नई दिल्ली, मई 2016/ केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति को मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि इस आईपीआर नीति से रचनात्मकता और नवाचार के साथ-साथ उद्यमिता तथा सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, “भारत का बौद्धिक संपदा अधिकार कानून व्यापक और विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है। नई बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को लागू करने में कानून में किसी प्रकार के बदलाव की जरूरत नहीं होगी।”
इस नीति का उद्देश्य बौद्धिक सम्पक अधिकारों के आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों के बारे में समाज के हर वर्ग में जागरूकता लाना है। नई नीति से स्वास्थ्य देखभाल, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा।
बौद्धिक संपदा अधिकार नीति देश की बौद्धिक संपदा के संरक्षण और विकास की रूपरेखा तैयार करेगी। इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति अपने नाम और पहचान से अपनी रचना बेच सकेगा। इस नीति को कारगर ढ़ंग से लागू करने के लिए क्षमता निर्माण की जरूरत है। देश के प्रत्येक व्यक्ति को अपने उत्पाद अपने ब्रांड के तहत बेचने का अधिकार होना चाहिये।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस नीति से सरकार, अनुसंधान एवं विकास संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, एमएसएमई, स्टार्ट-अप समेत कॉरपोरेट इकाइयों और अन्य संबद्ध पक्षों को नवोन्मेष-अनुकूल माहौल तैयार करने में मदद मिलेगी। इसमें कहा गया कि अंतिम उत्पाद से सभी क्षेत्रों में रचनात्मकता और नवोन्मेष के साथ-साथ देश में स्थिर, पारदर्शी और सेवा केंद्रित आईपीआर प्रशासन को भी बढ़ावा मिलेगा।