भोपाल/ मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा के भोपाल स्थिति सरकारी बंगले पर संकट आ गया है। इस समय कांग्रेस से राज्य सभा सदस्य और पार्टी के कोषाध्यक्ष वोरा को मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से प्रदेश की राजधानी में एक विशाल बंगला आवंटित है। यह बंगला भोपाल के पॉश सरकारी इलाके 74 बंगले में है। यहां प्रदेश के तमाम बड़े मंत्री रहते हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं एक और पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी वोरा के पड़ोसी हैं। लेकिन अब लगता है वोरा को यह बंगला खाली करना होगा।
बंगले के खाली होने की गई वजहें हैं। एक तो यह कि वोरा इस बंगले में कई सालों से नहीं आए हैं। यह बंगला लंबे समय से भूत बंगले की तरह वीरान पड़ा है। खुद वोरा भी जब कभी कभार भोपाल आते हैं तो यहां ठहरने के बजाय होटल में ठहरते हैं। कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी को जब शिवराजसिंह मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया था तो उन्होंने श्री वोरा से गुजारिश की थी कि वे तो यहां रहते नहीं इसलिए यह बंगला उन्हें दे दें ताकि वे अपने पिता के पड़ोस में ही रह सकें लेकिन बताया जाता है कि श्री वोरा ने बंगला देने से मना कर दिया।
इस विशालकाय बी टाइप बंगले का रखरखाव राज्य का लोक निर्माण विभाग करता है और बंगले को ठीक ठाक रखने के लिए उसे हर साल लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। हाल ही में इस बंगले के रंग रोगन का काम किया गया है। चूंकि वोरा से बंगला खाली कराना राजनीतिक मुद्दा बन सकता है इसलिए सरकार की ओर से भी इस दिशा में कभी सख्ती नहीं की गई। लेकिन अब लगता है कि सरकार ने वोरा से बंगला छीनने का मन बना लिया है। इसके लिए एक नए नियम को आधार बनाया जा रहा है। सरकार ने फैसला किया है कि राजधानी भोपाल में उन्हीं पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला दिया जाएगा जो राज्य के विधायक रहे हों। वोरा चूंकि छत्तीसगढ़ क्षेत्र से हैं शायद इसलिए सरकार ने इसी आधार पर उनसे बंगला वापस लेने का मंसूबा बनाया है।
लेकिन वोरा से यह बंगला वापस लेना सरकार के लिए उतना आसान भी नहीं होगा। जिस नियम का हवाला दिया जा रहा है उसे लागू करने में कई पेंच हैं। सबसे बड़ा पेंच तो यही है कि जिस समय वोरा मध्यप्रदेश की विधानसभा में विधायक थे और उसी हैसियत से मुख्यमंत्री रहे उस समय मध्यप्रदेश का विभाजन नहीं हुआ था। वोरा पहली बार 1985 में राज्य के मुख्यमंत्री बने और बाद में 1988 में मुख्यमंत्री चुने गए। वोरा देश में कांग्रेस की राजनीति का सौम्य चेहरा माने जाते हैं। वे केंद्रीय मंत्री रहने के अलावा उत्तरप्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं। ऐसे में उन पर हाथ डालना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। अलबत्ता सरकार के पक्ष में केवल एक बात ही भारी पड़ती है कि वोरा का भोपाल आना जाना न के बराबर है। बंगला कई सालों से वीरान पड़ा है, हाल ही में बंगला वापस लिए जाने की खबरों के बाद वोराजी ने अपने कुछ रिश्तेदारों को यहां ठहरा दिया है लेकिन इससे बात बनने वाली नहीं है। राजनीति में नैतिकता और ईमानदारी के लिए पहचाने जाने वाले वोरा यदि बंगला खाली नहीं करते यह मामला खुद उनकी छवि के लिए भी भारी पड़ेगा।