भोपाल, मार्च 2015/ कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये वर्तमान पीसी एण्ड पीएनडीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव शासन को भेजकर न्यायालय द्वारा दोषी पाये गये सोनोलॉजिस्ट का पंजीयन हमेशा के लिये निरस्त करने की अनुशंसा की जायेगी। दोषी चिकित्सक का लायसेंस पाँच वर्ष की अवधि के लिये निरस्त करने का प्रावधान है। संचालक एवं राज्य सक्षम प्राधिकारी, पीसी एण्ड पीएनडीटी एक्ट डॉ. नवनीत मोहन कोठारी की अध्यक्षता में आज राज्य सलाहकार समिति की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये।

डॉ. कोठारी ने बतलाया कि प्रदेश में मात्र 2000 सोनोग्राफी मशीन हैं, जिन पर कड़ी और सघन निगरानी से शिशु लिंग निर्धारण पर पूर्ण रूप से नियंत्रण का प्रयास किया जाये। प्रकरण सामने आते ही सोनोग्राफी सेंटर और चिकित्सक दोनों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई की जाये। यदि चिकित्सकों और सोनोग्राफी सेंटर पर कड़ी निगरानी रहेगी तो शिशु लिंग निर्धारण की जानकारी लेने वालों की मंशा पूरी नहीं हो सकेगी। डॉ. कोठारी ने कहा कि जल्दी ही सोनोग्राफी केन्द्रों का पंजीयन, नवीनीकरण आदि ऑनलाइन की जा रही है। इसके लिये समिति भी गठित कर दी गई है। बैठक में चुनाव आयोग की तर्ज पर जिलेवार दोषी पाये गये केन्द्र और चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। इसके प्रथम चरण में मुरैना और सीहोर जिले का चयन किया गया।

जन-जन तक कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध वातावरण बनाने के लिये रेडियो का उपयोग करने, स्थानीय सफलता की कहानियों का प्रचार, कार्यशाला का आयोजन, स्वैच्छिक संगठनों की भागीदारी आदि पर विचार किया गया। बैठक में एक सोनोलॉजिस्ट द्वारा एक जिले में अधिकतम 2 केन्द्र पर ही सेवाएँ देने, चिकित्सक द्वारा उसके विरुद्ध कोई प्रकरण न होने का घोषणा-पत्र देने, किये गये परीक्षणों की जाँच करने आदि पर चर्चा की गई।

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