भोपाल, अक्टूबर 2015/ राज्य शासन द्वारा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को जीरो ब्याज दर पर वर्ष 2013 से कृषि ऋण मुहैया करवाया जा रहा है। इस योजना में 6 प्रतिशत ब्याज अनुदान राज्य शासन द्वारा तथा 5 प्रतिशत अनुदान नाबार्ड के माध्यम से केन्द्र शासन द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश के किसानों को वर्ष 2010-11 में 3 प्रतिशत की दर से और वर्ष 2011-12 में एक प्रतिशत की दर से ऋण मुहैया करवाया जा रहा था।
योजना की पारदर्शिता के लिये सहकारिता विभाग द्वारा ई-कोआपरेटिव्ह वेब पोर्टल तैयार करवाया गया है। पोर्टल के जरिये किसानों का पंजीयन कर उन्हें समितियों द्वारा मुहैया करवाये गये ऋण की जानकारी दर्ज की जाती है। पोर्टल पर अब तक 17 लाख 92 हजार किसान का पंजीयन हो चुका है।
इस योजना में वर्ष 2012-13 से प्राथमिक कृषि साख समितियों द्वारा किसानों को दिये गये कृषि फसल ऋणों पर ब्याज की वसूली नहीं की जाती है। समितियों द्वारा ऋणों पर ब्याज की गणना कर जिला केन्द्र सहकारी केन्द्रीय बैंक और मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक के माध्यम से राज्य शासन को दावे प्रस्तुत किये जाते हैं। इसी आधार पर राज्य शासन द्वारा दी जाने वाली ब्याज सहायता राशि अपेक्स बैंक और जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के माध्यम से समितियों के खाते में भेजी जाती हैं। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक स्तर पर समितिवार कृषकों की सूची उपलब्ध है। इसी आधार पर ब्याज अनुदान की गणना की जाती है। ब्याज अनुदान के दावे वास्तविक किसानों को दिये गये ऋणों पर ब्याज गणना के आधार पर ही तैयार होते हैं।
प्रदेश में पिछले तीन वर्ष में राज्य शासन को प्रस्तुत ब्याज अनुदान दावों की विसंगतियों का निराकरण किया गया है। राज्य शासन को वर्ष 2010-11 में 23 लाख 33 हजार 729, वर्ष 2011-12 में 23 लाख 41 हजार 429 और वर्ष 2012-13 में 27 लाख 18 हजार 105 किसानों के ब्याज अनुदान के दावे प्रस्तुत हुए हैं। राज्य शासन और नाबार्ड को वर्ष 2013-14 और वर्ष 2014-15 में प्रस्तुत दावों की संख्या समान है। इसके अलावा वर्ष 2007-08 से 2009-10 तक के ब्याज अनुदान दावों का मिलान भी अपेक्स बैंक द्वारा किया जा रहा है।