ये पट्ठा सुप्रीम कोर्ट पर भी भारी निकला

कई बार मुझे लगता है कि हमारे देश में जितना दिमाग लोग कानून तोड़ने या कानून को धता बताने के तरीके तलाशने में लगाते हैं उसका दसवां हिस्‍सा भी यदि कानून का पालन करने में लगा दें तो इस देश का उद्धार हो जाए। लोगों को और व्‍यवस्‍था को कितना ही सुधारने की कोशिश कीजिए, वे अपनी दुम को टेढ़ा बनाए रखने की जुगाड़ कर ही लेते हैं।

यकीन नहीं आए तो जरा अपने आसपास नजर घुमा लीजिए…

इन दिनों देश में शराबबंदी का मामला अलग-अलग कारणों से जोर पकड़े हुए है। कई राज्‍यों से शराब के खिलाफ प्रदर्शन होने और शराब ठेकों व दुकानों में तोड़फोड़ से लेकर उनमें आग लगाने तक की खबरें सामने आ रही हैं। हमारे अपने मध्‍यप्रदेश में भी राजधानी भोपाल समेत अनेक शहरों में शराब ठेकों के खिलाफ रहवासियों ने उग्र प्रदर्शन किए हैं। इन प्रदर्शनों में महिलाओं की संख्‍या अच्‍छी खासी रही है। शराब के कारण सर्वाधिक पीड़ा झेलने वाली महिलाओं ने कई जगह तो ऐसे प्रदर्शनों की अगुवाई की है।

शराबबंदी की इसी मुहिम को पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से ताकत मिली जिसमें कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर आदेश दिया कि शराब दुकानें राजमार्गों के किनारे न रहें। उन्‍हें राष्‍ट्रीय और प्रादेशिक राजमार्गों से 500 मीटर अंदर ले जाया जाए। एक अप्रैल से लागू हुए इस आदेश के बाद से ही इससे बचने की गली निकालने की जोड़तोड़ शुरू हो गई थी। कई राज्‍यों ने इसका तोड़ निकालते हुए, शराब ठेकों/दुकानों को बचाने के लिए राजमार्गों का स्‍टेटस ही बदल दिया। ठीक उसी तर्ज पर कि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। जब वह मार्ग राजमार्ग ही नहीं कहलाएगा तो कोर्ट का आदेश लागू ही नहीं होगा।

वैसे तो 500 मीटर की दूरी दारू के किसी भी लती के लिए बाधा नहीं बन सकती,फिर भी शराब दुकानों को पीछे न सरकाना पड़े इस मुहिम में शराब ठेकेदारों के साथ साथ सरकारें भी पूरी ताकत से लगी हैं। जुगाड़ के लिए मशहूर देश के होनहार प्रतिभावानों ने इसकी कई तरकीबें भी ईजाद कर डाली हैं। इसमें सबसे दिलचस्‍प मामला मुझे केरल का लगा। वहां अपनाए गए अनोखे तरीके के बारे में मुझे एक वाट्सएप संदेश से पता चला। और मैं उस दिमाग की दाद देना चाहूंगा जिसने यह अद्भुत आइडिया निकाला।

दरअसल नेट पर टाइम्‍स ऑफ इंडिया में प्रकाशित इस फोटो/समाचार के मुताबिक केरल के एर्नाकुलम जिले के नार्थ परावुर में स्थित ऐश्‍वर्य बीयर एंड वाइन पार्लर,राष्‍ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 17 से सिर्फ 150 मीटर की दूरी पर स्थित था। सुप्रीम कोर्ट की 500 मीटर की प्रतिबंधित सीमा से बचने के लिए पार्लर के मालिक ने अनोखा तरीका निकाला। उसने पार्लर तक पहुंचने के रास्‍ते में अस्‍थायी दीवारें खड़ी कर रास्‍ते को इस तरह खांचों में बांट दिया कि अब यदि कोई सड़क से चलकर पार्लर तक पहुंचना चाहे तो उसे पैदल 520 मीटर की दूरी तय करना होगी। यानी कोर्ट की सीमा से भी 20 मीटर ज्‍यादा।

और सरकारी तंत्र कैसे कोर्ट के फैसलों या कानून कायदों की धज्जियां उड़वाने में मदद करता है यह भी जान लीजिए। नार्थ परावुर के इस वाइन पार्लर की हरकत को गलत ठहराने के बजाय वहां के आबकारी विभाग ने इसे न्‍यायोचित भी बता दिया। अतिरिक्‍त आबकारी आयुक्‍त ए. विजयन ने कहा कि ‘’पार्लर मालिक ने कुछ गलत नहीं किया। हम ऐसे मामलों में हवाई दूरी (एरियल डिस्‍टंस) नहीं नापते बल्कि पैदल दूरी नापते हैं। हां, पार्लर मालिक पर इसके लिए जुर्माना जरूर लगेगा कि उसने पार्लर के प्रवेश मार्ग के साथ छेड़छाड़ की…’’

इस घटना के बाद मुझे लगा कि कितना समझदार और दूरदर्शी होगा वह आदमी जिसने ‘’तुम डाल-डाल, तो हम पात-पात’’ वाली कहावत गढ़ी होगी। देश आज इस कहावत से भी काफी आगे निकल आया है। कोई डाल-डाल चलना तो दूर उसकी सोच भी रहा हो, तो भाई लोग उससे भी पहले पत्‍तों पर कूदते फांदते बच निकलते हैं। ऐसे में क्‍या करे कानून और क्‍या करे कोर्ट… सचाई तो यह है कि देश में जितना धंधा कानून का पालन करने व करवाने वालों का नहीं चलता उससे कई कई गुना ज्‍यादा कानून कायदों की तोड़ निकालने वालों का चल रहा है…

और वैसे भी यह मामला दारू का है। आप कितनी ही शराबबंदी कर दें, कितनी ही पाबंदिया लगा लें… दारू की दुकान राजमार्ग से 500 मीटर तो क्‍या पृथ्‍वी से पांच हजार किलोमीटर की दूरी पर लगाने का फरमान सुना दें, तो भी कुछ नहीं होने वाला। भाई लोग वहां भी दुकान खोल लेंगे और पीने वाले वहां से भी ले आएंगे।

अरे जब लोग पैदल चलने वालों को रास्‍ता देने के लिए जेब्रा क्रासिंग पर नहीं रुकते तो शराब पीने के लिए वे कहीं भी जाने से क्‍यों रुकने लगे। आप जिनके संभलने की चिंता कर रहे हैं, उन्‍हें लड़खड़ाने में ही मजा आता हो तो क्‍या कीजिएगा…

मय-ख़ाना-ए-हस्ती में मय-कश वही मय-कश है,

सँभले तो बहक जाए, बहके तो सँभल जाए !!

 

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