ऐ उम्र..! कुछ कहा मैंने- गुलजार की मार्मिक कविता

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ऐ उम्र..!
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीं..
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!

हर बात का कोई जवाब नहीं होता
हर इश्क का नाम खराब नहीं होता…
यूं तो झूम लेते है नशे में पीनेवाले
मगर हर नशे का नाम शराब नहीं होता…

खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते हैं
हंसती आँखों में भी जख्म गहरे होते हैं
जिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते हैं…

किसी ने खुदा से दुआ मांगी
दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दूँ मगर,
उसे क्या कहूं जिसने तेरी जिंदगी की दुआ मांगी…

हर इन्सान का दिल बुरा नहीं होता
हर एक इन्सान बुरा नहीं होता
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से…
हर बार कुसूर हवा का नहीं होता !!!

  • गुलज़ार

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यह कविता हमें मध्‍यमत डॉट कॉम के पाठक श्री सुरेशचंद्र पांडे ने भेजी है।

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