भोपाल, अप्रैल 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सी.एम. हेल्पलाइन की समाधान प्रक्रिया में नागरिक संतोष को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाये। समाधान व्यवस्था की विश्वसनीयता के साथ किसी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उचित निराकरण नहीं करने वालों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई भी की जायेगी। श्री चौहान सी.एम. हेल्पलाइन और लोक सेवा प्रदाय गारंटी कानून की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सी.एम. हेल्पलाइन में प्राप्त शिकायतों के निराकरण की समीक्षा वे स्वयं भी करेंगे। इस संबंध में प्रतिमाह विभिन्न विभाग के प्रमुख सचिवों की बैठक लेंगे। कॉल सेंटर कार्यकर्ताओं के साथ भी संवाद करेंगे। शिकायतों का निराकरण प्रथम स्तर पर करने की प्रभावी व्यवस्था की जाये। अधिकारियों के कार्य आकलन में संबंधित अधिकारी द्वारा 181 पर प्राप्त शिकायतों के निराकरण में उसकी तत्परता को भी आधार बनाया जाये। विभागीय सेवाओं के आकलन में भी 181 के डाटाबेस के उपयोग की उन्होंने जरूरत बताई। शिकायतों का निराकरण समय-सीमा में हो, इसके पुख्ता प्रबंधन के साथ ही शिकायतकर्ता को भी बताया जाये कि निराकरण में कितना समय लगेगा। वह नियत अवधि तक प्रतीक्षा करे।

बैठक में बताया गया कि लोक सेवा गारंटी प्रदाय कानून के दायरे में 22 विभाग की 124 सेवाएँ अधिसूचित हैं। इनमें से 68 सेवाएँ 336 लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से तथा 10 सेवाएँ विभागीय स्तर पर ऑनलाइन प्रदाय की जा रही हैं। कानून के तहत अभी तक 2 करोड़ 34 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से एक करोड़ 97 लाख निराकृत हो गये हैं। कक्षा एक से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं से प्राप्त 77 लाख जाति प्रमाण-पत्र आवेदनों में से 33 लाख से अधिक को लेमीनेटेड जाति प्रमाण-पत्र वितरित कर दिए गए हैं। विभाग को ई-गवर्नेंस के लिए वर्ष 2014 का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। ई-जिला परियोजना के अमल में प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में है। केन्द्र सरकार द्वारा परियोजना के लिये 115 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गये हैं। बैठक में राज्य लोक सेवा अभिकरण के महानिदेशक श्री हरिरंजन राव, कार्यपालक संचालक श्रीमती स्वाति मीणा, मेप आई.टी. के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एम. सेलवेन्द्रन उपस्थित थे।

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