नीट परीक्षा को लेकर मोदी सरकार ने किया कोर्ट के विपरीत फैसला

नई दिल्‍ली, मई 2016/ वित्‍त मंत्री और वरिष्‍ठ वकील अरुण जेटली द्वारा हाल ही में कई मंचों से न्‍यायपालिका की भूमिका को लेकर की जा रही आलोचना के बाद सरकार और न्‍यायपालिका के बीच संबंधों में टकराव की नई जमीन तैयार हो गई है। नरेद्र मोदी सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले को लेकर कराए जाने वाले नैशनल एलिजिबलिटी एंड एंट्रेंस टेस्‍ट (नीट) को एक साल के लिए टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों नीट को मंजूरी दे दी थी लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेश को एक तरफ रखने के लिए अध्‍यादेश का रास्‍ता अपनाया। 20 मई को मोदी मंत्रिमंडल की बैठक में अध्‍यादेश को मंजूरी दे दी गई। अब यह स्‍वीकृति के लिए राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास जाएगा।

सरकार का कहना है कि यह कदम उसने कई राज्‍यों द्वारा नीट को लेकर किए जा रहे विरोध को देखते हुए उठाया है। इससे राज्‍यों को नीट कराने से एक साल की छूट मिल जाएगी। सरकार के इस फैसले का जहां कई राज्‍यों ने स्‍वागत किया है वहीं इसका विरोध भी शुरू हा गया है। दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को बाकायदा पत्र लिखकर अपना विरोध जताया है। केजरीवाल का कहना है कि कई सांसदों और नेताओं के मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं, सरकार का फैसला उन्‍हें फायदा पहुंचाने वाला है। इस फैसले से जनता में गलत संदेश जाएगा। चूंकि ज्‍यादातर निजी मेडिकल कॉलेजों में कई तरह के गोरखधंधे हो रहे हैं इसलिए यह माना जाएगा कि सरकार काले धन वालों को प्रश्रय दे रही है। केजरीवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बच्‍चों के माता पिताओं ने स्‍वागत किया था लेकिन मोदी सरकार ने सब पर पानी फेर दिया।

अध्यादेश के कारण उन राज्‍यों के छात्रों को फायदे की बात कही जा रही है जहां हिंदी व अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में पढाई होती है। अध्‍यादेश को कैबिनेट की मंजूरी के बाद महाराष्ट्र सरकार के मंत्री विनोद तावड़े ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी को तत्‍काल धन्यवाद भी दे दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए हमारी मेहनत रंग लाई।

दूसरी तरफ कैबिनेट के फैसले के खिलाफ कुछ लोगों ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। नीट के पक्ष में याचिका दायर करने वाले वकील अमित कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के वक्‍त दक्षिणी राज्यों सहित महाराष्ट्र व गुजरात जैसे राज्यों ने दलील दी थी कि नीट के तहत एक साथ परीक्षा करवाने से उनके यहां के बच्चे पिछड़ जाएंगे, क्योंकि वे क्षेत्रीय भाषाओं में तैयारी करते हैं। यह मामला संसद में भी उठा था और सरकार ने इस पर विचार के लिए पिछले दिनों सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी।

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