भारत में नीदरलैंड के राजदूत एचई अलफॉन्सस ने कहा है कि विश्व में एक अवसर पर एक स्थान पर इतनी अधिक भीड़ एक-साथ कहीं एकत्र नहीं होती जितनी कि सिंहस्थ पर्व पर उज्जैन में होती है। इसलिए उज्जैन को भीड़ प्रबंधन के अध्ययन के लिए चुना गया है। इस अध्ययन, विश्लेषण तथा शोध के बाद क्राउड मैैनेजमेंट सिस्टम पर सॉफ्टवेयर विकसित किया जायेगा।

राजदूत अलफॉन्सस ने यह जानकारी आज उज्जैन में दी। उन्होंने बताया कि नीदरलैंड, रशिया तथा सिंगापुर के विश्वविद्यालय और भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ साईंस, आई.आई.टी. कॉनपुर और भारतीय औद्योगिक घरानों और स्टार्टअप कम्पनी द्वारा संयुक्त रूप से भीड़ नियंत्रण अध्ययन का प्रोजेक्ट आरम्भ किया गया है। भारत, नीदरलैंड संयुक्त शोध शिविर दत्त अखाड़ा क्षेत्र में स्थापित किया गया है। भीड़ के मनोविज्ञान, व्यवहार सहित गतिशीलता और ठहराव के कारण सुरक्षा भावना, व्यवस्था से सहयोग आदि विषय पर डाटा एकत्र किया जा रहा है। इस अध्ययन में जीपीएस, ड्रोन, लोकेट सेन्सर, श्रेष्ठतम केमरों आदि तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

अध्ययन का उद्देश्य आपदा प्रबंधन के लिए ऐसी गाईडलाइन तथा सॉफ्टवेयर विकसित करना है जिसका उपयोग संपूर्ण विश्व में अलग-अलग प्रयोजनों जैसे ओलम्पिक, बड़े सांस्कृतिक आयोजनों और संकट के समय भीड़ प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।

उज्जैन सिंहस्थ के संबंध में अपने अनुभव साझा करते हुए अलफॉन्सस ने कहा कि अधोसंरचना विकास, साफ-सफाई व्यवस्था, आई.टी. का उपयोग और लोगों का व्यवहार स्मार्ट सिटी की अवधारणा के रोल मॉडल को प्रस्तुत करता है।

मेला अधिकारी अविनाश लवानिया ने बताया कि अध्ययन में सिंहस्थ में आ रहे लोगों की प्रकृति, विविधता, समूह व्यवहार का अध्ययन भी किया जा रहा है। संवाद और सर्वे के माध्यम से लोगों के मनोविज्ञान और भावनाओं को जानना भी इस प्रक्रिया में शामिल है।

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