भोपाल, जुलाई 2014/ राज्यपाल राम नरेश यादव ने प्रमुख समाज सुधारक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय बाल गंगाधर तिलक के जन्म-दिन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। उनका पुण्य-स्मरण करते हुए कहा है कि स्वर्गीय बाल गंगाधर तिलक स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे। उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठायी थी। उनका यह कथन ‘स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ बहुत प्रसिद्ध हुआ और आज भी प्रासंगिक है। उन्हें आदर से ‘लोकमान्य’ कहा जाता है।
राज्यपाल ने कहा है कि बाल गंगाधर तिलक का पत्रकारिता के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने मराठा दर्पण और केसरी नाम के दो दैनिक समाचार- पत्रों का सम्पादन किया, जो बहुत लोकप्रिय हुए। उन्होंने समाचार-पत्रों के द्वारा अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की बहुत आलोचना की। उनके इस कदम से देश में अंग्रेज शासन के खिलाफ जनजागृति आई। समाचार-पत्र केसरी में उनके छपने वाले लेखों के कारण देशद्रोह का मुकदमा भी चलाया गया। उन्हें छह वर्ष की कैद दी गई। उन्होंने हिन्दी को सम्पूर्ण भारत की भाषा बनाने पर जोर दिया। भारतीय संस्कृति,परम्परा और इतिहास पर लिखे उनके लेखों से भारत के लोगों में स्वाभिमान की भावना जागृत हुई। बाल गंगाधर तिलक ने यूँ तो अनेक पुस्तकें लिखी हैं किन्तु श्रीमद भगवद गीता की व्याख्या को लेकर मांडले जेल में लिखी गयी गीता-रहस्य सर्वोत्कृष्ट और प्रसांगिक है। जिसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
श्री यादव ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक पश्चिमी शिक्षा पद्धति के घोर विरोधी थे। उन्होंने दक्खन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की ताकि भारत में शिक्षा का स्तर सुधरे। राज्यपाल ने युवाओं से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के आदर्श और सिद्धांतों को आत्मसात करने और उनके पूर्ण स्वराज स्थापित करने के सपने को पूरा करने का आव्हान किया है।