भोपाल, सितम्बर 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप प्रदेश में श्रम कानूनों में ऐसे संशोधन किये गये हैं, जिनसे राज्य में निवेश को प्रोत्साहन मिले, लेकिन श्रमिकों के हित पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े। दिसम्बर, 2014 में पारित मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम, मध्यप्रदेश औद्योगिक नियोजन (स्थाई आदेश) अधिनियम और श्रम कल्याण निधि अधिनियम का लाभ बड़ी संख्या में श्रमिक और संस्थानों को मिला है।
मध्यप्रदेश औद्योगिक नियोजन (स्थाई आदेश) अधिनियम लागू होने से लगभग 10 हजार संस्थान को लाभ हुआ है। श्रमिकों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़कर 60 वर्ष हो गयी है। पचास श्रमिक वाले संस्थान पर अधिनियम लागू है, परंतु माइक्रो इण्डस्ट्रीज को इससे छूट दी गयी है। अधिनियम का उल्लंघन होने वाले प्रकरणों को न्यायालय में जाने के स्थान पर नये प्रावधान में कार्यालय में ही समझौता शुल्क देकर निराकरण किया जा रहा है। इससे प्रकरणों का शीघ्र निराकरण हो रहा है।
मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम में संशोधन का लाभ प्रदेश की साढ़े आठ लाख स्थापनाओं को मिला है। पंजीयन सुविधा आसान हुई है। अब यदि किसी दुकान या व्यावसायिक संस्थान द्वारा अधिनियम में पंजीयन या नवीनीकरण संबंधी आवेदन को 30 दिन में स्वीकृत नहीं किया जाता है और कोई आपत्ति नहीं दर्ज करवायी जाती है तो इसे स्वत: पंजीकृत माना जाता है।
दस से कम श्रमिक वाली स्थापनाओं का किसी भी श्रम अधिनियम में अब बिना श्रमायुक्त की पूर्व अनुमति के निरीक्षण नहीं किया जा सकता है। अधिनियम में निर्धारित पंजी एवं अन्य अभिलेख कम्प्यूटर या डिजिटल फार्मेट में रखने की अनुमति भी दी गयी है। इस अधिनियम का उल्लंघन करने वाले प्रकरणों का भी न्यायालय के स्थान पर कार्यालय में ही समझौता शुल्क देकर निराकृत किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश श्रम कल्याण अधिनियम में पंजी एवं अभिलेख कम्प्यूटर या डिजिटल फार्मेट रखने की अनुमति दी गयी है। प्रदेश के 15 हजार संस्थान को इसका लाभ मिला है। अधिनियम में सभी माइक्रो इण्डस्ट्रीज को छूट दी गयी है।