भोपाल। आगामी 28, 29 और 30 अक्टूबर को इंदौर में होने जा रही इन्वेस्टर्स समिट में बेहतर निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा अनेक नई नीति बनाई गई हैं और कुछ नीतियों में संशोधन भी किया गया है। इन नीतियों के आदेश राज्य शासन द्वारा जारी कर दिए गए हैं।

उद्योग संवर्धन नीति

उद्योग संवर्धन नीति-2010 में संशोधन किए गए हैं। संशोधित नीति में एग्री बिजनेस एवं फुड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल, ऑटोमोटिव एण्ड ऑटो कम्पोनेंट, पर्यटन, फार्मास्युस्टिकल, बायो-टेक्नोलाजी, आई.टी., हेल्थ केयर, कौशल विकास तथा लॉजिस्टिक्स तथा वेयरहाउसिंग को फोकस में रखा गया है। नीति के अनुसार निजी क्षेत्र के औद्योगिक पार्क तथा हाईटेक पार्क के लिए विशेष सहायता दी जाएगी। न्यूनतम क्षेत्रफल 100 एकड़, न्यूनतम स्थापित इकाइयाँ 10 एवं न्यूनतम 250 व्यक्ति को नियमित रोजगार उपलब्ध करवाने पर विकास व्यय के 15 प्रतिशत की दर से अधिकतम 5 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी। वर्तमान में स्थानीय निकायों द्वारा प्रभारित निर्यात कर को समाप्त करने का प्रावधान किया गया है।

सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिए जिलों का वर्गीकरण समाप्त कर ‘‘स’’ श्रेणी की सुविधा दी जाएगी। इन उद्योगों के लिए सभी जिलों में ब्याज अनुदान की दर 5 प्रतिशत, अवधि 7 वर्ष तथा अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये निर्धारित की गई है। नीति के अनुसार किसी उद्योगिक समूह द्वारा 20 हजार करोड़ से अधिक लेकिन 50 हजार करोड़ तक पूँजी निवेश (वर्ग-1) एवं 50 हजार करोड़ से अधिक पूँजी निवेश (वर्ग-2) पर विशेष पैकेज दिया जाएगा। नीति में अन्य प्रावधान भी किए गए हैं।

नई सूचना प्रौद्योगिकी निवेश नीति

इस नीति के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को भूमि कलेक्टर गाइड लाइन के 25 प्रतिशत दर पर दी जाएगी। भूमि 99 वर्ष तक के लिए लीज पर दी जा सकेगी। कंपनी को 100 आई.टी./आई.टी.ई.एस. प्रोफेशनल्स रोजगार देना होगा जिनमें से 50 प्रतिशत रोजगार मध्यप्रदेश के मूल निवासियों को देना अनिवार्य होगा। मध्यप्रदेश के मूल निवासी आई.टी. प्रोफेशनल्स को स्किल गेप प्रशिक्षण देने में व्यय के 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति शासन द्वारा की जाएगी। सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर निर्माणी इकाइयों के प्रयोग में आने वाले आई.टी. उत्पादों को 5 वर्ष के लिए प्रवेश कर से छूट दी जाएगी।

स्वास्थ्य सेवा निवेश नीति

इस नीति में स्वास्थ्य सेवाओं को उद्योग का दर्जा दिया गया है। दस लाख से कम आबादी वाले शहरों में न्यूनतम 100 बिस्तर वाले अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग एवं पेरा-मेडिकल स्कूल, कॉलेज खोलने पर 25 प्रतिशत पूँजी निवेश की सब्सिडी दी जाएगी। इसकी अधिकतम सीमा 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों में 3 करोड़ और इससे अधिक आबादी वाले शहरों में 5 करोड़ रुपये होगी। नीति में मल्टी सुपर स्पेशलिटी वाले न्यूनतम 100 बिस्तर क्षमता के अस्पताल तथा न्यूनतम 750 बिस्तर क्षमता के मेडिकल कॉलेजों को बड़े प्रोजेक्ट के समकक्ष मान कर उन्हें पूँजीगत और ब्याज अनुदान की पात्रता होगी।

