भोपाल/ मध्‍यप्रदेश में शिक्षा के विस्‍तार के साथ ही इसकी गुणवत्‍ता से जुड़ा मामला भी महत्‍वपूर्ण होता जा रहा है। गुणवत्‍ता में कमी के चलते बच्‍चे ऊंची कक्षा में जा तो रहे हैं लेकिन उनकी जानकारी या शिक्षा का स्‍तर उनकी वर्तमान कक्षा से कई कक्षा नीचे का है।

राज्‍य में 1 लाख 42 हजार 512 आरंभिक स्‍कूल हैं जबकि प्राथमिक स्‍कूल (कक्षा एक से पांच) की संख्‍या 89 हजार 119 और उच्‍च प्राथमिक स्‍कूल(कक्षा 6 से 8) की संख्‍या 47 हजार 47 है।

भारत में शिक्षा की स्थिति (एएसईआर) की वार्षिक रिपोर्ट-2014 के अनुसार राज्‍य में 1 लाख 14 हजार 360 स्‍कूल सरकार के द्वारा संचालित हैं। इनमें से 83 हजार स्‍कूल प्राथमिक स्‍तर के और 30 हजार 509 स्‍कूल उच्‍च प्राथमिक स्‍तर के हैं।

राज्‍य में शिक्षा की स्थिति का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि बच्‍चों में जानकारी या ज्ञान का स्‍तर बहुत ही कम है। कक्षा पांच के 28 प्रतिशत बच्‍चे कक्षा दूसरी की किताबों नहीं पढ़ पाते। इसी तरह चौथी कक्षा के 15 प्रतिशत बच्‍चे गणित में घटाने के सवाल नहीं कर पाते।

कई स्‍कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक या तो हैं ही नहीं या फिर वहां शिक्षकों की भारी कमी है। शिक्षा के अधिकार कानून के अनुसार प्राथमिक स्‍तर के स्‍कूलों में कम से कम दो और उच्‍च प्राथमिक स्‍कूलों में कम से कम तीन शिक्षक अवश्‍य होने चाहिए। लेकिन अनेक स्‍कूलों में यह संख्‍या भी मौजूद नहीं है।

एक आंकड़े के अनुसार राज्‍य में 17 हजार 495 शिक्षक गैर शिक्षकीय कामों में लगे हैं। इन शिक्षकों के शिक्षण से इतर कामों में लगे होने के कारण स्‍कूलों में शिक्षण कार्य का कितना नुकसान हो रहा है इसका कोई आकलन या आंकड़ा मौजूद नहीं है।

मैदानी स्‍तर पर जुटाई गई जानकारी के अनुसार शिक्षक या तो विकास खंड कार्यालयों में लगे हैं या फिर वे पहचान पत्र आदि बनाने जैसे काम कर रहे हैं। मोटे अनुमान के अनुसार एक तिहाई शिक्षक इसी तरह के गैर शिक्षण काम कर रहे हैं और इससे पूरे स्‍कूल का कामकाज प्रभावित हो रहा है। इसके विपरीत कई स्‍कूल ऐसे हैं जहां शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत स्‍वीकृत संख्‍या से अधिक शिक्षक हैं।

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