भोपाल, सितम्बर 2015/ भारत को मलेरियामुक्त बनाने की मुहिम मध्यप्रदेश से शुरू होगी। इसमें सन फार्मास्‍युटिकल इंडस्ट्रीज द्वारा स्थापित किया जाने वाला इंडिया मलेरिया एलीमिनेशन फाउण्डेशन (आईएमईएफ) सक्रिय सहयोग करेगा। फाउण्डेशन मानव संसाधन, दवा, जाँच और मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहयोग देगा। सन फार्मा लिमिटेड के प्रबंध संचालक श्री दिलीप संघवी ने आज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से भेंटकर मलेरिया उन्मूलन अभियान के संबंध में चर्चा की। प्रायोगिक तौर पर अभियान जबलपुर संभाग के जिलों से शुरू होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान के सुझाव पर इसमें शहडोल, सीधी, सिंगरोली और उमरिया जिले को भी शामिल किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि नवंबर 2014 में म्यांमार में हुई ईस्ट एशिया समिट (ईएएस) में एशिया प्रशांत के देशों को 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने का संकल्प लिया गया था। सम्मेलन में एशिआन देशों के राज्य प्रमुखों ने भाग लिया था, जिनमें आस्ट्रेलिया, चीन, जापान, कोरिया, न्यूजीलेण्ड, रूस और अमेरिका शामिल हैं। मलेरिया, मध्यप्रदेश सहित भारत में एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इससे अधिकतर आदिवासी और अंदरूनी क्षेत्र प्रभावित होते हैं। इस बीमारी के कारण बड़ी संख्या में मृत्यु तो होती है, इससे अर्थव्यवस्था और उत्पादकता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।

मध्यप्रदेश के जबलपुर संभाग के 8 जिले मलेरिया से अधिक प्रभावित हैं। संभाग के 10 हजार 586 गाँव में लगभग एक करोड़ 17 लाख 78 हजार लोग रहते हैं। मलेरिया उन्मूलन योजना में सबसे पहले इन जिलों को शामिल किया गया है। योजना में शिशुओं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को मलेरिया से बचाने पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जायेगा। इस कार्य में समाज के लोगों को मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके उन्मूलन के कार्य में सक्रिय से सहभागी बनाया जायेगा। आने वाले कुछ वर्षों में संभाग के सभी जिलों से मलेरिया के पूरी तरह उन्मूलन का लक्ष्य है। जबलपुर स्थित राष्ट्रीय जनजाति स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान द्वारा किये शोध के अनुसार यह लक्ष्य प्राप्त करना पूरी तरह संभव है।

मुख्यमंत्री ने मलेरिया को समूल नष्ट करने के लिये विशेष कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सन फार्मा की विशेषज्ञता और तकनीकी सहयोग और राज्य सरकार के सहयोग से मलेरिया पर पूरी तरह नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होंने सन फार्मा और राज्य सरकार के अधिकारियों का संयुक्त दल गठित कर जमीनी चुनौतियों और समस्याओं को देखते हुए रणनीति तैयार करने को कहा।

श्री चौहान ने कहा कि मलेरिया पर हमला बोलने का यही समय है। उन्होंने कहा कि मलेरिया फैलने के कारणों और रोकथाम के सभी उपायों के संबंध में लोगों को सूचित और शिक्षित करने के लिये भी कार्य-योजना बनायें।

श्री चौहान ने मलेरिया नियंत्रण के लिये प्रारंभिक तैयारियाँ करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सरकार की स्वास्थ्य अधोसंरचनाएँ और उपलब्ध मैदानी अमले के सहयोग से तकनीकी ज्ञान और संसाधन का बेहतर उपयोग मलेरिया नियंत्रण के लिये किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीपीपी मोड में चलाया जाने वाला यह अभियान पूरे देश को मलेरिया से मुक्त करने में अग्रणी भूमिका निभायेगा।

सन फार्मा की ओर से श्री दिलीप संघवी ने कहा कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करवाने की जरूरी अधोसंरचनाएँ और व्यवस्थाएँ बेहतर हुई हैं और पारदर्शिता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पोलियो की तरह मलेरिया पर संपूर्ण नियंत्रण संभव है और कई देशों ने यह कर दिखाया है। मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में मलेरिया जन-स्वास्थ्य की प्रमुख चुनौती के रूप में विद्यमान है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इसके प्रकरण ज्यादा मिलते हैं। जन स्वास्थ्य के अलावा यह अर्थ-व्यवस्था को भी प्रभावित करता है।

बैठक में मलेरिया निरोधी दवाइयों की उपलब्धता और दवायुक्त मच्छरदानी के स्थानीय उत्पादन एवं वितरण संबंधी विषयों पर भी चर्चा हुई। मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्रीमती गौरी सिंह, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री विनोद सेमवाल, प्रमुख सचिव उद्योग श्री मोहम्मद सुलेमान, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री एस. के. मिश्रा और सचिव श्री हरिरंजन राव उपस्थित थे।

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