लंदन, मई 2016/ उद्योग विशेष को रियायत देने की नीति का कड़ा विरोध करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि किसी उद्योग को ‘प्रोत्साहित’ करना उसे खत्म करने का पक्का इंतजाम करने के समान है। इसलिए नीति निर्माताओं को किसी व्यवसाय की दिशा तय करने से बचना चाहिए। राजन ने सरकार से ‘कुछ करने’ की बार बार की रट की भी आलोचना की है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने वस्तु निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रुपए की विनिमय दर घटाने की मांग का उल्लेख किया और कहा कि यह जरूरी नहीं है कि भारत के व्यापार की नरमी मुद्रा विनिमय दर की वजह से ही हो।

वृहत-आर्थिक मुद्दों पर अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाने वाले राजन ने एक लेख में कहा है कि विकसित अर्थव्यवस्थाएं मांग को प्रोत्साहित करने के लिए आक्रामक मौद्रिक नीतियों के जरिए भारत जैसी उभरती बाजार व्यवस्थओं के लिए जोखिम पैदा कर रही हैं। ‘‘निश्चित तौर पर एक दिन हम पूंजी प्रवाह में तेजी देखते हैं क्योंकि निवेशक जोखिम लेने में रुचि दिखाते हैं और दूसरे दिन निकासी होती है क्योंकि वे जोखिम लेना नहीं चाहते।’’

राजन ने कहा, ‘‘मुझसे हमेशा पूछा जाता है कि हमें किन उद्योगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। मैं कहूंगा कि किसी उद्योग को प्रोत्साहित करना इसे खत्म करने का सबसे अचूक तरीका है। नीति निर्माता के तौर पर हमारा काम है कारोबार गतिविधियों को अनुकूल बनाना न कि इसकी दिशा तय करना।’’ अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘भारत वृहत्-आर्थिक स्थिरता के लिए घरेलू मंच तैयार करने की कोशिश कर रहा है ताकि वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके और वाह्य उतार-चढ़ाव से अपने बाजारों की रक्षा हो।’’

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