मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में महिलाओं के मुद्दों के प्रति संवदेनशीलता के मुददे को शासन-प्रशासन की सीमा से परे जन आंदोलन बनाने की पहल की जायेगी। उन्होंने महिला सशक्तीकरण को सुशासन का अभिन्न घटक बनाने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में विकास कार्यक्रमों और नीतियों की समीक्षा जेण्डर समानता के मापदण्डों के आधार पर भी की जायेगी।
श्री चौहान दो अक्टूबर को वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक में उच्च अधिकारियों के समक्ष ‘मध्यप्रदेश में महिलाओं का सामाजिक सशक्तीकरण और सेवाओं एवं आजीविका तक सीधी पहुँच” विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।
इस विशेष सत्र की अध्यक्षता विश्व बैंक में दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिये नियुक्त मुख्य आर्थिक सलाहकार सुश्री कल्पना कोचर ने की। विश्व बैंक में संचालक जेंडर और विकास सुश्री जैनी क्लुगमैन विशेषज्ञ अधिकारियों के साथ विशेष रूप से उपस्थित थीं। विश्व बैंक के उच्च अधिकारियों ने महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक, राजनैतिक और शैक्षणिक सशक्तीकरण के मध्यप्रदेश के प्रयासों को अनुकरणी ढीजजचरूध्ध्अनुकरणीझय बताते हुए सराहना की। उन्होंने विकास कार्यक्रमों में महिलाओं की अधिकार सम्पन्नता का ध्यान रखने की सोच की भी प्रशंसा की। सुश्री कोचर ने विश्व बैंक की ओर से महिला सशक्तीकरण के मुद्दे पर मध्यप्रदेश के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जाहिर की।
उल्लेखनीय है कि श्री चौहान को मध्यप्रदेश में महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक रूप से अधिकार संपन्न बनाने के लिये अपनाई गई रणनीतियों और विकास नीतियों पर अपने विचार रखने के लिये विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने हिंदी में दिये अपने भाषण में कहा कि महिला सशक्तीकरण को सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। लिंग आधारित भेदभाव की जड़ें सामाजिक अन्याय से जुड़ी हैं। इसके लिये मानसिकता बदलने की जरूरत है।
जेंडर समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों में महिलाओं के स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक सशक्तीकरण का उल्लेख करते हुए श्री चौहान ने कहा कि महिलाओं के मुद्दे पर विशेष ध्यान देने से समाज के सामाजिक विकास के लक्ष्यों पर भी सकारात्मक प्रभाव पडेगा। महिला सशक्तीकरण को मौलिक अधिकार के रूप में देखने से पूरी दुनिया में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले लोगों को नई उर्जा मिलेगी।
कैसे कदम बढ़ाया मध्यप्रदेश ने
मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश में पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों में नेतृत्व करने वाली महिलाओं के नेतृत्व कौशल और आत्म-विश्वास बढ़ाने के लिये किये गये प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि ये संस्थाएँ सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये जिम्मेदार हैं। इन संस्थाओं के प्रतिनिधि योजनाएँ बनाते हैं, विकास कार्यक्रम क्रियान्वित करते हैं और निचले स्तर पर इन संस्थाओं को आवंटित बजट पर निगरानी रखते हैं।
श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध करवाया गया है। वर्तमान में इन संस्थाओं में 56 प्रतिशत प्रतिनिधित्व महिलाओं का है। कुछ समय पहले तक इन संस्थाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व नगण्य था। आज एक लाख 50 हजार महिलाओं ने अपने निजी जीवन से बाहर आकर सार्वजनिक जीवन में कदम रखा है। वे योजनाओं के निर्धारण, विकास एवं सामाजिक कल्याण की योजनाओं के क्रियान्वयन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में परिवार की भूमि और सम्पत्ति का स्वामित्व पुरूषों को देने की वर्षों पुरानी प्रथा को बदलते हुए सम्पत्ति के स्वामित्व में महिलाओं को बराबर की हकदार बनाने की पहल की गयी है।
