भोपाल, अक्टूबर 2015/ सूखे की स्थिति से निपटने और खेती को बेहतर बनाने के लिये मध्यप्रदेश देश में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। फसलों के नुकसान और किसानों की स्थिति को जानने के लिये तीन दिन तक गाँवों का दौरा कर लौटे प्रदेश के प्रशासनिक, पुलिस और वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी इस बारे में दीर्घकालिक उपाय सुझायेंगे। इसके आधार पर किसान, खेती और गाँव की बेहतरी का रोड मेप बनेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 29 अक्टूबर को दिनभर इन अधिकारियों से वन-टू-वन मिलकर उनकी रिपोर्ट तथा सुझाव लेंगे। इसके बाद ये अधिकारी आगामी 30 अक्टूबर को 5 समूह में विस्तृत चर्चा कर प्रतिवेदन तैयार करेंगे। इसका प्रस्तुतिकरण आगामी 3 नवम्बर को केबिनेट के बाद किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज इस संबंध में एक बैठक में कहा कि प्रभारी मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के गाँवों में दौरे से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस भ्रमण के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों ने फसल खराब होने की स्थिति तथा किसानों के हालात को ठीक से समझा है। अब वे अपनी प्रतिभा का उपयोग कर इस संबंध में दीर्घकालिक और ठोस उपाय सुझाये। उन्होंने शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति को भी देखा है, इस संबंध में भी योजनाओं को बेहतर बनाने के सुझाव दें। उन्होंने कहा कि किसानों को संकट की इस स्थिति से हर हाल में उबारेंगे। बाकी खर्चों में कटौती कर किसानों को राहत दी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल चक्र में परिवर्तन और किसानों को उपज का बेहतर मूल्य दिलवाने, किसानों की वैकल्पिक आमदनी बढ़ाने, रोजगारमूलक योजनाओं और हितग्राही मूलक योजनाओं को बेहतर बनाने के उपाय सुझाये। राहत की राशि के बेहतर वितरण का तरीका भी सुझाये। उन्होंने कहा कि फसल कटाई के प्रयोग और मनरेगा में रोजगार उपलब्ध करवाने के बेहतर तरीके सुझाये। उन्होंने कहा कि उपलब्ध जल के बेहतर प्रबंधन के साथ कम पानी में होने वाली फसलों की कार्य-योजना बनाना होगी। जहाँ बिल्कुल पानी उपलब्ध नहीं वहाँ के लिये आपातकालीन योजना बनाना होगी। गाँव में पेयजल के व्यापक प्रबंध भी करना होंगे। वरिष्ठ अधिकारियों के प्रत्येक समूह में दो-दो वरिष्ठ समन्वयक रहेंगे। इन समूह में संभागायुक्त को भी शामिल किया जायेगा। आगामी 31 अक्टूबर को कृषि टॉस्क फोर्स की बैठक भी की जायेगी जो कृषि के लिये दीर्घकालिक उपाय सुझायेगी। इस दौरान किसानों को राहत पहुँचाने के तात्कालिक उपाय जारी रखे जायेंगे।

बैठक में मंत्रियों और अधिकारियों ने अपने भ्रमण के अनुभव के आधार पर सुझाव भी दिये। उन्होंने इस संबंध में मैदानी अधिकारियों से सुझाव लेने, मनरेगा में मजदूरी के समय से भुगतान तथा मजदूरी बढ़ाने, गाँवों में उद्यानिकी विभाग के अमले को बढ़ाने, सूखाग्रस्त जिलों में तहसीलदारों की संख्या बढ़ाने के बारे में सुझाव दिये।

बैठक में वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया, वन मंत्री श्री गौरीशंकर शेजवार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव, लोक निर्माण मंत्री श्री सरताज सिंह, किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुश्री कुसुम महेदेले, राजस्व मंत्री श्री रामपाल सिंह, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा, ऊर्जा मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, महिला- बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह, परिवहन मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री श्री ज्ञानसिंह, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन, खाद्य मंत्री कुँवर विजय शाह, श्रम मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी, सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री लालसिंह आर्य, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री शरद जैन, मुख्य सचिव श्री अन्टोनी डिसा और पुलिस महानिदेशक श्री सुरेन्द्र सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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