भोपाल, अक्टूबर 2015/ प्रदेश में भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बैंक संघ ने उच्च शिक्षा के ऋण के लिए निर्धारित मॉडल योजना के अनुसार विद्यार्थियों को ऋण उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये हैं।
पूर्व में बैंकों द्वारा उच्च शिक्षा ऋण योजना में ऋण लेने वाले विद्यार्थी का जीवन और दुर्घटना बीमा किये जाने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया था। पुनरीक्षित योजना में विद्यार्थी के जीवन-बीमा का प्रावधान ऋणी की सहमति के बाद रहेगा। वित्त विभाग ने अपने जारी आदेश में यह स्पष्ट किया है कि चालू योजना में ऋण लेने वाले विद्यार्थी के जीवन-बीमा की बाध्यता नहीं है।
प्रदेश में पिछले कुछ समय में ऐसे प्रकरण सामने आये हैं, जिनमें विद्यार्थी द्वारा बैंक से उच्च शिक्षा के लिये ऋण प्राप्त किया गया और ऐसे विद्यार्थी पढ़ाई अथवा शिक्षा पूरी करने के बाद की ऋण चुकाने की अवधि के दौरान असामयिक मृत्यु के शिकार हो गये। ऐसी स्थिति में उच्च शिक्षा के लिये लिया गया ऋण का भार उनके परिवार पर आ गया। यदि ऐसे परिवार ने उच्च शिक्षा ऋण लेते वक्त विद्यार्थी का जीवन-बीमा करवाया होता तो उनके परिवार पर ऋण एवं ब्याज का भार नहीं आता। वित्त विभाग ने उच्च शिक्षा ऋण लेने वाले विद्यार्थियों का जीवन-बीमा लिये गये ऋण के समकक्ष करवाये जाने की समझाइश दी है। इसके लिये ऋण निपटान की योजना में कई प्रावधान भी किये गये हैं।
अब तय किया गया है कि प्रचलित शिक्षा ऋण खातों में तथा भविष्य में स्वीकृत होने वाले ऋण प्रकरणों में बैंकों द्वारा ऐसे विद्यार्थी का प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना में अनिवार्य रूप से बीमा करवाया जाये। यदि किसी विद्यार्थी की आकस्मिक मृत्यु होती है तो बीमा योजना में दावा राशि प्राप्त होने के बाद एनपीए की तिथि पर शेष बची राशि की 50 प्रतिशत राशि राज्य शासन द्वारा बैंक को अनुदान के रूप में उपलब्ध करवायी जायेगी। इसी तरह शेष 50 प्रतिशत राशि बैंक द्वारा माफ की जायेगी। बैंक द्वारा ऐसे प्रकरण राज्य शासन के ध्यान में लाने के 60 दिन के भीतर राशि बैंक को उपलब्ध करवाये जाने के प्रयास होंगे।
वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह सुविधा सिर्फ ऐसे प्रकरण में लागू होगी, जहाँ विद्यार्थी का जीवन-बीमा नहीं किया गया है। यदि ऋण के विरुद्ध बैंक द्वारा विद्यार्थी का जीवन-बीमा करवाया गया है तो ऐसे ऋण का सेटलमेंट बैंक द्वारा जीवन-बीमा के दावे से प्राप्त होने वाली राशि से किया जायेगा। यह भी ने स्पष्ट किया गया है कि योजना सिर्फ विद्यार्थी की असामयिक मृत्यु एवं स्थायी अपंगता के प्रकरण में ही लागू होगी।
राज्य शासन ने अपर मुख्य सचिव, वित्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। समिति में संबंधित बैंक के प्रतिनिधि तथा राज्य-स्तरीय बैंकर्स समिति को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। समिति के सदस्य सचिव आयुक्त, संस्थागत वित्त बनाये गये हैं। समिति के समक्ष प्रभावित विद्यार्थी के बैंक द्वारा जारी ऋण स्वीकृति आदेश, ऋण खाते का तारीखवार बैंक स्टेटमेंट, शैक्षणिक योग्यता की मार्कशीट, मृत्यु होने की दशा में मृत्यु प्रमाण-पत्र और अपंगता की स्थिति में अपंगता प्रमाण-पत्र की छाया-प्रति उपलब्ध करवाना होगी।
राज्य शासन द्वारा प्रभावित विद्यार्थी के हिस्से की अनुदान राशि बैंक को उपलब्ध करवायी जायेगी। उसके एक माह की अवधि में बैंक द्वारा ग्यारंटर को नो-ड्यूज सर्टिफिकेट जारी किया जायेगा। यदि विद्यार्थी के ऋण के विरुद्ध कोई सम्पत्ति बॅधक के रूप में रखी गयी है तो उसे एक माह के भीतर बैंक द्वारा बॅधक-मुक्त किया जायेगा। प्रदेश में इस योजना का क्रियान्वयन संचालनालय संस्थागत वित्त द्वारा किया जायेगा।