भोपाल। मध्यप्रदेश के सभी 50 जिले इस वर्ष के अंत तक ई-डिस्ट्रिक्ट बन जाएँगे। यह कार्य इस वर्ष के अंत तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है। फिलहाल पायलेट आधार पर इंदौर, गुना, ग्वालियर, सागर और शिवपुरी जिलों को ई-डिस्ट्रिक्ट बनाया गया है।
पाँच पायलेट जिलों में ई-डिस्ट्रिक्ट के कार्य को लोक सेवा प्रबंधन के साथ मिलकर किया गया है। इसी विभाग के साफ्टवेयर पर ई-डिस्ट्रिक्ट व्यवस्था को चलाया जा रहा है। पायलेट जिलों में सरकारी सेवाएँ इलेक्ट्रानिक माध्यम से देने का कार्य 27 जुलाई 2012 से शुरू किया गया था। इसमें अब तक 92 हजार आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से 60 प्रतिशत का निराकरण कर दिया गया है।
पायलेट जिलों की सफलता को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी 50 जिलों में ई-डिस्ट्रिक्ट व्यवस्था लागू करने के लिए एक प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा था। प्रस्ताव में व्यवस्था की लागत 143 करोड़ रुपये दर्शायी गयी थी। भारत सरकार ने इस प्रस्ताव स्वीकार कर प्रदेश को 115 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। शेष राशि की व्यवस्था राज्य के बजट से की जाएगी। पहली किश्त के रूप में प्रदेश को 4 करोड़ 50 लाख रुपये प्राप्त हो चुकें हैं। यह राशि 10 लाख रुपये के मान से 45 जिलों की जिला ई-गवर्नेंन्स सोसायटी को सीड मनी के रूप में उपलब्ध करवा दी गई है। सोसायटी इस राशि से प्राप्त ब्याज को संचालन संबंधी व्यय के लिए खर्च करेंगी।
ई-डिस्ट्रिक्ट व्यवस्था का उद्देश्य आम लोगों को किसी एक केन्द्र के माध्यम से सरकारी सेवाएँ आसानी से इलेक्ट्रानिक माध्यम से उपलब्ध करवाना है। इसका दूसरा उद्देश्य जिलों में कार्यरत विभागों का ऑटोमेशन और इलेक्ट्रिफिकेशन करना है। इसमें सारी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन होंगी। इस व्यवस्था से नागरिक सुविधा केन्द्रों, लोक सेवा केन्द्रों, स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क तथा स्टेट डेटा सेंटर जैसी आई.टी. अधोसंरचनाओं का लोक सेवा उपलब्ध करवाने में प्रभावी उपयोग हो सकेगा। साथ ही लोक सेवाएँ उपलब्ध करवाने में विश्वसनीयता, जबावदेही और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।