दुनिया को योग कराने वाले मोदी के पास अब एक योगी भी है

बिहार विधानसभा चुनाव में जातियों के बिखरते समीकरण ने राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ को चिंतित किया था। क्‍योंकि वह जिस व्‍यापक हिन्‍दुत्‍व के एजेंडे पर चलता रहा है उसमें जाति या वर्ग का कोई विभेद नहीं है। वहां हिन्‍दुत्‍व एक ऐसी विशालकाय छतरी है, जिसके नीचे भारत के सारे लोग रहें।

याद कीजिए 8 फरवरी 2017 को बैतूल में हुआ हिन्‍दू सम्‍मेलन जिसमें आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा था कि ‘’हिंदुस्थान में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिंदू है। लोगों के पंथ-मत और पूजा पद्धति अलग-अलग हो सकते हैंलेकिन हिंदुस्थान में रहने के कारण सबकी राष्ट्रीयता एक ही है- हिंदू। इसलिए भारत के मुसलमानों की राष्ट्रीयता भी हिंदू है।‘’

उत्‍तरप्रदेश का राजनीतिक और चुनावी घटनाक्रम इसी संदर्भ में देखा और विश्‍लेषित किया जाना चाहिए। क्‍योंकि अब वहां से एक नया नारा चला है, जो इंडिया फर्स्‍ट को रिप्‍लेस करते हुए कहता है हिन्‍दू फर्स्‍ट 

उत्‍तरप्रदेश में योगी आदित्‍यनाथ को लाना दरअसल एक विराट हिन्‍दू लहर पैदा करने की कोशिश है। योगी का एजेंडा बहुत साफ है। वे अपने खांटी हिन्‍दुत्‍व एजेंडे से कतई दाएं-बाएं नहीं होते। यूपी में इस एजेंडे की बुनियाद तो उसी समय डल गई थी जब भारतीय जनता पार्टी ने वहां से एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था।

हालांकि उत्‍तरप्रदेश के चुनाव परिणाम आने के बाद मैंने लिखा था कि मुस्लिमों को साथ लेकर नरेंद्र मोदी देश में एक नई सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत कर सकते हैं, लेकिन अब ऐसा लगता है कि भाजपा ने इस दिशा में पहल कर, हाथ आगे बढ़ाने के बजाय, साफ संकेत दे दिया है कि मुस्लिम अपना भला बुरा खुद सोचें। योगी की सरकार भले ही कुछ कहे, न कहे, कुछ करे, न करे, लेकिन भाजपा को मिले व्‍यापक जनमत की धमक ने फिजा में जो केसरिया रंग घोला है, वह हरेक कपड़े पर अपनी छाप और छींटे जरूर डालेगा।

मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास का नारा लेकर सत्‍ता में आई थी। लेकिन उत्‍तरप्रदेश में मुस्लिमों के लिए यह नारा हमारा साथ, आपका विकासहोगा। यानी आप यदि इस हिन्‍दुत्‍व की छतरी के नीचे आते हैं तो आप सुरक्षित रह सकते हैं। लेकिन इस छतरी से अलग होने की कोशिश करेंगे या कोई और राह अपनाएंगे तो फिर आंधी पानी से हिफाजत के इंतजाम भी आपको खुद ही करने होंगे।

हालांकि योगी आदित्‍यनाथ ने सरकार में आने के बाद ‘’विकास…विकास…विकास…’’ की ही बात की है, लेकिन उनका प्रमुख एजेंडा राम मंदिर जैसे अधूरे कामों को पूरा करने का होगा। भाजपा अभी तक यह कहती रही है कि केंद्र और राज्‍य में विपरीत सरकारों के चलते अयोध्‍या में भव्‍य राम मंदिर का निर्माण नहीं हो पाया। अब यह बहाना खत्‍म हो गया है। दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं और उत्‍तरप्रदेश में मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर एक भगवाधारी बैठा है।

और राममंदिर के लिए भाजपा को अब शायद ज्‍यादा प्रयास करने की जरूरत भी न पड़े। क्‍योंकि अब स्थितियां वैसी ही हैं जैसे आप एक खास दिशा में जा रहे जनसैलाब में शामिल भर हो जाएं, बाकी तो पीछे से आने वाला रैला आपको धकाते हुए मंजिल तक पहुंचा ही देता है। अब राम मंदिर बनाने की बात भाजपा अथवा योगी आदित्‍यनाथ को नहीं करनी है। खुद विपक्षी दल और मीडिया सवाल पूछ-पूछ कर सरकार पर मंदिर निर्माण का दबाव बनाते हुए उसकी नाक में दम कर देंगे। यह मोदी और योगी दोनों के लिए विन-विन सिचुएशन होगी। कहा यही जाएगा कि जनता का दबाव है कि मंदिर निर्माण हो।

अभी जो केसरिया माहौल है वह धीरे धीरे और गाढ़ा होगा। ऐसे में अव्‍वल तो भगवा के जले राजनीतिक दल विरोध की हिम्‍मत ही नहीं जुटा पाएंगे और यदि किसी ने राम मंदिर विरोध की कोशिश भी की तो उसकी राजनीति खतरे में पड़ जाएगी। और यदि इस मामले को न्‍यायालय में घसीटा गया और वहां से कोई अवरोध पैदा हुआ, तो भी भाजपा ही फायदे में रहेगी। क्‍योंकि फिर जनता का टारगेट भाजपा नहीं बल्कि न्‍यायालय होगा।

राम मंदिर निर्माण पूरा करने की तो छोडि़ए, भाजपा यदि उसकी शुरुआत करने में भी सफल रही तो जरा सोचिए कि देश का हिन्‍दू मानस उसके लिए किस कदर दीवाना होगा। कथित धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले दल और समुदाय, उस आंधी के सामने टिकना तो दूर, खड़े होने की हिम्‍मत भी मुश्किल से जुटा पाएंगे। यानी एजेंडा अब देश को कांग्रेस मुक्‍त नहीं, विपक्ष या विरोध मुक्‍त करने का है।

इस स्थिति के लिए भाजपा और संघ को ज्‍यादा दोष देने की भी जरूरत नहीं है। क्‍योंकि ये स्थितियां तो कथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर खुद गैर भाजपाई दलों और संगठनों ने ही निर्मित की हैं। आज उन्‍हें समझ आ रहा होगा कि धर्मनिरपेक्षता और असहिष्‍णुता जैसे नारों के साथ पिछले दो-ढाई सालों में उन्‍होंने जो राजनीति की है, वह पलटकर उन्‍हीं के सिर पर आ गिरी है। वे इन नारों की आड़ में भाजपा को घेरने का मुगालता पालते रहे और इधर भाजपा अंदर ही अंदर अपने एजेंडे को अमली जामा पहनाती रही।

अब यह कहते हुए छाती कूटने का कोई मतलब नहीं है कि भाजपा इस देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को छिन्‍न भिन्‍न कर सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे रही है। इस बार ऐसे तमाम आरोपों का जवाब भाजपा ने खुद न देकर, जनता से दिलवाया है। पूरी दुनिया को योग कराने वाले मोदी के पास, अपना एजेंडा पूरा करवाने के लिए अब एक योगी भी है।

आप तो बस रहीम को याद कीजिए जो कह गए हैं- रहिमन चुप वै बैठिये, देखि दिनन के फेर…

 

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