भोपाल, नवम्बर 2014/ मध्यप्रदेश ने सहकारिता आधार पर दुग्ध संकलन और दूध से बने उत्पादों की बिक्री में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। दुग्ध संकलन में मध्यप्रदेश आने वाले समय में पंजाब से भी आगे बढ़ जाएगा। गत वर्ष मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से आगे निकल चुका है। वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता में उत्तरप्रदेश से और वर्ष 2013-14 में जम्मू एवं कश्मीर से आगे निकल कर आठवें स्थान पर आ गया है। प्रदेश में वर्तमान वर्ष में दुग्ध उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 8.61 प्रतिशत हो गई है, जो 3.97 प्रतिशत की राष्ट्रीय वृद्धि दर से काफी अधिक है। यह जानकारी मुख्य सचिव श्री अन्टोनी डिसा की अध्यक्षता में साँची दुग्ध उत्पादनों को लोकप्रिय बनाने के संबंध में हुई बैठक में दी गई। मध्यप्रदेश में इस वर्ष 9.8 लाख किलोग्राम प्रतिदिन दुग्ध संकलन हो रहा है। दुग्ध संकलन में गत वर्ष से 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मुख्य सचिव श्री अन्टोनी डिसा ने एम पी डेयरी फेडरेशन के नए उत्पादों की बिक्री में वृद्धि में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में उत्पादित साँची उत्पादनों को राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने के प्रयास किए जाये। मध्यप्रदेश में गाय, भैंस और बकरी जैसे दुधारु पशुओं से प्राप्त दुग्ध की मात्रा निरंतर बढ़ रही है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दुग्ध उपलब्धता 345 ग्राम है, जो 300 ग्राम के राष्ट्रीय औसत से अधिक है। यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की 280 ग्राम की अनुशंसा और विश्व के औसत 281 ग्राम से अधिक है। प्रदेश में नए 19 मिल्क रूट सहित 404 मिल्क रूट और 315 नई सहकारी दुग्ध समिति सहित 7024 समिति कार्य कर रही हैं। समितियों से लगभग 40 हजार अतिरिक्त दुग्ध उत्पादक जुड़े हैं जिससे प्रदेश में करीब 2 लाख 33 हजार दुग्ध उत्पादक हो गए हैं। मध्यप्रदेश में बिक रहे 18 साँची उत्पाद अन्य राज्य के साथ ही दूसरे देशों तक भी जाने लगे हैं। प्रतिस्पर्धी ब्रांड और स्थानीय बाजार के अनुरूप दूध एवं अन्य उत्पादों की बिक्री की दर निर्धारित की गई है।
मुख्य सचिव श्री डिसा ने निर्देश दिए कि मध्यप्रदेश फेडरेशन के उत्पादकों के विक्रय की प्रमुख पर्यटन-स्थल पर भी व्यवस्था की जाए। आकर्षक बिक्री पार्लर स्थापित कर इन गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को बेचने की व्यवस्था की जाए।
दीपावली पर हुई रिकार्ड बिक्री
बैठक में जानकारी दी गई कि मध्यप्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के राजस्व में नए उत्पादों से वृद्धि हुई है। नए उत्पादों में रसगुल्ला, गुलाब जामुन और काजू कतली लोकप्रिय हो रहे हैं। त्यौहारों के माह अक्टूबर में डेयरी फेडरेशन के उत्पाद में 6522 किलोग्राम रसगुल्ला, 7327 किलोग्राम गुलाब जामुन और 2968 किलोग्राम काजू कतली की बिक्री हुई। काजू कतली बाजार में 700 से 900 रुपए किलो बिकती है, फेडरेशन की ओर से इसकी दर बाजार से काफी कम 600 रुपए प्रति किलो रखी गई है। गुलाब जामुन 200 रुपए किलो और रसगुल्ला 170 रुपए किलो की दर से बेचा जा रहा है। दीपावली पर इन उत्पादों की काफी मांग रही। नया उत्पाद केसर दूध भी लोगों को भा रहा है। फेडरेशन ने एक लोकप्रिय उत्पाद छैना खीर का मूल्य 25 रुपए से घटाकर 22 रुपए किया है।
विद्यालयों और आँगनवाड़ी केंद्रों में मिल्क पाउडर
फेडरेशन ने बच्चों के पोषण के लिए मिल्क पाउडर वितरण भी किया है। विदिशा जिले में दो माह विद्यालय और आँगनबाड़ी केंद्रों में मिल्क पाउडर दिया गया। विदिशा जिले के 2772 विद्यालय में 2 लाख 13 हजार विद्यार्थी को 121 मीट्रिक टन मिल्क पाउडर प्रदाय किया गया। इसे वृहद स्तर पर क्रियान्वित करने के संबंध में भी बैठक में चर्चा हुई। जागरूकता अभियान के तहत फेडरेशन ने विभिन्न नगर में विपणन गतिविधियों के साथ ही दूध की जाँच और दूध का दूध पानी का पानी शिविरों का आयोजन भी किया।
दूर-दुनिया तक जाएंगे उत्पाद
एम. पी. स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन की ओर से देश के महानगरों दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई और अहमदाबाद में भी सुपर स्टाकिस्ट की नियुक्ति की गई है। देश के विभिन्न मृगनयनी विक्रय केंद्र और पर्यटन निगम के दफ्तरों के जरिए भी साँची उत्पादों की बिक्री के प्रयास किए जा रहे हैं। यही नहीं जापान में 180 किलोग्राम साँची टेबल बटर की खपत से उत्साहित फेडरेशन ने अन्य देशों तक उत्पाद पहुँचाने की पहल की है। हाल ही इंदौर में हुई ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के दौरान आस्ट्रेलिया, दुबई, अबू धाबी सहित कुछ अफ्रीकी देश में इन उत्पादों की बिक्री के लिए उद्यमियों से बातचीत की गई।