भोपाल, सितंबर 2013/ राज्य शासन ने सामाजिक, सांस्कृतिक या परोपकारी पूर्त (चेरिटेबिल) संस्थाओं को भूमि-आवंटन के लिये नीति जारी की है। राजस्व विभाग ने सभी कलेक्टर को इस तरह की संस्थाओं को शासकीय भूमि-आवंटन की कार्यवाही नीति परिपत्र के प्रावधान अनुसार करने के निर्देश दिये हैं।
नयी नीति के अनुसार पूर्त संस्थाएँ भूमि का चयन आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त की वेबसाइट http://www.landrecords.mp.gov.in/ पर प्रदर्शित लैण्ड बैंक में उपलब्ध भूमि में कर सकती हैं। पूर्त प्रयोजन से आशय है शारीरिक/मानसिक रूप से नि:शक्त व्यक्तियों के लिये संस्था/अनाथालय स्थापित करना, लड़कियों-कामकाजी महिलाओं के लिये छात्रावास, वृद्धाश्रम, स्कूल, शिक्षा/कौशल विकास गतिविधियों के लिये संस्था स्थापित करना, सांस्कृतिक/सामुदायिक गतिविधियों के लिये संस्था स्थापित करना और खेल-कूद संबंधी सुविधाएँ विकसित करना और ऐसा ही कोई अन्य प्रयोजन जो राज्य सरकार तय करे। पूर्त संस्थाओं को भूमि-आवंटन के आवेदन के परीक्षण के बिन्दुओं में पंजीयन, लक्ष्य, गतिविधियाँ, वित्तीय स्थिति, प्रस्तावित योजना के लिये भूमि का न्यूनतम क्षेत्रफल आदि शामिल होंगे। पूर्त संस्थाएँ कलेक्टर को आवेदन देगी, जिसमें भू-खण्ड आवंटन का प्रयोजन बताना होगा। साथ ही आवेदक को अंडरटेकिंग देनी पड़ेगी कि उसे आवंटित की जाने वाली भूमि पर संचालित संस्था लाभ प्राप्ति के लिये किसी पंथ, जाति या सम्प्रदाय विशेष के लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगी। किसी भी पूर्त संस्था को एक ही नगरीय क्षेत्र में एक से अधिक स्थान पर भूमि आवंटित नहीं की जायेगी।
आवेदन के परीक्षण के बाद कलेक्टर द्वारा सार्वजनिक सूचना जारी की जाएगी। सूचना में कम से कम 15 दिन की अवधि देते हुए आपत्ति और सुझाव आमंत्रित किये जायेंगे। प्राप्त आपत्ति और सुझावों का निराकरण करते हुए आगामी कार्यवाही की जायेगी। परंतु निर्धारित अवधि के भीतर यदि कोई अन्य दावेदार दावा प्रस्तुत करता है तो कलेक्टर सम्पूर्ण प्रकरण का पुन: परीक्षण कर पात्र दावेदारों की सूची तैयार करेंगे। एक ही भूमि के लिये एक से अधिक आवेदक पात्र पाये जाते हैं तो उनमें से किसी एक का चयन इस प्राथमिकता क्रम के अनुसार किया जायेगा – शारीरिक/मानसिक रूप से नि:शक्त व्यक्तियों के लिये संस्था, अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम, लड़कियों-कामकाजी महिलाओं के लिये छात्रावास, स्कूल शिक्षा/कौशल विकास के लिये संस्था, बालक छात्रावास, सांस्कृतिक-सामुदायिक खेलकूद गतिविधियों के लिये संस्था या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य प्रयोजन। एक से अधिक पात्र संस्थाएँ होने पर प्रश्नाधीन भूमि के लिये 30 दिन के भीतर खुली लॉटरी की जायेगी। दावेदार आवेदक संस्था को भूमि आवंटन के लिये कलेक्टर आरबीसी 6-1 में प्रतिवेदन तैयार कर संभागीय आयुक्त को अग्रेषित करेंगे, जो उसे अपने अभिमत के साथ आगामी कार्यवाही के लिये राज्य शासन को भेजेंगे। तत्पश्चात नजूल भूमियों के आवंटन के लिये गठित अंतर्विभागीय समिति की अनुशंसा पर राज्य सरकार द्वारा भूमि आवंटित की जायेगी।
भू-खण्ड आवंटन की स्थिति में सांस्कृतिक, सामाजिक या पूर्त संस्थाओं से भू-खण्ड के बाजार मूल्य की 25 प्रतिशत के बराबर राशि प्राब्याजि ली जायेगी और प्राब्याजि पर 5 प्रतिशत भू-भाटक लिया जायेगा। रियायती दर पर भूमि आवंटन पाने वाली संस्थाओं को सशर्त भूमि दी जायेगी। शर्तों में पट्टा अहस्तान्तरणीय होना, आवंटित भूमि पर एक वर्ष के भीतर निर्माण शुरू कर तीन वर्ष में पूरा करना, कलेक्टर या प्राधिकृत अधिकारी को संस्था के लेखा अभिलेख का निरीक्षण करने का अधिकार, संस्था द्वारा लाभ के लिये किसी पंथ, जाति, सम्प्रदाय से भेदभाव नहीं करना और आवंटित भूमि पर किसी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियाँ संचालित नहीं करना शामिल है।
आवंटन स्वीकृत होने की तिथि से दो माह की अवधि के भीतर या आगामी 31 मार्च, इनमें जो भी पहले हो, देय प्रब्याजि एवं वार्षिक भू-भाटक की राशि जमा करना अनिवार्य होगी। आवंटिती द्वारा अतिरिक्त समय की माँग करने पर कलेक्टर द्वारा एक माह की अतिरिक्त समयावधि स्वीकृत की जा सकेगी, पर इसके लिये 15 प्रतिशत वार्षिक साधारण दर से ब्याज देना होगा।