नई दिल्ली, मई 2016/ हरीश रावत के नाम पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की मुहर भी लग गई। दस मई को उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण के नतीजों का जो सीलबंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था वह जब कोर्ट में बुधवार को खोला गया तो नतीजा रावत के पक्ष में ही गया।
जो बात पहले ही सार्वजनिक हो चुकी थी उसी के अनुरूप लिफाफे में भी 61 विधायकों में से हरीश रावत के पक्ष में 33 मत मिले। नतीज आने के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने तुरंत राज्य से राष्ट्रपति हटाने का फैसला किया। इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद राज्य से राष्ट्रपति शासन हट जाएगा। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में इसका खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने बहुमत साबित कर लिया है। अब एनडीए सरकार ने राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला किया है। फैसले के साथ ही राष्ट्रपति शासन हटते ही हरीश रावत दोबारा मुख्यमंत्री बन जाएंगे और उन्हें शपथ लेने की जरूरत नहीं होगी।
इसके साथ ही पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में दो महीने से अधिक समय से मचे राजनीतिक घमासान का भी अंत हो गया। शक्ति परीक्षण के दौरान भाजपा के भीमलाल आर्य ने कांग्रेस को वोट दिया, वहीं कांग्रेसी की रेखा आर्य भी बागी होकर भाजपा खेमे से जा मिली थीं। जबिक बसपा के दो विधायकों ने कांग्रेस का समर्थन किया था।