बेटियों के अनिवार्य शैक्षणिक विकास के संदर्भ में श्री चौहान ने कहा कि वर्ष 2007 में बालिकाओं के सशक्तीकरण के लिये लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की गई है। इस योजना में ऐसी बेटियों को जिन्होंने एक जनवरी 2006 या उसके बाद जन्म लिया है और वे परिवार में पहली या दूसरी संतान हैं उन्हें 21 साल की होने पर एक लाख 18 हजार रूपये यानी करीब 2200 अमेरिकी डॉलर प्राप्त होंगे। इस योजना से बेटियोंं के जन्म को बोझ मानने की परम्परागत सोच को बदलने का प्रयास किया गया है। शिक्षा के अलावा बेटियों की शादी पर होने वाले खर्च की भी चिन्ता की गयी है। इस योजना से लोगों के बेटियों के प्रति सोच और दृष्टिकोण में प्रभावी परिवर्तन लाने में मदद मिली है।
बेटी बचाओ अभियान
श्री चौहान ने कानूनी प्रयासों और कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद घटते हुए लिंगानुपात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि घटते शिशु लिंगानुपात को रोकने और लोगों की सोच में परिवर्तन लाने के लिये मध्यप्रदेश में ”बेटी बचाओ अभियान” की शुरूआत की गई है। अब यह अभियान जन आंदोलन का रूप ले रहा है। इस अभियान को राजनैतिक – धार्मिक नेताओं, अशासकीय संगठनों, लोक-प्रतिनिधियों, आम नागरिकों और युवाओं समाज के सभी वर्गों का सहयोग मिला है। उन्होंने कहा कि इस अभियान को पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाया जायेगा।
श्री चौहान ने कहा कि बाल विवाह और दहेज जैसी सामाजिक कुरीतियों से निपटने के प्रयासों की श्रंखला में गरीब बेटियों के विवाह के लिये मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की चर्चा करते हुए बेटियों के विवाह सामूहिक तौर पर एक स्थान पर सम्पन्न होने से सामाजिक समरसता बढ़ी है। समाज के सभी वर्गों को बराबरी से लाभ पहुँचा है। इस योजना में दो लाख 25 हजार से ज्यादा परिवारों को अपनी बेटियों के विवाह में राज्य की ओर से मदद मिली है।
बेटियों की शिक्षा
श्री चौहान ने जागृत समाज में शिक्षित महिलाओं की भूमिका की चर्चा करते हुए अपने भाषण में प्रदेश में बालिकाओं की शिक्षा के लिये किये गये नवाचारों की जानकारी दी । उन्होंने कहा कि बेटियों को निःशुल्क साईकिलें उपलब्ध करवायी गयी ताकि वे बिना किसी बाधा के शाला पहुँचे और उच्चतर माध्यमिक स्तर तक अनिवार्य रूप से पढ़ाई जारी रख सकें। बालिकाओं को शाला पहुँचने की सुविधा देने का प्रावधान उनके सशक्तीकरण के लिये प्रभावी कदम साबित हुआ और उन्हें अपनी क्षमताओं को पहचानने में मदद मिली।
राज्य में पाँच मिलियन से ज्यादा बालिकाओं को निःशुल्क शाला गणवेश उपलब्ध करवाये गये हैं। जो बालिकाएँ शासकीय विद्यालयों में अध्ययन कर रही हैं उन्हें प्राथमिक स्तर तक निःशुल्क किताबें उपलब्ध करवायी जाती हैं। सभी शालाओं में शाला प्रबंधन समितियाँ हैं जिनमें शिक्षक, अभिभावक, पंचायत राज संस्थाओं के सदस्य शामिल हैं। यह समितियाँ विद्यार्थियों के हित में गाँव स्तर पर निर्णय लेती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की शालाओं के सभी विद्यार्थियों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध करवाने वाली योजना संचालित की गयी है। इन शालाओं में 8.5 मिलियन विद्यार्थी मध्यान्ह भोजन का लाभ लेते हैं। इस पहल से 76 हजार 750 महिला स्व-सहायता समूहों को भी जोड़ा गया है। यह समूह साल भर बच्चों के लिये पौष्टिक भोजन तैयार करते हैं। पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन कर रही बालिकाओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभावान बालिकाओं के लिये गाँव की बेटी और शहरी क्षेत्रों की बेटियों के लिये प्रतिभा किरण योजना की चर्चा की ।
सेवाओं तक पहुँच