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए नीति में अन्य प्रावधान भी किए गए हैं।

खाद्य प्र-संस्करण नीति

इस नीति में सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यमियों को वर्गीकृत किया गया है। जिस इकाई में प्लांट और मशीनरी में 25 लाख से अधिक निवेश न हो वह सूक्ष्म इकाई, 25 लाख से अधिक किंतु 5 करोड़ तक के निवेश वाली छोटी इकाई तथा 5 करोड़ से अधिक किंतु 10 करोड़ तक निवेश वाली इकाई को मध्यम श्रेणी में रखा गया है। दस करोड़ से अधिक निवेश वाली इकाइयों को मेगा परियोजना की श्रेणी में रखा गया है।

हार्टिकल्चर हब नीति

इस नीति में हार्टिकल्चर हब में कलस्टरों में उत्पादित होने वाले उत्पादों के लिए उच्च गुणवत्ता की रोपण सामग्री का उत्पादन और विपणन, ग्रेडिंग, सार्टिंग एवं पेकिंग आदि की एक या एक से अधिक केन्द्रीयकृत व्यवस्थाएँ उपलब्ध करवाई जाएगी। सामान्य रूप से एक हब में एक से अधिक ग्राम समूह को जोड़ा जाएगा। हब के लिए विशेषज्ञों से फिजिबिलिटी स्टडी करवा कर यह निश्चित किया जाएगा कि किसी क्षेत्र में हब बनाना लाभप्रद है या नहीं। हब का संचालन जन-निजी भागीदारी से किया जाएगा। इस वर्ष प्रदेश में 4 हब की स्थापना के लिए धनराशि का प्रावधान किया गया है।

वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स नीति

इस नीति का उद्देश्य प्रदेश में भण्डारण और लॉजिस्टिक्स हब विकसित करने के उद्देश्य से निजी पूँजी निवेश के माध्यम से 2 वर्ष में 20 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त भण्डारण व्यवस्था करना है। वर्तमान क्षमता 91 लाख मीट्रिक टन है। आगामी वर्षों में 60 लाख मीट्रिक क्षमता का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।

नीति में नये प्रस्तावित उद्योगों के क्षेत्र में 10 प्रतिशत भूमि के आरक्षण का प्रावधान है। दस जिलों में न्यूनतम 50 एकड़ भूमि में वेयरहाउसिंग जोन की स्थापना की जाएगी। वेयरहाउस के लिए भूमि आंवटन लघु उद्योगों के लिए निर्धारित दर पर किया जाएगा। प्रस्तावों की स्वीकृति के लिए सिंगल विंडो प्रणाली होगी। पहले से निर्मित गोदामों को किराये पर लेने के लिए तथा साइलो बेग जैसी आधुनिक भण्डारण पद्धतियों के लिए व्यवसाय गारंटी माडल होंगे। ‘प्रथम आओ प्रथम पाओ’ आधार पर भण्डारण क्षमता 20 लाख मीट्रिक टन तक सीमित होगी। वेयरहाउसिंग निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी निवेश पर 15 प्रतिशत पूंजीगत अनुदान दिया जाएगा जिसकी अधिकतम सीमा 2 करोड़ 25 लाख रुपये होगी। पाँच प्रतिशत की दर से सात वर्ष के लिए ब्याज अनुदान दिया जाएगा जिसकी अधिकतम सीमा 1 करोड़ 70 लाख रुपये होगी। पूर्व निर्मित इकाइयों के एक करोड़ से अधिक विस्तार निवेश को नई इकाई के रूप में मान्यता दी जाएगी।

नीति में 20 लाख मीट्रिक टन क्षमता निर्माण में से 15 लाख मीट्रिक टन गोदामों तथा 5 लाख मीट्रिक टन साइलो बेग के माध्यम से की जाएगी। इसमें कुल निवेश 1231 करोड़ रुपये संभावित है जिसमें 173 करोड़ रुपये अनुदान होगा।

