भोपाल, अगस्त 2013/ कानून और नियमों की जानकारी के आधार पर योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करवाया जा सकता है। इन्हें लागू करवाने वालों का प्रशिक्षण भी होना चाहिए, जिससे समाज को योजनाओं के बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके। यह जानकारी प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास बी.आर.नायडू ने महिलाओं एवं बच्चों के हित में बनाये गये कानूनों के संबंध में राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय के अधिकारियों, अशासकीय संस्थाओं के सदस्यों तथा मीडियाकर्मियों के चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर दी। आयुक्त, महिला सशक्तिकरण, श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों से प्रशिक्षण का फीडबैक प्राप्त किया। कार्यक्रम में कार्यकारी रजिस्ट्रार रवि पाण्डेय भी उपस्थित थे।
संस्थान में 29 जुलाई से एक अगस्त की अवधि में प्रशिक्षण में घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, गर्भधारण और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994, अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956, महिलाओं का अशिष्ट रूपण (निषेध) अधिनियम 1986, किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख एवं सरंक्षण) अधिनियम 2000 तथा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों से प्रतिभागियों को परिचित करवाया गया।