भोपाल, अगस्त 2015/ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सुझाव एवं यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के दिशा-निर्देश पर च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम (सी.बी.सी.एस.) के जरिये उच्च शिक्षा देने वाला राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने आज इसका शुभारंभ किया। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री प्रो. रामशंकर कठेरिया ने भी सी.बी.सी.एस. शुरू करने पर विश्वविद्यालय को बधाई दी है।

श्री गुप्ता ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्र में जाकर सी.बी.सी.एस. के बारे में जानकारी दें। उन्होंने कक्षा में विद्यार्थियों की कम उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की। श्री गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थी को जब कक्षा में कुछ अतिरिक्त सीखने को मिलेगा, तभी वह आयेगा। चर्चा के बाद जो सुझाव आयें उन्हें भी सिस्टम में शामिल करें। कॉलेज में नाम पट्टिका अंग्रेजी के साथ ही हिन्दी में भी लगायें।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पियूष त्रिवेदी ने बताया कि सी.बी.सी.एस. प्रणाली से छात्र अपनी प्रतिभा एवं अकादमिक क्षमता के अनुसार विषयों का चयन अपनी मर्जी से कर सकते हैं। सी.बी.सी.एस. शिक्षा के क्षेत्र में उदारीकरण और वैश्वीकरण के साथ पाठ्यक्रम के तालमेल को बनाये रखता है। सी.बी.सी.एस. छात्रों द्वारा अर्जित क्रेडिट के हस्तांतरण की सुविधा के साथ-साथ दुनिया भर में फैले विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अपनी पढ़ाई जारी रखने की छात्रों को मोबिलिटी प्रदान करता है।

सी.बी.सी.एस. न केवल छात्रों के विकल्पों पर आधारित है, अपितु यह संस्थानों को पाठ्यक्रम के चयन में स्वायत्तता प्रदान करता है, जिसमें वह नई सी.बी.सी.एस. योजना के साथ आगे जाने के लिये पुराने पेटर्न को जारी रखने को स्वतंत्र होंगे। छात्रों की पसंद पर आधारित ओपन लर्निंग वातावरण सुनिश्चित करने वाली इस प्रणाली से सभी श्रेणी के छात्र-छात्राएँ लाभान्वित होंगे।

इस प्रणाली के आधार पर छात्र अपनी पसंद के अनुसार पाठ्यक्रम का चयन कर पायेगा। यह प्रणाली सेमेस्टर आधारित होगी एवं इसमें छात्र को डिग्री पाने के लिये अभी 252 क्रेडिट्स की अपेक्षा कुल 180 क्रेडिट अर्जित करने होंगे। यह 180 क्रेडिट्स विभिन्न भागों में विभाजित होंगे, जिसमें छात्रों को केवल एक ही दिशा में न जाते हुए कई प्रकार के विषयों को पढ़ने का पूरा मौका मिलेगा। इसमें छात्रों को प्रत्येक सेमेस्टर में न्यूनतम 16 क्रेडिट के विषयों को लेना होगा। अगले वर्ष में पढ़ने के लिये उसे पिछले वर्ष में न्यूनतम 22 क्रेडिट अर्जित करने होंगे। इस प्रकार 180 में से 90 क्रेडिट मूल विषय इलेक्टिव पाठ्यक्रम के अध्ययन से एवं शेष 90 क्रेडिट बेसिक साइंस, इंजीनियरिंग साइंस एवं अन्य क्षेत्रों पर आधारित पाठ्यक्रम के अध्ययन के होंगे।

इस प्रणाली में छात्र को कक्षा में नियमित उपस्थित होना जरूरी होगा। क्रेडिट का आकलन छात्र की उपस्थिति तथा सतत मूल्यांकन के आधार पर होता है। छात्र को प्रत्येक पेपर में निर्धारित क्रेडिट पाने होंगे। परीक्षा में छात्र की ओर से अर्जित अंकों को उपस्थिति से प्राप्त क्रेडिट से गुणा कर सीजीपीए ग्रेड दी जायेगी। छात्र कोर विषयों के अतिरिक्त पाठ्यक्रम का चुनाव करेगा तो वह अतिरिक्त क्रेडिट अर्जित कर सकता है। पहले छात्र स्नातक स्तर पर केवल अपने विभागीय आधारित विषयों का अध्ययन कर इसी विषय में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकता था। इससे छात्र अन्य क्षेत्रों के विषयों की शिक्षा हासिल नहीं कर पाता था। अब छात्र को अपने विभागीय विषय से भिन्न विषय में कुशलता हासिल करने का विकल्प मिल जायेगा।

सी.बी.सी.एस. की विशेषताएँ

सी.बी.सी.एस. प्रणाली में बेसिक साइंस कोर, डिपार्टमेंट कोर, इंजीनियिरंग साइंस कोर, मानविकी कोर एवं वैकल्पिक में डिपार्टमेंट वैकल्पिक एवं ओपन वैकल्पिक विषय सहित कुल पाँच मुख्य पाठ्यक्रम होंगे।

क्रेडिट हस्तांतरण- कुछ कारणों से यदि छात्र अध्ययन के भार के साथ सामना नहीं कर सकता है या वह बीमार हो जाता है तो वह कम पाठ्यक्रमों का अध्ययन और कम क्रेडिट कमाने के लिये स्वतंत्र रहता है और वह अगले सेमेस्टर में इसकी क्षतिपूर्ति कर सकता है।

व्यापक सतत मूल्यांकन- इस प्रकार छात्र अपने द्वारा क्रेडिट का सही चुनाव कर अपनी अकादमिक क्षमता का खुद के द्वारा एक सतत मूल्यांकन कर सकता है।

वैश्विक ग्रेडिंग प्रणाली के अनुपालन में दुनिया भर में सभी प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों में क्रेडिट की एक ही प्रणाली को लागू कर रहे हैं। उदाहरण के लिये हम यूरोपीय क्रेडिट अंतरण प्रणाली यूरोप के विश्वविद्यालयों में (ECTS), आस्ट्रेलिया में ‘राष्ट्रीय योग्यता फ्रेमवर्क’ है। ब्रिटेन में क्रेडिट संचय और अंतरण प्रणाली (कैट्स) है। अमेरिका, जापान में भी उच्च शिक्षा च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टम पर ही आधारित है।

विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली के लाभ- सी.बी.सी.एस. छात्रों को अपनी पसंद के पाठ्यक्रम का चयन करने की स्वतंत्रता प्रदान करती है, जो एक ‘कैफेटेरिया’ दृष्टिकोण के समान है।

सी.बी.सी.एस. प्रणाली छात्रों के लिये है, जिससे वे अपनी गति से लर्निंग पाठ्यक्रम का चयन कर उसे सीख सकते हैं। वे अतिरिक्त पाठ्यक्रम के लिये विकल्प चुन सकते हैं और आवश्यक क्रेडिट की तुलना में अधिक क्रेडिट भी प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार इस प्रणाली से कमजोर से लेकर तेज, सभी वर्ग के छात्रों को अपनी प्रतिभा अनुसार विषयों को पढ़ने की आजादी होती है। प्रणाली से छात्र केवल अपने विभाग के विषयों के ज्ञान तक सीमित नहीं रहते। इस प्रकार छात्रों के रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में क्रेडिट के हस्तांतरण के आधार पर चयनित होना आसान हो जाता है।

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