श्री चौहान ने कहा कि 6 साल तक के बच्चों में पोषण का स्तर सुधारने के लिये प्रदेश में पूरक आहार कार्यक्रम चलाया जा रहा है। गर्भवती या नवजात शिशुओं का लालन-पालन कर रही 5 मिलियन महिलाओं को घर ले जाने के लिये पौष्टिक आहार उपलब्ध करवाया गया है। उन्होंने 11 से 18 वर्ष की आयु की वयस्क बालिकाओं के पोषण और स्वास्थ्य का स्तर बढ़ाने के लिये सबला योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में इस योजना का विस्तार किया जायेगा।
घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की कानूनी सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण और आश्रय उपलब्ध करवाने के लिये लागू उषा किरण योजना के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सभी जिलों में विशेष सुरक्षा अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गयी है ताकि वे घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की परेशानी कम करने के लिये योजना के प्रावधानों का ठीक से पालन करवायें।
महिलाओं को न्याय दिलाने और उनके विरूद्ध अपराध कम करने के लिये महिला हितैषी पुलिस सहायता और कार्रवाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से महिला पुलिस थानों की स्थापना की गई है। इसके अलावा 212 पुलिस थानों में परिवार परामर्श केन्द्र संचालित हैं।
श्री चौहान ने कहा कि स्वच्छता बनाये रखना एक चुनौती है और साथ ही यह व्यक्तिगत गरिमा से जुड़ा विषय है विशेष रूप से महिलाओं के लिये। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में इस मुद्दे के समाधान के लिये मर्यादा अभियान चलाया गया है। अभियान का उद्देश्य प्रत्येक घर में शौचालय की व्यवस्था करना और महिलाओं और लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता का स्तर बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि 2015 तक राज्य के सभी घरों में शौचालय की सुविधा हो जायेगी।
महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच उपलब्ध करवाने के प्रयासों की चर्चा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि चौबीसों घंटे विश्वसनीय कॉल सेंटर से जुड़ी निःशुल्क रेफरल परिवहन व्यवस्था जननी एक्सप्रेस योजना को सुदृढ़ करने के कारण 62 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को व्यवस्था का लाभ मिला है। इसी प्रकार जननी सुरक्षा योजना में करीब 6.23 मिलियन गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव सुविधाओं का लाभ मिला है। उन्होंेने कहा कि जिला अस्पतालों में बीमार नवजात शिशु देखभाल इकाइयों की स्थापना से पिछले तीन सालों में 1.12 लाख बीमार नवजात शिशुओं को नया जीवन मिला।
श्री चौहान ने कहा कि समुदाय और स्वास्थ्य सेवा प्रदाय करने वाले अमले के बीच सम्पर्क मजबूत करने के लिये 56 हजार 91 महिला सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ”आशा” की महत्वपूर्ण भूमिका सिद्ध हुई है। उनकी भूमिका को और अधिक विस्तार देते हुए घर पर ही नवजात शिशुओं और माताओं की देखभाल की जिम्मेदारी भी दी गयी है।
उत्साहजनक परिणाम
श्री चौहान ने मध्यप्रदेश के नवाचारी प्रयासों के परिणाम का उल्लेख करते हुए कहा कि लोक स्वास्थ्य अधोसंरचना और सेवा प्रदाय के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन परिलक्षित हुए हैंै। जन्म के बाद परीक्षण का प्रतिशत 32.2 से बढ़कर 68.1 पहुँच गया है। पिछले पाँच साल में संस्थागत प्रसव में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल हुई है। संस्थागत प्रसव वर्ष 2005-06 में 26.2 प्रतिशत था, जो बढ़कर वर्ष 2009 में 81 प्रतिशत हो गया। इससे मातृत्व मृत्यु दर जो वर्ष 2001-03 में 379 थी वह वर्ष 2010-11 में घटकर 310 हो गयी है। शिशु मृत्यु दर 70 प्रति हजार जन्म से घटकर 62 हो गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जेण्डर बजट बनाने की पहल ने नीति निर्माण की प्रक्रिया को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। बच्चों में कुपोषण को समाप्त करने के लिये एक वृहद् स्तर पर अटल बाल आरोग्य मिशन की शुरूआत की गयी है।