहता है? क्या हिरण को मारे बगैर तफरीह नहीं हो सकती थी? हिरण को जानवर मानकर उसे खारिज भी कर दें, लेकिन ‘हिट एंड रन’ केस में तो एक व्यक्ति की ही जान चली गई थी, क्योंकि सल्लू भाई नशे में गाड़ी ड्राइव कर रहे थे। यह बात अलग है कि बाद में यह अपराध ड्राइवर ने ओढ़ लिया था।
मुद्दा यह है कि क्या सलमान की कथित हातिमताई छवि के आगे एक हिरण को मारने का अपराध कुछ भी नहीं है? चंद लोगों की आर्थिक मदद का पुण्य एक हिरण की हत्या के पाप पर भारी क्योंकर पड़ना चाहिए? अगर ऐसा है तो देश के सारे दुर्दांत अपराधी भी एनजीओ खोलकर बैठ जाएं और कोर्ट से रहम की गुहार करने लगें। जिस तरह टीवी चैनलों ने सलमान की सजा को ‘जश्न’ की तरह परोस कर टीआरपी बटोरी, उससे कोफ्त ज्यादा होती है। गनीमत है कि इसके लिए किसी ने कोर्ट को ही दोषी नहीं माना।
( ‘सुबह सवेरे’से साभार)