राज्य पर्यटन नीति

राज्य पर्यटन नीति में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है। हेरिटेज होटल के लिए अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसके अनुसार निजी स्वामित्व वाले भवनों को यदि भवन स्वामी अथवा अन्य निवेशक द्वारा हेरिटेज होटल में परिवर्तित कर संचालित किया जाता है तो किए गए पूंजीगत व्यय का 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसमें भूमि का मूल्य शामिल नहीं है। पूंजीगत व्यय का 25 प्रतिशत अनुदान अथवा 1 करोड़ 50 लाख रुपये जो भी कम हो, देय होगा। अनुदान का भुगतान तब किया जाएगा जब निवेशक द्वारा होटल निर्माण के बाद हेरिटेज होटल के रूप में संचालन का एक वर्ष पूरा कर लिया गया हो तथा होटल को होटल एण्ड रेस्टोरेन्ट्स एप्रूवल एण्ड क्लासिफिकेशन कमेटी द्वारा हेरिटज होटल के रूप में वर्गीकृत कर लिया हो। पूंजीगत व्यय का आकलन राज्य पुरातत्व विभाग तथा पर्यटन निगम की अधिकारियों की एक समिति द्वारा किया जाएगा।

नीति में प्रमुख धार्मिक पर्यटन-स्थलों पर बजट होटल का निर्माण करने पर निवेशकों को अनुदान देने का प्रावधान भी किया गया है। विभाग के लेण्ड बैंक पर निर्माण की स्थिति पर 10 प्रतिशत अनुदान तथा 50 लाख रुपये जो भी कम हो, देय होगा। विभागीय भूमि के अपसेट मूल्य पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। निवेशक द्वारा स्वयं की भूमि पर होटल निर्माण की स्थिति में पूंजीगत व्यय का 20 प्रतिशत अनुदान अथवा 50 लाख रुपये, जो भी कम हो, दिया जाएगा। ऐसे मामलों में भूमि के मूल्य पर अनुदान नहीं दिया जाएगा।

बजट होटल के निर्माण में अनुदान/छूट की पात्रता तभी मान्य होगी जब होटल में कम से कम 50 अथवा उससे अधिक कक्ष का निर्माण किया गया हो तथा किराया 2 हजार रुपये प्रति कक्ष से ज्यादा न हो। डॉरमेटरी के निर्माण पर अनुदान/छूट की पात्रता तभी होगी जब इसमें 100 बिस्तर उपलब्ध हों तथा प्रति बिस्तर किराया 200 रुपये से अधिक न हो।

तकनीकी एवं कौशल विकास नीति

नीति के अनुसार आईटीआई विहीन विकासखण्ड में आईटीआई स्थापित करने के लिए अधिकतम 5 एकड़ शासकीय भूमि 30 वर्ष की लीज पर निःशुल्क दी जाएगी। पूंजीगत निवेश पर अनुदान की व्यवस्था की गई है। पूंजीगत लागत (उपकरण एवं भवन सहित) के 25 प्रतिशत की सीमा तक हाई एण्ड आईटीआई के लिए और 20 प्रतिशत की सीमा तक सामान्य आईटीआई के लिए अनुदान तीन समान किश्त में निर्धारित शर्तों के अनुसार दिया जाएगा।

कौशल विकास केन्द्र की स्थापना के लिए केवल उपकरण क्रय के लिए अधिकतम 2 लाख 50 हजार रुपये की राशि दो किश्त में दी जाएगी। शासन द्वारा प्रायोजित 50 प्रतिशत सीटों के शिक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति निर्धारित शर्त के अनुसार अधिकतम 10 वर्ष के लिए की जाएगी।

योजना में स्थापित आईटीआई कौशल विकास केन्द्रों के प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण की लागत के 50 प्रतिशत व्यय की प्रतिपूर्ति निर्धारित शर्त के अनुसार की जाएगी।

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