भोपाल। जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना (डी.पी.आई.पी.) द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार के उद्देश्य से आयोजित किये जा रहे रोजगार मेले अब विकास खण्ड मुख्यालयों पर लगाये जायेंगे। जॉब ऑफर के लिए चयनित युवाओं की काउंसलिंग भी की जायेगी। ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की सुविधा की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि डी.पी.आई.पी. परियोजना एवं आई.एल.पी. के तहत अब तक 247 रोजगार मेले आयोजित किये गये हैं। इन मेलों के जरिये 1 लाख 34 हजार से अधिक ग्रामीण युवाओं को विभिन्न कम्पनियों एवं संस्थानों में रोजगार के लिए जॉब ऑफर प्रदान किये गये हैं। रोजगार मेलों का आयोजन जिलों में श्रंखलाबद्ध रूप से किया जा रहा है।

राज्य शासन की रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नीति के अंतर्गत डी.पी.आई.पी. परियोजना द्वारा ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण के बाद रोजगार साधनों से भी जोड़ा जा रहा है। अभी तक 15 हजार 900 से अधिक ग्रामीण युवाओं को विभिन्न ट्रेड्स में प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को रोजगार तथा स्व-रोजगार से जोड़े जाने का काम सतत् रूप से किया जा रहा है।

क्लस्टर विकास

जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना द्वारा परियोजना कार्यक्षेत्र के 15 जिलों में कम से कम एक क्लस्टर विकसित कर उस पर समुचित ध्यान देने का निर्णय लिया गया है। इससे आजीविका के क्षेत्र में प्रत्येक जिले की एक अलग पहचान बन सकेगी। इसके तहत डेयरी, पोल्ट्री, गारमेंट्स मेकिंग, डोरमेट एवं कारपेट निर्माण, कोल ब्रिकेट्स, सब्जी उत्पादन, अगरबत्ती बनाने, बाँस बर्तन आदि क्लस्टर शामिल हैं। परियोजना में गठित महिलाओं के स्व-सहायता समूहों द्वारा आजीविका संवर्द्धन के लिए प्रारम्भ की गई लगभग 45 से अधिक आजीविका गतिविधियों का चिन्हांकन किया गया है।

डी.पी.आई.पी. के परियोजना समन्वयक श्री एल.एम. बेलवाल की अध्यक्षता में यहां सम्पन्न परियोजना की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी गई। बैठक में बताया गया कि नरसिंहपुर एवं छतरपुर जिले में स्व-सहायता समूहों द्वारा क्रमशः ‘माय केयर’ एवं ‘सहेली’ ब्रांड से सेनेटरी नेपकिन तैयार की जा रही है। गुना जिले में ‘चकाचक’ ब्रांड से बर्तन बार और छतरपुर जिले में ‘खजुराहो ब्रांड’ से वाशिंग पाउडर तैयार कर बिक्री का काम किया जा रहा है। नरसिंहपुर, पन्ना तथा सीधी जिलों में गारमेंट्स मेकिंग के लिए महिलाओं को आवश्यक प्रशिक्षण के बाद सिलाई मशीनें उपलब्ध करवाई गई है। अब ये महिलाएँ सिलाई का काम कर रही हैं। गारमेंट्स बिक्री के लिए विभिन्न संस्थाओं के साथ बाय-बैक की व्यवस्था भी की गई है। सब्जी उत्पादक समूहों द्वारा सभी जिलों में प्रमुख स्थानों पर आजीविका फ्रेश प्रारम्भ कर उनके माध्यम से ताजा सब्जियों की बिक्री की जा रही है।

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